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क्षुद्रग्रहों से पृथ्वी को खतरा : चिंता और वास्तविकता

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, प्राकृतिक भूगोल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 व 3 : भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ, अंतरिक्ष)

चर्चा में क्यों?

सितम्बर के प्रथम सप्ताह में क्षुद्रग्रह ‘465824 2010 FR’ के पृथ्वी की कक्षा से पार होकर गुज़रने की उम्मीद के चलते क्षुद्रग्रहों से पृथ्वी को हो सकने वाले नुकसान पर चर्चा शुरू हो गई है।

पृष्ठभूमि

इस क्षुद्रग्रह का आकार गीज़ा के पिरामिड का दोगुना है और सम्भावित खतरों के कारण इसको एक खतरनाक क्षुद्रग्रह के रूप में वर्णित किया जा रहा है। 2010 FR प्रत्येक 440 दिन में सूर्य की परिक्रमा करता है। कैटालिना स्काई सर्वे द्वारा इस क्षुद्रग्रह की खोज मार्च 2010 में की गई थी। नासा के अनुसार इस क्षुद्रग्रह से होने वाला जोखिम काफी कम है क्योंकि यह पृथ्वी से 4.6 मिलियन मील से अधिक दूरी से गुज़र रहा है, जो कि पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी से 19 गुना अधिक है।

क्षुद्रग्रह

  • क्षुद्रग्रह, सूर्य की परिक्रमा करने वाले चट्टानी पिंड हैं, जो ग्रहों की तुलना में बहुत छोटे होते हैं।इन्हें ‘लघु ग्रह’ भी कहा जाता है। इसका नामकरण ‘अंतर्राष्ट्रीय खगोल संघ’ (IAU) द्वारा किया जाता है।
  • ग्रहों और सूर्य के निर्माण एवं इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये इनका अध्ययन किया जाता है। साथ ही इन्हें ट्रैक करने का एक अन्य कारण उन क्षुद्रग्रहों की तलाश करना है, जो सम्भावित रूप से खतरनाक हो सकते हैं।
  • नासा के अनुसार ज्ञात क्षुद्रग्रहों की संख्या 994,383 है,जो 4.6 अरब वर्ष पूर्व सौरमंडल के गठन से प्राप्त हुए अवशेष हैं।
  • क्षुद्रग्रहों को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता हैं। पहले वर्ग में उन क्षुद्रग्रहों को रखा जाता है, जो मंगल और बृहस्पति के मध्य मुख्य क्षुद्रग्रह पेटी में पाए जाते हैं।इस पेटी में क्षुद्रग्रहों की अनुमानित संख्या 1.1 से लेकर 1.9 मिलियन के बीच हो सकती है।
  • दूसरा समूह ट्रोज़न का है। ये ऐसे क्षुद्रग्रह हैं, जो किसी बड़े ग्रह की कक्षा साझा करते हैं। नासा ने जूपिटर, नेपच्यून और मार्स ट्रोज़न की उपस्थिति के बारे में बताया है। वर्ष 2011 में नासा ने अर्थ ट्रोज़न की उपस्थिति के बारे में जानकारी दी।
  • क्षुद्र ग्रहों के तीसरे वर्गीकरण में पृथ्वी के निकट के क्षुद्रग्रह अर्थात नियर-अर्थएस्टेरॉइड’(NEA) आते हैं, जो परिक्रमा के दौरान पृथ्वी के करीब से गुज़रते हैं। ऐसे क्षुद्रग्रह, जो पृथ्वी की कक्षा को पार करते हैं उन्हें ‘पृथ्वी-पारीय’ (Earth-Crossers) कहा जाता है। ऐसे क्षुद्रग्रहों की ज्ञात संख्या 10,000 से अधिक है। इनमें से 1,400 से अधिक क्षुद्रग्रहों को ‘सम्भावित खतरनाक क्षुद्रग्रहों’ (PHAs) के रूप में वर्गीकृत किया गया हैं।

क्षुद्रग्रहों से पृथ्वी को होने वाले खतरे का स्तर

  • द प्लैनेटरी सोसाइटी के एक अनुमान के अनुसार लगभग 1 बिलियन क्षुद्रग्रह ऐसे है, जिनका व्यास 1 मीटर से अधिक है। 30 मीटर से बड़े आकार के क्षुद्रग्रह पृथ्वी को प्रभावित करते हुए महत्त्वपूर्ण नुकसान का कारण बन सकते हैं।
  • नासा के ‘नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट ऑब्जर्वेशन प्रोग्राम’ के अनुसार 140 मीटर या उससे बड़े आकार के क्षुद्रग्रह(एक मध्यम आकार के फुटबॉल स्टेडियम के बराबर) सबसे बड़ी चिंता का विषय हैं क्योकिं तबाही के स्तर के कारण वे अधिक प्रभाव पैदा करने में सक्षम है।
  • हालाँकि, यह ध्यान देने योग्य है कि 140 मीटर से बड़े किसी भी क्षुद्रग्रह के अगले 100 वर्षों तक पृथ्वी से टकराने की कोई बड़ी सम्भावना नहीं है।
  • एक किमी. या उससे अधिक व्यास के क्षुद्रग्रह विनाशकारी विश्वव्यापी प्रभाव पैदा करने में सक्षम हैं। हालाँकि, ये एक लाख वर्षों में एक बार पृथ्वी को प्रभावित करते हैं और अत्यंत दुर्लभ होते हैं।
  • चिक्ज़ुलुब (Chicxulub)की घटना ने मैक्सिको की खाड़ी को काफी प्रभावित किया था। यह पृथ्वी से 66 मिलियन वर्ष पूर्व टकराने वाला 10 किमी. व्यास का एक अंतरिक्ष पिंड था। यह अधिकत रडायनासोर प्रजातियों के अचानक विलुप्त होने का कारण बना था।

क्या सभी अंतरिक्ष पिंड खतरनाक हैं?

  • सभी अंतरिक्ष पिंड पृथ्वी के लिये ख़तरनाक नहीं है क्योंकि नासा के अनुसार पृथ्वी पर प्रत्येक दिन अंतरिक्ष से 100 टन से अधिक धूल और रेत के आकार के कण आते रहते हैं।
  • प्रत्येक वर्ष एक कार के आकार का क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है और पृथ्वी की सतह पर पहुँचने से पहले जल कर नष्ट हो जाता है।

क्षुद्रग्रहों को विक्षेपित करने का तरीका

  • वैज्ञानिकों ने क्षुद्रग्रहों से उत्पन्न होने वाले गम्भीर खतरों को दूर करने के लिये अलग-अलग तरीके सुझाए हैं।इन उपायों में पृथ्वी पर पहुँचने से पहले क्षुद्रग्रह में विस्फोट करनाया किसी अंतरिक्ष यान से टक्कर मारकर उसके पथ में विचलन पैदा करना है।
  • अब तक का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय ‘क्षुद्रग्रह प्रभाव और विक्षेपण आकलन’ (AIDA)है, जिसमें नासा का ‘दोहरा क्षुद्रग्रह पुनर्निर्देशन परीक्षण’ (DART)मिशन और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का हेरा (HERA) शामिल हैं।
  • इस मिशन का लक्ष्य ‘डिडिमॉस’ (Didymos) नामक एक दोहरा‘नियर-अर्थएस्टेरॉइड’ है। पिंडों के इस निकाय में से एक का आकार पृथ्वी के लिये महत्त्वपूर्ण खतरा पैदा कर सकता है।
  • वर्ष 2018 में नासा ने DART का निर्माण प्रारम्भ होने की घोषणा की, जिसको वर्ष 2021में लॉन्च किया जाना है। इसका लक्ष्य वर्ष 2022 में लगभग 6 किमी. प्रति सेकंड की गति से डिडिमॉस सिस्टम के छोटे क्षुद्रग्रह में शक्तिशाली प्रहार करना है।
  • ‘हेरा’ को वर्ष 2024 में लॉन्च किया जाना है, जो वर्ष 2027 में डिडिमॉस सिस्टम में पहुँचेगा। इसका उद्देश्य DART के टक्कर के प्रभाव से निर्मित क्रेटर को मापना और क्षुद्रग्रह के कक्षीय प्रक्षेपवक्र में परिवर्तन का अध्ययन करना है।

निष्कर्ष

नासा के अनुसार वास्तव में किसी अंतरिक्ष पिंड से किसी सभ्यता के नष्ट होने का जोखिम अत्यंत कम है और ऐसी घटनाएँ कुछ मिलियन वर्षों में एक बार ही होती हैं। साथ ही धूमकेतुओं (Comet) से पृथ्वी को क्षति पहुँचने की सम्भावना भी काफ़ी कम है। ऐसी सम्भावना पाँच लाख वर्षों में लगभग एक बार उत्पन्न होती है।

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