संदर्भ
भारत ने बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की है। यह घोषणा गलवान घाटी में हुई झड़प में शामिल चीनी सेना के एक सैन्य कमांडर को मशालवाहक बनाने की प्रतिक्रिया के तौर पर की गई। भारत ने मशाल रिले में सैन्य कमांडर की भागीदारी को ‘अफसोसजनक’ माना है।
राजनयिक बहिष्कार
इससे आशय है कि बहिष्कार में शामिल देश ओलंपिक खेलों के दौरान आधिकारिक सरकारी प्रतिनिधिमंडल को मेज़बान देश में नहीं भेजेंगे।
राजनयिक बहिष्कार से एथलीटों की भागीदारी पर प्रभाव
प्रत्यक्ष रूप रूप से एथलीटों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। वर्ष 1980 के मास्को ओलंपिक और वर्ष 1984 के लॉस एंजिल्स खेलों के दौरान उस समय की मौजूदा राजनीतिक स्थिति के कारण हजारों एथलीटों ने भाग नहीं लिया था, जबकि सभी देशों के एथलीट बीजिंग में शीतकालीन ओलंपिक में भाग ले रहे हैं।
अन्य देशों की प्रतिक्रिया
बीजिंग शीतकालीन खेलों के विवादास्पद होने के कारण
चीन की प्रतिक्रिया
चीन ने इस बहिष्कार को राजनीतिक एजेंडा बताया है। चूँकि, वर्ष 2028 में होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक का मेज़बान अमेरिका (लॉस एंजिल्स) है। इसलिये, ऐसी आशंका है कि अमेरिका के नेतृत्व में उठाया गया यह कदम भविष्य में चीन को भी राजनयिक बहिष्कार के लिये प्रेरित कर सकता है।
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