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ईगल अधिनियम और अप्रवासी भारतीय

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 2 : भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय)

संदर्भ

हाल ही में,प्रतिनिधि सभा में अमेरिका के लिये‘ स्थायी निवास वीज़ा’ या ‘ग्रीन कार्ड’प्राप्त करने के लिये एक विधेयक प्रस्तुत किया गया। इसमें विश्व के अन्य देशों के निवासियों के लिये ‘स्थायी निवास वीज़ा’ की अधिकतम संख्या (कैप) को हटाने का प्रावधान है।

ईगल अधिनियम

  • डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी के दो सांसदोंने ‘कानूनी रोज़गार के लिये ग्रीन कार्ड की समान पहुँच अधिनियम, 2021’(EAGLE- ईगल) को पेश किया। इससे अमेरिकी नियोक्ता आप्रवासियों को रोज़गार प्रदान करते समय उनके जन्मस्थान की अपेक्षा उनकी योग्यता को अधिक महत्त्व दे पाएंगे। यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिये लाभप्रद साबित होगा।
  • अमेरिका में रोज़गार-आधारित अप्रवासी वीज़ा पर कैप हटाने की माँग करनेवाला यह विधेयक भारतीयों के लिये मददगार साबित हो सकता है। यह विधेयक नौकरी चाहने वाले उन भारतीयों के लिये फायदेमंद होगा जो वर्तमान में अस्थायी वीज़ा पर निर्भर हैं या अमेरिका में काम करने के लिये ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं।

ईगल अधिनियम और प्रति-देश की अधिकतम सीमा

  • इस अधिनियम मेंरोज़गार-आधारित अप्रवासी वीज़ा पर प्रति देश 7 प्रतिशत की सीमा को समाप्त करने की माँग की गई है।साथ ही, इसमें परिवार-प्रायोजित वीज़ा(Family-Sponsored Visas) पर प्रति देश की सीमा को 7 प्रतिशत से बढ़ाकर15 प्रतिशत करने के साथ-साथ इस सीमा को समाप्त करने के लिये 9 वर्ष की अवधि का प्रावधानहै।
  • 7 प्रतिशत की यह सीमा 20वीं शताब्दी के मध्य में प्रस्तुत की गई थी और इस कारण अपेक्षाकृत कम आबादी वाले देशों को भी अधिक आबादी वाले देशों के समान संख्या में ही वीज़ा आवंटित किया जाता है।
  • इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान देने और रोज़गार सृजन कर सकने वाले अधिक आबादी वाले देशों के असाधारण योग्यता वाले व्यक्ति को एक छोटे देश के कम योग्यता वाले व्यक्ति की तुलना में अधिक इंतजार करना पड़ताहै।

भारतीय दृष्टिकोण से इसका महत्त्व

  • कैटो इंस्टीट्यूट नामक थिंक-टैंक की मार्च 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, रोज़गार-आधारित वीज़ा के लिये बैकलॉग में 75 फीसदी भारतीय शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी स्थिति में सभी बैकलॉग भारतीय श्रमिकों को रोज़गार-वीज़ा प्राप्त करने के लिये नौ दशकों तक लंबा इंतजार करना पड़ेगा। इस प्रकार, ग्रीन कार्ड प्राप्त करने से पहले ही भारतीयों के 200,000 से अधिक प्रार्थना-पत्र अस्तित्वहीन हो सकते है।
  • ईगल अधिनियम में प्रति-देश उच्चतम सीमा को समाप्त कर दिया जाएगा, जो रोज़गार-आधारित ग्रीन कार्ड के लिये आवेदन में तेज़ी ला सकता है।
  • हालाँकि,सबसे अधिक संख्या में भारत और चीन के आवेदक होते हैं, इसलिये ईगल अधिनियम में ‘लोअर एडमिशन स्टेट्स' के लिये9 वित्तीय वर्षों तक वीज़ा आरक्षित करने का भी प्रयास है। 30 प्रतिशत रोज़गार-आधारित वीज़ा को पहले वित्तवर्ष में आरक्षित किया जाएगा और सातवें, आठवें और नौवें वित्तवर्ष में इसे घटाकर पाँच प्रतिशत कर दिया जाएगा।
  • साथ ही, विधेयक में इस बात का भी प्रावधान है कि 9 वित्तीय वर्षों में ‘कोई भी देश 25 प्रतिशत से अधिक आरक्षित वीज़ा प्राप्त नहीं कर सकता है और कोई भी देश 85 प्रतिशत से अधिक अनारक्षित वीज़ा प्राप्त नहीं कर सकता है।

ईगल अधिनियम से पूर्व के प्रयास

  • इसी तरह का ‘उच्च कुशल आप्रवासियों के लिये निष्पक्षता अधिनियम’ (HR1044) जुलाई 2019 में प्रतिनिधि सभा द्वारा अत्यधिक समर्थन के साथ पारित किया गया था। उक्त विधेयक में इसी तरह के प्रावधानों को लागू करने की माँग की गई थी।
  • इसी विधेयक का दूसरा संस्करण (S386) कॉन्ग्रेस के 116वें सत्र में सीनेट द्वारा पारित किया गया था। इसके समर्थकों में वर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और रिपब्लिकन मिट रोमनी शामिल हैं।
  • हालाँकि, यह प्रयास विफल हो गया था। इनमें दो बिंदुओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया था। इनमें ‘अगले दशक के लिये ग्रीन कार्ड प्राप्त कर सकने वाले H-1B वीज़ा वाले अप्रवासियों की कुल संख्या पर आधारितएक नई तरह की उच्चतम सीमा’और ‘आप्रवासन चाहने वाले चीनी नागरिकों के लिये सख्त प्रतिबंध’ शामिल था।
  • वर्तमान में प्रस्तुत ईगल अधिनियम विधेयक में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।इसे कानून का रूप देने के लिये प्रतिनिधि सभा और सीनेट से पारित कराने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर की आवश्यकता है।
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