प्रारंभिक परीक्षा
(समसामयिक घटनाक्रम, भारतीय प्राचीन इतिहास)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य एवं वास्तुकला के मुख्य पहलू)
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संदर्भ
हाल ही में, तमिलनाडु के तिरुवल्लुर जिले में 16वीं सदी के दो पृष्ठों वाले ताम्रपत्र अभिलेख की खोज की गई है।
- हालिया खोज : तांबे की प्लेटों के दो पत्तों (पृष्ठों) को एक अंगूठी (बंधन) का उपयोग करके एक साथ पिरोया गया है, जिस पर विजयनगर साम्राज्य की मुहर है।
- उत्कीर्ण वर्ष : 1513 ई. में
- शासनकाल : राजा कृष्णदेवराय के शासन काल में
- शासनकाल (1509-1529 ई.)
- आंध्रभोज के नाम से विख्यात
- तेलुगु भाषा के आठ प्रसिद्ध कवि इनके दरबार में थे जो ‘अष्टदिग्गज’ के नाम से प्रसिद्ध थे।
- रचनाएं : तेलुगु भाषा में ‘काव्य अमुक्तमाल्यद’ और भारत के प्राचीन इतिहास पर आधारित पुस्तक ‘वंशचरितावली’
- खोज स्थल : तिरुवल्लुर जिले के मप्पेदु गांव में (श्री सिंगेश्वर मंदिर के अंदर)
- श्री सिंगेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
- इसका निर्माण आदित्य करिकालन द्वितीय चोल (राजाराज चोल I के बड़े भाई) ने 967 ई. में करवाया था।
- 16वीं सदी में विजयनगर के अरियानाथ मुदलियार ने इस मंदिर परिसर की दीवार एवं मीनार का निर्माण करवाया था।
- लिपि : अभिलेख संस्कृत एवं नंदीनागरी लिपि में उत्कीर्ण।
- नंदीनागरी एक ब्राह्मी-आधारित लिपि है जिसका उपयोग दक्षिणी भारत में 11वीं से 19वीं सदी के बीच संस्कृत में पांडुलिपियाँ व अभिलेखों के लिए किया गया था।
अभिलेखों का विषय
- ताम्र अभिलेखों में राजा द्वारा कई ब्राह्मणों को ‘वासलबट्टका’ नामक गांव को उपहार में देने का उल्लेख है, जिसका नाम बदलकर कृष्णरायपुरा कर दिया गया।
- अभिलेखों में दान किए गए गांव की सीमाओं का भी उल्लेख है, जो चंद्रगिरी के राजा के नियंत्रण में था और यह वर्तमान में आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में स्थित है।