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डिजिटल सेवा कर : अमेरिकी प्रतिक्रिया

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) 
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

संदर्भ 

  • हाल ही मेंअमेरिका द्वारा भारत एवं ब्रिटेन सहित चार अन्य देशों (ऑस्ट्रिया, इटली, स्पेन तथा तुर्की) के विरुद्ध प्रशुल्क (Traiff) को निलंबित करने की घोषणा की गई। 
  • ये वे देश हैं जिन्होंने -कॉमर्स कंपनियों पर लेवी/डिजिटल सेवा कर लगाया है या लगाने पर विचार कर रहे हैं।  

अमेरिकी प्रतिक्रिया का आधार 

  • संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (U.S. Trade Representative - USTR) ने तर्क दिया है कि वर्ष 2020 में ट्रंप प्रशासन द्वाराधारा 301’ के तहत जाँच में पाया गया कि इनमें से प्रत्येक देश द्वारा लगाया गयाडिजिटल सेवा करअमेरिकी तकनीकी फर्मों के विरुद्ध भेदभावपूर्ण है और यह अंतर्राष्ट्रीय कर सिद्धांतो के प्रति असंगत है। 
  • इसके पश्चात इन देशों के विरुद्ध प्रशुल्क अधिरोपित किया गया है। व्यापार अधिनियम, 1974 की धारा 301 के तहत संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) को व्यापार समझौतों के तहत अमेरिकी राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और विदेशी व्यापार प्रथाओं की जाँच तथा उन पर कार्रवाई करने के लिये कई महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ और अधिकार प्रदान किये गए हैं।
  • ुछ समय पहले तक इस सुविधा का उपयोग कई प्रशासनों द्वारा विश्व व्यापार संगठन (WTO) में मामले बनाने और विवाद निपटाने के लिये किया जाता था।

    निलंबन का कारण 

    • इस निलंबन का उद्देश्य चल रही अंतर्राष्ट्रीय बहुपक्षीय वार्ता को पूरा करने के लिये अतिरिक्त समय देने के लिये 6 माह का अतिरिक्त समय निर्धारित किया गया है।
    • संभावित रूप से प्रभावित छह देश एक कमज़ोर पोस्ट-कोविड​​​​-19 रिकवरी का सामना कर रहे हैं और एक नया व्यापार युद्ध केवल उनके लिये बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये भी हानिकारक हो सकता है।    
    • चीन के साथ ट्रंप प्रशासन के व्यापार युद्ध से उत्पन्न वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में महामारी और विवर्तनिक बदलाव के प्रभाव के कारण दबावग्रस्त आर्थिक गतिविधि के संयोजन ने पहले ही कई अर्थव्यवस्थाओं को कमज़ोर स्थिति में ला दिया है।
    • पूर्व ट्रंप प्रशासन के तहत, इस अधिकार का उपयोग ऐसे व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिये किया गया था, जो उनके प्रशासन कोस्वतंत्र, निष्पक्ष और पारस्परिकप्रतीत होता था, विशेष रूप से उन मामलों में जहाँ अमेरिका और विदेशी सरकारों के मध्य व्यापार के अंतर या संतुलन को समाप्त किया जा सके।  
    • द्यपि ऐसा प्रतीत होता है कि बाइडन प्रशासन ट्रंप-युग की धारा 301 जाँच को पूरी तरह से वापस लेने के लिये तैयार नहीं है; बल्कि, यह संबंधित राष्ट्रों के साथ निरंतर कर वार्ता के लिये कुछ मात्रा में छूट की अनुमति देते हुए एक मध्यम मार्ग की तलाश करता प्रतीत होता है।

    भारत पर प्रभाव 

    • वित्त विधेयक 2021 के माध्यम से अनिवासी -कॉमर्स ऑपरेटरों द्वारा 2 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार के साथ व्यापार और सेवाओं पर 2% डिजिटल सेवा कर लगाने के लिये संशोधन प्रस्तुत किया था।
    • इस कर के माध्यम से भारत को प्रतिवर्ष लगभग $ 55 मिलियन का राजस्व प्राप्त हो सकता है।
    • अमेरिकी प्रशासन से बातचीत करने के परिणामस्वरूप इस कर को वापस बढ़ाया जा सकता है। यद्यपि इसके कारण कर राजस्व के एक हिस्से में नुकसान होने की संभावना है, जो अंतिम दर की सहमति पर निर्भर करता है।  
    • अमेरिका को भारत का 118 मिलियन डॉलर का निर्यात यू.एस.टी.आर. द्वारा प्रस्तावित टैरिफ के अधीन है, जिसके कारण 26 श्रेणियों की वस्तुएँ प्रभावित हो सकते हैं।  इनमें बासमती चावल, सिगरेट पेपर, संवर्धित मोती, कीमती पत्थर, सोना और चांदी के आभूषण और विशिष्ट प्रकार के फर्नीचर उत्पाद शामिल हैं।    

    गे की राह 

    • भारत को इस समय अपने विकल्पों पर सोच-समझकर विचार करना चाहिये। 
    • यह अमेरिका के साथ प्रतिशोधी कराधान के किसी भी बढ़ते मैट्रिक्स में शामिल होने से बचने की कोशिश करेगा, क्योंकि यह इसकी श्रमसाध्य रिकवरी में एक महत्त्वपूर्ण बिंदु पर इसकी विकास संभावनाओं को नुकसान पहुँचाएगा। 
    • हालाँकि, यह वैश्विक टेक फर्मों पर कर लगाने के अपने स्पष्ट इरादे को भी समाप्त नहीं कर पाएगा।

    डिजिटल सेवा कर

    डिजिटल सेवा कर, कंपनियों द्वारा डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने के बदले प्राप्त राजस्व पर अधिरोपित किया जाता है। यह कर मुख्य रूप से गूगल, अमेज़न और एप्पल जैसी डिजिटल बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर अधिरोपित किया जाता है।

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