प्रारंभिक परीक्षा: सोलर ई-वेस्ट मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : ई-वेस्ट |
संदर्भ:
- कार्बन उत्सर्जन को कम करने में एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में माने जाने वाले सौर पैनल, अब निपटान और प्रतिस्थापन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं क्योंकि ये केवल 25 वर्षों तक ही चलते हैं।
सोलर ई-वेस्ट क्या है?
- सोलर ई-वेस्ट का तात्पर्य बेकार हुए सौर पैनलों के इलेक्ट्रॉनिक कचरे से है। चूंकि सौर पैनलों का जीवनकाल 20-25 वर्ष तक सीमित होता है, इसलिए इसके बाद उत्पन्न इलेक्ट्रॉनिक कचरे के प्रबंधन के बारे में एक नई चिंता पैदा करता है।
किनसे बना होता है सोलर पैनल?
- एक फोटोवोल्टिक (PV) मॉड्यूल में कांच, विभिन्न धातु, सिलिकॉन और मिश्रित धातुओं से बना होता है।
- ग्लास और एल्युमीनियम, कुल वजन का लगभग 80% होते हैं और इनसे खतरा नहीं होता।
- लेकिन पॉलिमर, धातु, धातु के यौगिकों और मिश्र धातुओं सहित कुछ अन्य सामग्रियों को संभावित खतरे के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
वर्तमान स्थिति:
- पीवी मॉड्यूल रीसाइक्लिंग अभी भी व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं है
- पीवी अपशिष्ट पुनर्चक्रण अभी भी विश्व स्तर पर प्रारंभिक अवस्था में है
- भारत के पास सौर अपशिष्ट प्रबंधन की कोई नीति नहीं है, लेकिन सौर ऊर्जा के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है।
- भारत के पीवी (फोटोवोल्टिक) कचरे की मात्रा 2030 तक 2,00,000 टन और 2050 तक लगभग 2 मिलियन टन तक बढ़ने का अनुमान है।
सोलर ई-वेस्ट प्रबंधन के मुद्दे:
- भारत सहित कई देशों में विशेष रूप से सोलर ई-वेस्ट प्रबंधन से संबंधित व्यापक नीतियों और विनियमों का अभाव है।
- अपर्याप्त पुनर्चक्रण संयंत्र और बुनियादी ढाँचा।
- सौर पैनल को पुनर्चक्रित करने में $20 से $30 के बीच खर्च होता है, जबकि इसे मिट्टी में दबाने की लागत $1से $2 है।
- सौर पैनलों में जहरीली धातुएं और खनिज होते हैं जो ठीक से प्रबंधित न होने पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- लोगों के बीच जागरूकता की कमी और रीसाइक्लिंग नियमों के अपर्याप्त प्रवर्तन।
- मिट्टी के भीतर सौर कचरे का अनुचित निपटान, पर्यावरणीय जोखिम पैदा कर सकता है।
- छोड़े गए सौर पैनलों में चांदी, तांबा और सेमीकंडक्टर-ग्रेड क्वार्ट्ज जैसी मूल्यवान सामग्री होती है।
सरकार की पहल:
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नवंबर 2022 में ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022 के तहत सौर अपशिष्ट उपचार को भी जोड़ दिया है।
- ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम: पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (1986) के तहत शुरू किया गया और बजट 2022-2023 में घोषित किया गया, इसका उद्देश्य हरित विकास और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देना है।