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निर्देशित ऊर्जा हथियार

प्रारंभिक परीक्षा

(रक्षा प्रौद्योगिकी)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र -3 : रक्षा प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दे)

संदर्भ 

निर्देशित ऊर्जा हथियार (Directed Energy Weapons) भारत  की विस्तृत सुरक्षा संरचना का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

क्या है निर्देशित ऊर्जा हथियार (Directed Energy Weapons)

  • निर्देशित ऊर्जा हथियार (DEW), लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए गतिज ऊर्जा के बजाए विद्युत चुंबकीय या कण प्रौद्योगिकी (Particle Technology) से केंद्रित ऊर्जा का उपयोग करते हैं। 
  • DEW में उच्च परिशुद्धता एवं सटीकता के साथ कई किलोमीटर दूर तक के भौतिक लक्ष्यों को क्षतिग्रस्त करने की क्षमता है। 

निर्देशित ऊर्जा हथियार की विशेषताएँ

  • उच्च ऊर्जा लेज़र (High-Energy Lasers) : पारंपरिक हथियारों की तुलना में हाई एनर्जी लेजर (HEL) के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं, जैसे- प्रकाश की गति से निशाना लगाने की सटीक क्षमता और लगभग असीमित शस्त्र क्षमता (Virtually Unlimited Magazine)। 
    • हालाँकि, बारिश या कोहरे जैसी स्थितियों से इन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  • उच्च शक्ति वाले माइक्रोवेव : उच्च शक्ति वाले माइक्रोवेव हथियारों (HPMs) की रेंज HEL की तुलना में कम होती है और लंबी दूरी पर इनकी किरणों की क्षमता कम हो जाती हैं किंतु ये मौसम से प्रभावित नहीं होती हैं और व्यापक क्षेत्र में लक्ष्यों को निशाना बना सकती हैं।

  • मिलीमीटर तरंगे : मिलीमीटर तरंग आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार के कई गैर-घातक सैन्य अनुप्रयोग हैं, जिनमें भीड़ नियंत्रण एवं निषेध क्षेत्रों में अनुप्रयोग शामिल हैं। 
  • कण बीम (Particle Beam) : कण बीम हथियारों में मजबूत प्रवेश क्षमता, उच्च गति व उच्च ऊर्जा होती है और ये सभी मौसम में काम कर सकते हैं। 
    • हालाँकि, यह तकनीक बेहद जटिल है। इसे युद्ध में प्रयोग किए जाने से पहले कई चुनौतियों को पार करना होगा।
  • अंतरिक्ष : अंतरिक्ष क्षेत्र में निर्देशित ऊर्जा का अनुप्रयोग बहुत से अनुसंधान का केंद्र बिंदु हैं, जिनमें अंतरिक्ष यान को गति प्रदान करने, उपग्रहों के प्रणोदन और इंटरसेप्ट करने, पृथ्वी के लिए खतरा पैदा करने वाले धूमकेतुओं या क्षुद्रग्रहों को विक्षेपित करने के लिए निर्देशित ऊर्जा का उपयोग करना शामिल है।

वैश्विक परिदृश्य

  • संयुक्त राज्य अमेरिका : वर्ष 1980 के दशक में अमेरिका में DEW के विकास ने गति पकड़ी, जिसका उद्देश्य सामरिक रक्षा पहल के हिस्से के रूप में सोवियत मिसाइलों के खिलाफ लेजर हथियारों को विकसित करना करना था, जिसे बाद में ‘स्टार वार्स’ नाम दिया गया।
  • चीन : 1980 के दशक के उत्तरार्ध से ही चीन DEW विकसित कर रहा है और उसने कथित तौर पर 30 किलोवाट की रोड-मोबाइल एच.ई.एल. के रूप में एल.डब्ल्यू.-30 (LW) विकसित की है, जिसे मानव रहित यान और निर्देशित हथियारों से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 
  • रूस : यह 1960 के दशक से ही DEW अनुसंधान कर रहा है, जिसमें HEL पर विशेष जोर दिया गया है। इसने कथित तौर पर कई मोबाइल अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल इकाइयों के साथ पेरेसवेट ग्राउंड-आधारित HEL (Peresvet Ground-based) को तैनात किया है। 
  • यूनाइटेड किंगडम : इसने जनवरी 2024 में अपने ड्रैगनफ़ायर HEL हथियार का सफलतापूर्वक अनुप्रयोग किया। 
  • इज़राइल : हमास द्वारा 7 अक्तूबर को किए गए हमलों के बाद इज़राइल ने अपने आयरन बीम लेजर हथियार के विकास में तेज़ी लाने की कोशिश की है, जिससे उसके आयरन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली के गतिज अवरोधकों को बढ़ावा मिले। 
  • फ्रांस, तुर्की, ईरान, दक्षिण कोरिया एवं जापान जैसे देश भी अपने स्वयं के DEW कार्यक्रमों में निवेश कर रहे हैं। 

भारतीय पहल

  • यद्यपि भारतीय सेना द्वारा कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है हालाँकि ऐसा माना जाता है कि DEW भारत की सुरक्षा रणनीति का एक हिस्सा हैं। 
    • DEW में भारत की शुरुआत मुख्यत: ‘त्रि-नेत्र’ नामक एक वर्गीकृत परियोजना के साथ हुई, जिसे दिल्ली स्थित लेजर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (LASTEC) द्वारा कार्यान्वित किया गया था। 
    • BEL ने 2 किलोवाट (kW) लेजर-आधारित DEW का उत्पादन करने में सफलता प्राप्त की है। इसका उद्देश्य ड्रोन एवं मानव रहित यान जैसे नए, विषम व विघटनकारी खतरों का मुकाबला करना है। 
    • रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि KALI (Kilo Ampere  Linear Injector) और DURGA (Directionally Unrestricted Ray-Gun Array) जैसे वर्गीकृत कार्यक्रमों के उत्पाद पहले ही सशस्त्र बलों में शामिल किए जा चुके हैं।
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