रूस-यूक्रेन संघर्ष में एक नए घातक हथियार का प्रयोग किया है जिसे ‘ड्रैगन ड्रोन’ (Dragon Drones) नाम दिया गया है।
‘ड्रैगन ड्रोन’ के बारे में
- ड्रैगन ड्रोन मूलतः ‘थर्माइट’ नामक पदार्थ छोड़ते हैं जो एल्युमीनियम एवं आयरन ऑक्साइड का मिश्रण है।
- इसका निर्माण एक शताब्दी पहले रेल की पटरियों की वेल्डिंग करने के लिए किया गया था।
- इस ड्रोन का उपयोग एक पिघली हुई धातु उत्सर्जित करने के लिए जाना जाता है जो 2,427 डिग्री सेल्सियस पर जलती है और वस्तुतः अग्निपात करती है।
- इसे आमतौर पर विद्युत फ्यूज की मदद से प्रज्ज्वलित किया जाता है जिससे यह थर्माइट अभिक्रिया को ट्रिगर करता है जिसे बुझाना काफी मुश्किल होता है।
- यह कपड़ों से लेकर वृक्षों व सैन्य-ग्रेड वाहनों तक लगभग किसी भी चीज़ को जला सकता है और यहाँ तक कि पानी के नीचे भी जल सकता है।
- मनुष्यों में यह गंभीर व घातक जलन और हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है।
हथियारों में थर्माइट का प्रयोग
- थर्माइट का प्रयोग दोनों विश्व युद्धों में किया गया था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मन ज़ेपेलिंस ने थर्माइट से भरे बम गिराए थे जिन्हें उस समय एक नवाचार माना जाता था।
- द्वितीय विश्व के दौरान थर्माइट से भरे हुए उच्च ज्वलनशील विस्फोटक मित्र राष्ट्रों और धुरी राष्ट्रों की हवाई बमबारी अभियानों का अभिन्न अंग बन गए थे।
- युद्ध के दौरान तोपखाने के टुकड़ों को निष्क्रिय करने के लिए बिना विस्फोट के थर्माइट हैंड ग्रेनेड का भी इस्तेमाल किया गया।
- वर्तमान में थर्माइट का उपयोग प्रायः जासूसी एजेंटों या विशेष ऑपरेशन टीमों द्वारा किया जाता है क्योंकि यह बिना किसी धमाके के तीव्रता से जलता है।
- युद्ध में थर्माइट का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत प्रतिबंधित नहीं है। हालाँकि, नागरिक लक्ष्यों के खिलाफ ऐसे अग्निकारक हथियारों का उपयोग कुछ पारंपरिक हथियारों पर अभिसमय के तहत वर्जित है।