प्रारंभिक परीक्षा के लिए - नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, एनवीस्टैट्स इंडिया रिपोर्ट मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3 - पर्यावरण संरक्षण
संदर्भ
हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 'एनवीस्टैट्स (Envistats) इंडिया 2022' रिपोर्ट प्रकाशित की गयी।
इस रिपोर्ट में राज्यों द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना,ठोस कचरे के निपटान के कार्य पर प्रकाश डाला गया है।
दिल्ली
रिपोर्ट में सभी प्रकार के ठोस कचरे के स्रोत और गंतव्य का पता लगाने और गणना करने के लिए दिल्ली का उदाहरण लिया गया है।
2020-21 से संबंधित डेटा सभी 5 शहरी स्थानीय निकायों और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से एकत्र किया गया है।
दिल्ली में लगभग 85% नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW) घरों द्वारा और लगभग 15% दुकानों और रेस्तरां द्वारा उत्पन्न किया गया था।
एमएसडब्ल्यू में अत्यधिक सड़ने वाली सामग्री जैसे भोजन तथा पेड़ों की शाखाओं, पुराने उपकरणों की तरह भारी सामान और कागज, धातु, कांच, आदि जैसे धीरे-धीरे सड़ने वाले उत्पाद शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, लगभग 3200 टन खतरनाक कचरा भी दिल्ली में उत्पन्न हुआ, खतरनाक कचरे में कारखानों से कीचड़, औद्योगिक निर्माण प्रक्रियाओं और बैटरियों से निकलने वाला कचरा शामिल है।
इसमे से आधे ठोस कचरे को लैंडफिल में डाल दिया गया, जबकि बाकी आधे को रिसाइकिल कर दोबारा इस्तेमाल किया गया।
इसके अलावा, लगभग 22% प्लास्टिक कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित कर दिया गया, जबकि 37% को लैंडफिल में ले जाया गया।
रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि दिल्ली में ई-कचरे के लिए कोई उपचार और निपटान सुविधा नहीं है।
2020-21 में उत्पन्न 610 टन ई-कचरे में से, रिफर्बिशर्स ने 28.6 टन कचरा एकत्र किया और शेष कचरे का एकत्रीकरण थोक उपभोक्ताओं द्वारा किया गया।
अन्य राज्य
चूंकि 2020-21 का डेटा अन्य राज्यों के लिए उपलब्ध नहीं है, इसलिए आकलन 2019-20 के आंकड़ों के आधार पर किया गया है।
भारत में उत्पन्न नगरपालिका ठोस अपशिष्ट मे से लगभग 68% अपशिष्ट का प्रसंस्करण किया जाता है।
शीर्ष प्रदर्शन करने वाला राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्पादित एमएसडब्ल्यू के 98% तक का प्रसंस्करण कर रहा है।
छत्तीसगढ़ उत्पन्न नगरपालिका ठोस अपशिष्ट मे से लगभग 93% का प्रसंस्करण कर रहा है।
जबकि पश्चिम बंगाल ने केवल 9% नगरपालिका ठोस अपशिष्ट का प्रसंस्करण किया।
वर्ष 2018-19 में भारत में प्रति 1,000 जनसंख्या पर औसतन 2.5 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हुआ।
2018 में भारत में प्रति दिन लगभग 614 टन बायोमेडिकल कचरा उत्पन्न हुआ था।
देश भर में लगभग 87% बायोमेडिकल कचरे का प्रसंस्करण किया गया।
17 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही 100% बायो-मेडिकलवेस्ट ट्रीटमेंट हासिल कर लिया है।
इसके विपरीत, बिहार और छत्तीसगढ़ में केवल 29% बायो-मेडिकल कचरे का प्रसंस्करण किया गया।
भारत में उत्पन्न खतरनाक कचरा (2018 में) प्रति 1,000 लोगों पर 8.09 मीट्रिक टन था।
भारत में उत्पन्न खतरनाक कचरे में से केवल 45% का पुनर्नवीनीकरण/उपयोग किया गया।
अधिकांश राज्य इस सूचक में पीछे हैं, विश्लेषण किए गए 30 राज्यों में से, 13 राज्यों में 50% से कम का पुनर्चक्रण/उपयोग किया गया था; और 22 में, 75% से कम का पुनर्चक्रण/उपयोग किया गया था।