चर्चा में क्यों ?
- 8 जुलाई 2022 को कृषि मंत्रालय ने कमलम (ड्रैगन फ्रूट) पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है।
- इस कॉन्क्लेव का लक्ष्य ड्रैगन फ्रूट के क्षेत्र, उत्पादन और उत्पादकता, विपणन और ब्रांडिंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि करना हैं।
- आईसीएआर-राष्ट्रीय अजैविक तनाव प्रबंधन संस्थान पहले ही इस फल को निम्नीकृत मिट्टी और वर्षा सिंचित दोनों क्षेत्रों में उगाने के विभिन्न पहलुओं पर शोध कर चुका है।
- यह फल आमतौर पर थाईलैंड, श्रीलंका, इज़राइल और वियतनाम में उगाया जाता है, लेकिन अब धीरे-धीरे भारत में गति प्राप्त कर रहा है।
ड्रैगन फ्रूट के बारे में :
- मध्य और दक्षिण अमेरिका का मूल निवासी है।
- यह कैक्टस परिवार का है।
- इसे पपीता या स्ट्रॉबेरी नाशपाती के नाम से भी जाना जाता है।
- ड्रैगन फ्रूट की खेती पेरू, मैक्सिको, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, कैरिबियन, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और दुनिया के सभी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है।
- ड्रैगन फ्रूट एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन का अच्छा स्रोत है, इसमें कैलोरी और फैट कम होता है।
आवश्यक जलवायु दशाएं :
- इन फसलों का एक प्रमुख गुण यह है कि यह चरम तापमान और सबसे खराब मिट्टी में उग सकता है, लेकिन उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त है।
- 40-60 सेमी की वार्षिक वर्षा वृद्धि के लिए सबसे उपयुक्त है।
- 20°C से 30°C के बीच का तापमान सबसे अच्छा माना जाता है।
मिट्टी की आवश्यकता :
- ड्रैगन फ्रूट को लगभग किसी भी मिट्टी पर उगाया जा सकता है, हालांकि अच्छी सिंचाई वाली रेतीली मिट्टी सर्वाधिक उपयुक्त है।
- अच्छी फसल के लिए मिट्टी का पीएच 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए।
रोपण
- दो विधियाँ हैं-
- पहला, बीज का उपयोग है।
- दूसरा, पौधे के नमूने से कटिंग का उपयोग करना है।