डॉ राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसम्बर 1884 को बिहार के तत्कालीन सारण जिले (अब सीवान) के जीरादेई नामक गाँव में हुआ था।
डॉ राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
डॉ प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए औरस्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता बन गए।
उन्होंने क्रांतिकारी प्रकाशन सर्चलाइट और देश के लिए लेख लिखे और इन पत्रों के लिए धन एकत्र किया।
उन्होंने 1914 में बिहार और बंगाल में आई बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद करने में सक्रिय भूमिका निभाई।
अक्टूबर 1934 में बंबई सत्र के दौरान उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
महात्मा गांधी के समर्थक, प्रसाद को 1931 के नमक सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा कैद कर लिया गया था।
11 दिसंबर 1946 को उन्हें संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया।
1946 के संविधान सभा के चुनावों के बाद, प्रसाद ने केंद्र सरकार में खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया।
डॉ प्रसाद 1952 और 1957 में लगातार दो बार राष्ट्रपति निर्वाचित हुए और यह उपलब्धि हासिल करने वाले वह भारत के एकमात्र राष्ट्रपति हैं।
1962 में अवकाश प्राप्त करने पर उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
राजेन्द्र बाबू ने अपनी आत्मकथा (1946) के अतिरिक्त कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें बापू के कदमों में बाबू (1954), इण्डिया डिवाइडेड (1946), सत्याग्रह ऐट चम्पारण (1922), गांधी की देन, भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र इत्यादि उल्लेखनीय हैं।
28 फरवरी 1963 को पटना के सदाक़त आश्रम में राजेन्द्र प्रसाद का निधन हो गया।