New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

भारत में अधिवास एवं आरक्षण संबंधित मुद्दा

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2; केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय)

चर्चा में क्यों

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने हालिया निर्णय में, देश के सरकारी मेडिकल महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर (PG) कोर्स में प्रवेश हेतु अधिवास आधारित आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है।

अधिवास (Domicile) की अवधारणा

  • सामान्य बोलचाल में अधिवास से तात्पर्य 'रहने की जगह' (Place of living)या स्थायी निवास (Permanant Residence) होता है।
    • हालाँकि, भारतीय कानून में अधिवास की अवधारणा इससे अलग है।
  • सर्वोच्च न्यायालय केअनुसार, ‘भारत में केवल एक ही अधिवास है, जिसे हम संविधान के अनुच्छेद-5 के तहत भारत के क्षेत्र में अधिवास के रूप में संदर्भित करते हैं’।
    • हम सभी भारत के क्षेत्र में निवास करते हैं और हम सभी भारत के निवासी हैं।
    • क्षेत्रीय या प्रांतीय अधिवास की अवधारणा भारतीय कानूनी प्रणाली के लिए विदेशी है।

अधिवास आरक्षण कोटा क्या है?

  • देश के सरकारी मेडिकल महाविद्यालयों में पी.जी. सीटों के लिए, केंद्र सरकार कुल प्रवेश के केवल 50% के लिए काउंसलिंग आयोजित करती है, जबकि शेष 50% सीटें राज्य काउंसलिंग निकायों द्वारा अपने स्वयं के नियमों के अनुसार भरी जाती हैं।
  • राज्य निकायों के लिए निर्धारित 50% सीटों में, राज्य 'अधिवासी' उम्मीदवारों के लिए कोटा निर्धारित करते हैं।

अधिवास आरक्षण संबंधित मामले के बारे में

  • संबंधित मामला : तन्वी बहल बनाम श्रेय गोयल वाद (2019)
    • यह वाद  पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस निर्णय के विरुद्ध अपील के रूप में था, जिसमें चंडीगढ़ सरकारी मेडिकल कॉलेज में पीजी सीटों का आरक्षण संवैधानिक रूप से अवैध और समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया गया था।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय 

  • न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अधिवास-आधारित आरक्षण अस्वीकार्य है, क्योंकि ऐसा आरक्षण संविधान के तहत नागरिकता और समानता के विचार के विपरीत है।
  • एम.बी.बी.एस. पाठ्यक्रमों में अधिवास आधारित आरक्षण एक निश्चित सीमा तक स्वीकार्य हो सकता है, लेकिन पी.जी. मेडिकल पाठ्यक्रमों में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।
  • पी.जी. मेडिकल कोर्स में विशेषज्ञ डॉक्टरों के महत्त्व  को देखते हुए, अधिवास के आधार पर उच्च स्तर पर आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा।
  • अगर इस तरह के आरक्षण की अनुमति दी जाती है, तो यह कई छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा, जिनके साथ सिर्फ़ इसलिए असमान व्यवहार किया जा रहा है क्योंकि वे संघ के दूसरे राज्य से हैं।
  • एक देश के नागरिक और निवासी के रूप में हमारा साझा बंधन हमें भारत में कहीं भी अपना निवास चुनने का अधिकार देने के साथ ही भारत में कहीं भी व्यापार और व्यवसाय या पेशा करने का अधिकार भी देता है। 
  • यह हमें भारत भर के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश लेने का अधिकार भी देता है।

संविधान में निवास के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था

  • अनुच्छेद 15 'जन्म स्थान' (Place of Birth) का उल्लेख करता है, जबकि अनुच्छेद 16 में कहा गया है कि किसी भी नागरिक के साथ, अन्य बातों के साथ-साथ, 'निवास' (Residence) के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। 
  • राज्य निवास के आधार पर सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण नहीं दे सकते। 
  • अनुच्छेद 16 (3) केवल संसद को राज्य विशेष में रोजगार के लिए निवास की आवश्यकता निर्धारित करने वाला कानून बनाने में सक्षम बनाता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR