चर्चा में क्यों
हाल ही में, माल एवं सेवा कर (GST) परिषद् ने ई-चालान कारोबार की सीमा को 20 करोड़ से घटाकर 10 करोड़ रुपए करने का निर्णय लिया है।
हालिया निर्णय
- 1 अक्टूबर, 2022 से 10 करोड़ रुपए या उससे अधिक के वार्षिक टर्नओवर वाले कारोबारियों को बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन के लिये ई-चालान जनरेट करना होगा।
- केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes and Customs : CBIC) ने 1 अगस्त को यह अधिसूचना जारी कर दी है।
ई-चालान
- ई-चालान प्रणाली जी.एस.टी. पंजीकृत व्यक्तियों के लिये चालान पंजीकरण पोर्टल (Invoice Registration Portal : IRP) पर सभी बी2बी चालान अपलोड करने के लिये है।
- आई.आर.पी. उपयोगकर्ता को एक अद्वितीय चालान संदर्भ संख्या (Invoice Reference Number : IRN), डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित ई-चालान और क्यू.आर. कोड प्रदान करता है।
- ई-चालान प्रक्रिया का पालन करने के बाद खरीदार को अधिसूचित आपूर्तिकर्ता द्वारा जारी चालान की प्रति को सामान्यत: 'ई-चालान' कहा जाता है।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र इकाइयां, बीमा, बैंकिंग (एन.बी.एफ.सी. सहित), माल परिवहन एजेंसियां (माल ढुलाई में सड़क मार्ग से माल परिवहन), यात्री परिवहन सेवाएं और मल्टीप्लेक्स सिनेमा में प्रवेश ई-चालान प्रणाली से मुक्त हैं।
- गौरतलब है कि जी.एस.टी. चालान केवल वैध आई.आर.एन. के साथ ही मान्य होता है।
जी.एस.टी. के तहत ई-चालान की शुरुआत
- सितंबर 2019 में जी.एस.टी. परिषद की बैठक के दौरान ई-चालान मानक को मंजूरी दी गई थी। अक्टूबर 2020 से 500 करोड़ रुपए से अधिक कारोबार करने वाली कंपनियों के लिये बी2बी लेनदेन के लिये ई-चालान अनिवार्य कर दिया गया था।
- इस सीमा को धीरे-धीरे घटाकर कर 20 करोड़ रुपए से अधिक कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि सी.बी.आई.सी. ई-चालान जनरेट करने के लिये टर्नओवर सीमा को 5 करोड़ रुपए तक लाने की योजना बना रहा है।
ई-चालान कारोबारी सीमा में कमी के निहितार्थ
- अधिकारियों के पास वास्तविक समय में डाटा तक पहुंच के कारण करदाताओं में भ्रष्टाचार को कम करने और धोखाधड़ी को रोकने में मददगार।
- रिटर्न का पूर्व-निपटान करने, सुलह की समस्याओं को कम करने और कर-अपवंचन को रोकने में सहायक।
- बेमेल त्रुटियों को हल करना और कर चोरी की जांच करना।
- नियमों का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करना।