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कश्मीरी चिनार की डिजिटल सुरक्षा

चर्चा में क्यों?

समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए कश्मीर में प्रतिष्ठित चिनार के पेड़ों को जियो-टैग किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह परियोजना जम्मू-कश्मीर वन विभाग के जम्मू-कश्मीर वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) द्वारा शुरू की गई है।
  • इस परियोजना में चिनार के पेड़ों की जियो-टैगिंग और QR कोडिंग शामिल है ताकि उनकी निगरानी और प्रबंधन को सक्षम बनाया जा सके।
  • यह पहल वर्ष 2021 में शुरू की गई थी।
  • घाटी में हुए सर्वेक्षण में 28,500 चिनार को जियो टैग किया है।
  • QR-आधारित डिजिटल प्लेट को प्रत्येक चिनार के पेड़ पर एक विशेष स्प्रिंग-सक्षम धातु का उपयोग करके चिपकाया गया है।
    • इस QR कोड में विशिष्ट चिनार के पेड़ के बारे में पूरी जानकारी होती है। 
  • इसका लक्ष्य चिनार के पेड़ों की निगरानी और खतरों से निपटने के लिए एक मजबूत प्रणाली बनाना है। 

चिनार वृक्ष के बारे में:

  • भौगोलिक स्थान:
    • मुख्य रूप से भारत के जम्मू और कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पाया जाता है।
    • यह ईरान, तुर्की और मध्य एशिया के अन्य हिस्सों में भी पाया जाता है।
  • वृक्ष की विशेषताएँ:
    • चिनार एक पर्णपाती वृक्ष है, यानी इसकी पत्तियां शरद ऋतु में झड़ जाती हैं।
    • यह वृक्ष काफी बड़ा और लंबा होता है, जिसकी ऊंचाई 25-30 मीटर तक हो सकती है।
    • इनका जीवनकाल काफी लंबा होता है; कुछ वृक्ष 500 से 700 वर्षों तक जीवित रह सकते हैं।
    • इसकी पत्तियां चौड़ी और पांच नुकीली धारों वाली होती हैं।
    • इसकी पत्तियां मौसम के अनुसार रंग बदलती हैं।
    • गर्मियों में यह हरे रंग की होती हैं, जबकि शरद ऋतु में यह सुनहरी, नारंगी और लाल रंग की हो जाती हैं।
    • इसे स्थानीय रूप से मेपल ट्री और बूईन के नाम से भी जाना जाता है।
  • सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व:
    • इसे कश्मीर की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक माना जाता है।
    • मुगल बादशाहों, खासकर जहांगीर, ने कश्मीर की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए चिनार के वृक्षों का बड़े पैमाने पर रोपण किया।
    • यह वृक्ष कश्मीर की कला, शायरी और साहित्य में भी प्रमुख रूप से शामिल है।

चिनार के पेड़ों पर खतरा:

  • शहरीकरण: 
    • बढ़ते शहरीकरण के कारण चिनार के पेड़ों का अस्तित्व खतरे में है। 
    • कई पेड़ों को सड़कों और इमारतों के निर्माण के लिए काट दिया जाता है।
  • जलवायु परिवर्तन:
    • जलवायु परिवर्तन के कारण चिनार के पेड़ों पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
  • कीड़े और बीमारियां: 
    • कई तरह के कीड़े और बीमारियां चिनार के पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

प्रश्न. कश्मीर में चिनार के पेड़ों को जियो-टैग करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

(a) इन पेड़ों की विरासत को संरक्षित करना 

(b) इन पेड़ों को शहरों में लगाना 

(c) इन पेड़ों की लकड़ी का उपयोग बढ़ाना

(d) इन पेड़ों को मध्य भारत में लगाना

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