इसरो ने 15 अगस्त को 8वां पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (Earth Observation Satellites- 8 : EOS-8) लॉन्च करने की घोषणा की है।
क्या होते हैं पृथ्वी अवलोकन उपग्रह
- पृथ्वी अवलोकन उपग्रह वे उपग्रह हैं जो अंतरिक्ष से पृथ्वी पर घटित विभिन्न घटनाओं का अवलोकन करते हैं।
- इन्हें पृथ्वी सुदूर संवेदन उपग्रह भी कहा जाता है और इनका उपयोग या डिज़ाइन कक्षा से भू प्रेक्षण (Earth Observation) के लिए किया जाता है।
- इसमें जासूसी उपग्रह और गैर-सैन्य उपयोग जैसे पर्यावरण निगरानी, मौसम विज्ञान, मानचित्रण और अन्य के लिए अभिप्रेत समान उपग्रह शामिल होते हैं।
- उपयोगिता : ये उपग्रह पर्यावरण की निगरानी और सुरक्षा करने, संसाधनों का प्रबंधन करने, वैश्विक मानवीय आपदाओं को संबोधित करने और सतत विकास को सक्षम करने में मदद करते हैं।
- इसके अलावा कई अन्य क्षेत्रों पर आवश्यक जानकारी प्रदान करते हैं, जैसे : महासागर की लवणता, बर्फ की मोटाई, फसल स्वास्थ्य और वायु गुणवत्ता आदि।
- प्रकार : ई.ओ.एस को छवियों को कैप्चर करने के तरीके के आधार पर दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है: निष्क्रिय और सक्रिय।
- निष्क्रिय उपग्रह पृथ्वी की सतह से परावर्तित दृश्य प्रकाश व अवरक्त विकिरण के आधार पर जानकारी प्रदान करते है। ये उपग्रह सामान्यतः बादलों में काम नहीं करते हैं।
- सक्रिय उपग्रह पृथ्वी की ओर ऊर्जा संचारित करते हैं और वापस आये सिग्नल को मापते हैं जो पृथ्वी की सतह के बारे में जानकारी प्रदान करता है। ये उपग्रह किसी भी मौसम में काम करने में सक्षम होते हैं।
ई.ओ.एस-8 के बारे में
- कक्षा : इसे 475 किमी. की ऊंचाई और 37.4 डिग्री के झुकाव वाली एक गोलाकार निम्न-पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थापित किया जाना है।
- प्रेक्षण यान : लघु उपग्रह प्रमोचन यान (SSLV-D3)
- कार्यावधि : इसका मिशन अवधि एक वर्ष है।
- मिशन का उद्देश्य :
- देश और दुनिया को आपदा निगरानी, पर्यावरण निगरानी, आग का पता लगाने, ज्वालामुखी गतिविधि जैसी गतिविधियों का अवलोकन करना और सूचना देना।
- मिशन को दिन और रात दोनों समय काम करने के लिए बनाया गया है।
- पेलोड :
- इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रारेड पेलोड (EOIR) : यह मिड-वेव आईआर (MIR) और लॉन्ग-वेव आईआर (LWIR) बैंड दोनों में छवियाँ लेने में सक्षम। इसका उपयोग उपग्रह-आधारित निगरानी, आपदा निगरानी, पर्यावरण अवलोकन, आग का पता लगाने, ज्वालामुखी गतिविधि ट्रैकिंग और औद्योगिक और बिजली संयंत्र से संबंधित आपदाओं की निगरानी के लिए किया जाता है।
- ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R) : समुद्री सतह वायु विश्लेषण, मृदा नमी मूल्यांकन, हिमालयी क्षेत्र में क्रायोस्फीयर अनुसंधान, बाढ़ का पता लगाने और अंतर्देशीय जल निकायों की निगरानी आदि में उपयोगी।
- एसआईसी यूवी डोसिमीटर (SiC UV Dosimeter) : इसे गगनयान मिशन में क्रू मॉड्यूल व्यूपोर्ट पर UV विकिरण की निगरानी के लिए डिज़ाइन किया गया है।