प्रारंभिक परीक्षा – भारतीय भाषाओं में डिजिटल अध्ययन सामग्री मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 2 |
संदर्भ
19 जनवरी, 2024 को केंद्र सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों को 3 साल के भीतर भारतीय भाषाओं में डिजिटल अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
प्रमुख बिंदु
- इस निर्णय का उद्देश्य छात्रों को अपनी भाषा में अध्ययन करने का अवसर प्रदान करना है।
- इसके तहत स्कूल और उच्च शिक्षा के तहत सभी पाठ्यक्रमों के लिए अध्ययन सामग्री संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषाओं में डिजिटल रूप से उपलब्ध कराई जाएगी।
- इस निर्देश का उद्देश्य शिक्षा में बहुभाषावाद को बढ़ावा देना एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की सिफारिशों के अनुसार शिक्षा को बढ़ावा देना है।
क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा देने वाले प्रमुख प्रावधान:
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के दौरान बहुभाषावाद (Multilingualism) की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
- संविधान के अनुच्छेद 350A में प्रावधान किया गया है कि सरकार भाषाई अल्पसंख्यक वर्ग के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध कराने की व्यवस्था करेगी।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में प्रावधान किया गया है कि जहां तक संभव हो बच्चों को उनकी मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा दी जानी चाहिए।
क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा देने से संबंधित मुख्य पहलें:
- अनुवादिनी (AI आधारित ऐप) ऐप के जरिये इंजीनियरिंग, मेडिकल,लॉ, अंडर-ग्रेजुएट, पोस्ट-ग्रेजुएट और कौशल विकास पर पुस्तकों का अनुवाद किया जाता है।
- ई-कुंभ (e-KUMBH) पोर्टल को AICTE ने अलग-अलग भारतीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा से जुड़ी पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध कराने के लिए लॉन्च किया है।
- दीक्षा पोर्टल, 30 से अधिक भारतीय भाषाओं में स्कूली शिक्षा के लिए अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराता है।
- साथी पोर्टल, आईआईटी कानपुर के सहयोग से विकसित किया गया है, यह पोर्टल छात्रों को उनकी मूल भाषा सहित देश भर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में सहायता करता है।
- पीएम ई-विद्या डिजिटल/ऑनलाइन शिक्षा के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान (2020) के तहत एक व्यापक पहल है।
- यह सभी राज्यों में छात्रों के लिए बिना किसी लागत के शिक्षा तक मल्टी-मोड पहुंच प्रदान करता है।
- भाषा सागर परियोजना के तहत का भारतीय भाषाओं को सीखने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन और वेब-आधारित प्लेटफॉर्म को विकसित करना है।
- प्राकृतिक भाषा अनुवाद मिशन के तहत सभी क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण और अनुसंधान सामग्री प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करने के लिए आरंभ किया गया है।
- संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE), राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (NEET), संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (CUET) जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं।
मातृभाषा भाषा में शिक्षा का महत्त्वः
- बच्चे मातृभाषा में विषय को आसानी से समझ सकते हैं।
- साथ ही, वे नए तरीके से सोच सकते हैं और विषय को समझ कर अपनी भाषा में बेहतर कर सकतें हैं।
- इससे शिक्षा प्राप्त करने में एवं कक्षा की गतिविधियों में बच्चे अधिक रुचि लेंगे।
- इससे बीच में पढ़ाई छोड़ने और कई वर्षों तक एक ही कक्षा में बने रहने की समस्या में कमी आएगी।
- इससे विद्यार्थियों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
- क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा से भाषाई विविधता और संस्कृतियों को समझने की क्षमता को बढ़ावा मिलेगी।
चुनौतियां:
- इससे अध्यापकों को अलग-अलग भाषाओं में पढ़ाने में कठिनाई होगी।
- क्षेत्रीय भाषाओं में नई अध्ययन सामग्री तैयार करने और प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति करने में अधिक व्यय होगा।
- क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को विश्व में अन्य जगह रोजगार पाने में कठिनाई हो सकती है।
- इस शिक्षा से करियर के अवसर सीमित हो सकतें हैं।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- केंद्र सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों को 4 साल के भीतर भारतीय भाषाओं में डिजिटल अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने का निर्देश 19 जनवरी, 2024 को दिया।
- अनुवादिनी (AI आधारित ऐप) ऐप के जरिये इंजीनियरिंग, मेडिकल,लॉ, अंडर-ग्रेजुएट, पोस्ट-ग्रेजुएट और कौशल विकास पर पुस्तकों का अनुवाद किया जाता है।
- दीक्षा पोर्टल 30 से अधिक भारतीय भाषाओं में स्कूली शिक्षा के लिए अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराता है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (b)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : भारतीय भाषाओं में डिजिटल अध्ययन सामग्री के महत्त्व की विवेचना कीजिए।
|
स्रोत: pib