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पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण

चर्चा में क्यों? 

दक्षिण भारत में प्राचीन पांडुलिपियों के संग्रहण केंद्र ‘ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (ORI) में डिजिटलीकरण प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है। विदित हो कि इसे दो वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • डिजिटलीकरण की यह प्रक्रिया वर्ष 2015 में ही शुरू हुई थी लेकिन कोविड एवं अन्य कारणों से इसकी गति बाधित हो गई।
  • इस प्रक्रिया के अंतर्गत लगभग 20,000 पांडुलिपियों को डिजिटलीकृत करने के पश्चात् इन्हें चार लाख डिजिटल पृष्ठों में प्रस्तुत किया जाएगा।
  • केंद्र सरकार के राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने वर्ष 2007 में तिरुपति ओ.आर.आई. को 'पांडुलिपि संसाधन केंद्र' के रूप में मान्यता दी और आंध्र प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने 2008 में इसे 'उत्कृष्टता केंद्र' के रूप में स्वीकार किया।
  • यहाँ संरक्षित पांडुलिपियों की विविध श्रेणियों में वेद, वेदांग, उपनिषद, व्याकरण, ज्योतिष, स्मृति, पुराण, दर्शन, पुरातत्व, मूर्तिकला, चित्रकला, खगोल विज्ञान, आयुर्वेद, अर्थशास्त्र (प्रशासन और राज्य शिल्प) और साहित्यिक नाटक शामिल हैं।

पांडुलिपि

  • पांडुलिपियाँ वस्तुतः कागज, छाल, धातु, ताड़ के पत्ते अथवा किसी अन्य सामग्री पर कम से कम 75 वर्ष पहले के हस्त लिखित संयोजन हैं।
  • लिथोग्राफ और मुद्रित खंड पांडुलिपियों के अंतर्गत नहीं आते हैं।
  • पांडुलिपियाँ विभिन्न भाषाओं और लिपियों में पाई जाती हैं। अक्सर एक भाषा विभिन्न लिपियों में लिखी होती है। उदाहरण के लिये, संस्कृत भाषा को उड़िया लिपि, ग्रंथ लिपि, देवनागरी लिपि आदि में लिखा जाता है।
  • पांडुलिपियाँ, घटनाओं अथवा प्रक्रियाओं के संबंध में प्रत्यक्ष सूचना प्रदान करने वाले ऐतिहासिक रिकॉर्ड, जैसे- शिलालेखों, फरमानों, राजस्व अभिलेखों आदि, से भिन्न होती हैं। पांडुलिपियों में सूचनाओं के अतिरिक्त ज्ञान का भी समावेश होता है।

राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन

  • राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की शुरुआत पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने फरवरी 2003 में की थी।
  • राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन का उद्देश्य अतीत को भविष्य से जोड़ने तथा इस देश की स्मृति को उसकी आकांक्षाओं से मिलाने के लिये इन पांडुलिपियों का पता लगाना, उनका प्रलेखन एवं संरक्षण करना और उन्हें उपलब्ध कराना है।
  • भारत में लगभग पाँच मिलियन पांडुलिपियों का संकलन मौज़ूद है जो संभवत: विश्व का सबसे बड़ा संकलन है। इसमें अनेक विषय सम्मिलित हैं, जैसे- पाठ संरचनाएँ व कलात्मक बोध, विभिन्न लिपियाँ एवं भाषाएँ, हस्तलिपियाँ, प्रकाशन, उद्बोधन आदि।
  • यह मिशन संयुक्त रूप से भारत के इतिहास, विरासत और विचार की ‘स्मृति’ हैं।
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