चर्चा में क्यों ?
- केरल के पलक्कड़ में मलमपुझा बांध के पास हुए अन्वेषण में 110 से अधिक मेगालिथिक दफन स्थल मिले, जो इस क्षेत्र के प्रारंभिक लौह युग (Iron Age) के समाज को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

केरल: मलमपुझा बांध के पास 100+ मेगालिथ की खोज
- ASI की एक टीम ने केरल के पलक्कड़ जिले के मलमपुझा क्षेत्र का सर्वेक्षण करते समय 45 हेक्टेयर भूमि पर फैले 110 से अधिक मेगालिथिक संरचनाओं (Megalithic Structures) का समूह खोजा।
- द्वीप जैसे टीलों से युक्त यह स्थल केरल में अब तक पाए गए सबसे बड़े मेगालिथिक दफन स्थलों में से एक माना जा रहा है।
मेगालिथिक संरचनाएं क्या हैं?
- मेगालिथ (Megaliths) बड़े पत्थरों से बनी संरचनाएं होती हैं, जो आमतौर पर शवों को दफनाने के उद्देश्य से बनाई जाती थीं।
- इनमें सीमेंट या मोर्टार (Mortar) जैसी बाध्यकारी सामग्री का उपयोग नहीं किया जाता था।
- ये प्राचीन मानव समाजों की दफन परंपराओं और धार्मिक विश्वासों को समझने में मदद करते हैं।
पाए गए प्रमुख मेगालिथिक शवाधान
ASI ने विभिन्न प्रकार की दफन संरचनाएं खोजी हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सिस्ट कब्रें (Cist Graves) – छोटे ताबूत जैसे पत्थर के बक्से।
- पत्थर के घेरे (Stone Circles) – दफन स्थलों को चिह्नित करने के लिए बड़े पत्थरों की गोलाकार व्यवस्था।
- कलश (Urn Burials) – बड़े मिट्टी के बर्तन जिनका उपयोग दाह संस्कार (Cremation) के अवशेषों को रखने के लिए किया जाता था।
- डोलमेन्स (Dolmens) – विशाल पत्थर के स्लैब से बनी टेबल जैसी संरचनाएं।
- डोलमेनॉइड सिस्ट (Dolmenoid Cists) – संलग्न कक्षों वाले डोलमेन्स का एक विशेष प्रकार।
महत्व
- केरल में मेगालिथिक दफन स्थलों की यह सबसे बड़ी खोज है, जो लौह युग के समाजों और उनके अंतिम संस्कार के रीति-रिवाजों को समझने में मदद करेगी।
- यह खोज दक्षिण भारत के अन्य महत्वपूर्ण मेगालिथिक स्थलों – कर्नाटक में ब्रह्मगिरी (Brahmagiri) और तमिलनाडु में आदिचनल्लूर (Adichanallur) से मेल खाती है।
प्रश्न - मेगालिथ (Megaliths) का प्रयोग किस लिए किया जाता था ?
(a) सड़क की दूरी निर्धारण के लिए
(b) दिशा ज्ञान के लिए
(c) शवों को दफनाने के लिए
(d) जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए
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