भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने खरपतवारनाशक-सहिष्णु (Herbicide-tolerant : Ht) बासमती चावल की किस्मों का वाणिज्यीकरण किया है। यह खरपतवारों को नियंत्रित कर सकती हैं और पानी की बचत करने वाले सीधी बुआई वाले चावल (Direct Seeded Rice : DSR) को भी बढ़ावा दे सकते हैं।
आई.सी.ए.आर. के अनुसार, ये नई आनुवंशिक रूप से गैर-संशोधित (non-GM) किस्में डी.एस.आर. प्रणाली में खरपतवार को खत्म करने के लिए हर्बिसाइड इमाजेथापायर (Imazethapyr) के सीधे अनुप्रयोग की अनुमति देती हैं क्योंकि उनमें एक उत्परिवर्तित ए.एल.एस. जीन (ALS Gene) होता है।
सीधी बुआई वाले चावल (DSR)
यह धान की खेती की एक आधुनिक तकनीक है जिसमें नर्सरी से पौध रोपने की पारंपरिक विधि की जगह धान के बीज खेत में सीधे बोए जाते हैं।
यह धान की खेती का एक कुशल एवं टिकाऊ तरीका है जो किसानों, पर्यावरण एवं अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है।
हालाँकि, डी.एस.आर. फसल प्रणाली पर कार्यरत वैज्ञानिकों का तर्क है कि डी.एस.आर. की सहायता के लिए ऐसी तकनीक की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि बुआई की तारीख को 15 मई से 10 जून तक आगे बढ़ाकर जलवायु कारकों का उपयोग करके पर्यावरण-अनुकूल तरीकों से खरपतवारों को आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है।
विदित है कि उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, जिसमें पंजाब व हरियाणा शामिल हैं, लंबे समय से सुगंधित बासमती चावल उगाने के लिए डी.एस.आर. प्रणाली का उपयोग करते हैं।
हालाँकि, चावल की फसलों में खरपतवारों को नियंत्रित करने और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हरित क्रांति के दौरान नीति-निर्माताओं ने भूजल-आधारित सिंचाई का अत्यधिक उपयोग करके पानी की खपत वाले प्रत्यारोपित चावल प्रणाली की शुरुआत की।
चुनौतियाँ
इमाज़ेथापायर विशिष्ट चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार (BLW) को लक्षित करता है, सभी प्रकार के खरपतवार को नहीं।
शाकनाशी-प्रतिरोधी खरपतवार विकसित हो सकते हैं, जिससे चावल उत्पादन एवं खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
इसी तरह की चुनौतियाँ बीटी-कॉटन एवं पिंक बॉलवर्म प्रतिरोध के साथ देखी गईं हैं।