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पृथ्वी पर्यवेक्षण उपग्रह (EOS-01)

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत द्वारा लगभग एक वर्ष बाद पहला अंतरिक्ष मिशन प्रक्षेपित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इसरो द्वारा ई.ओ.एस.-01 (Earth Observation Satellite-01 : EOS-01) नामक उपग्रह को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया है, जो की एक पृथ्वी पर्यवेक्षण उपग्रह है।
  • EOS-01 रडार इमेजिंग सैटेलाइट (RISAT) की ही तरह है जो पिछले वर्ष लॉन्च किये गए RISAT-2B और RISAT-2BR1 के साथ मिलकर कार्य करेगा।
  • EOS-01 को विदेशी देशों के नौ उपग्रहों के साथ PSLV रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया है।
  • इस मिशन में नौ विदेशी उपग्रहों में से चार-चार उपग्रह अमेरिका और लक्समबर्ग के हैं, जबकि एक अन्य लिथुआनिया का है।
  • उल्लेखनीय है कि इसरो ने इस वर्ष जनवरी में संचार उपग्रह जीसैट-30 (GSAT-30) को फ्रेंच गुयाना से प्रक्षेपित किया था, जिसके लिये एक एरियन रॉकेट का उपयोग किया गया था।

पृथ्वी पर्यवेक्षण उपग्रह (EOS-01) के कार्य

  • भूमि व वनों का मानचित्रण तथा निगरानी
  • ​​संसाधनों का मानचित्रण, जैसे- जल, खनिज या मछलियाँ
  • मौसम एवं जलवायु अवलोकन
  • मृदा का आकलन तथा भू-स्थानिक मानचित्रण

नामकरण की नई पहल

  • EOS-01 को प्रारम्भ में RISAT-2BR2 नाम दिया गया था। इसका उद्देश्य सभी मौसम में चौबीस घंटे हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियों को प्राप्त करना था।
  • EOS-01 के नामकरण के साथ इसरो अपने पृथ्वी पर्यवेक्षण उपग्रहों के नामकरण हेतु एक नई प्रणाली की ओर बढ़ रहा है। अब तक इनका नामकरण उपग्रह के उद्देश्य व थीम के आधार पर किया जाता है।
  • उदाहरणस्वरुप उपग्रहों की कार्टोसैट (Cartosat) श्रृंखला भूमि स्थलाकृति और मानचित्रण के लिये डाटा प्रदान करने से सम्बंधित था, जबकि ओशनसैट (Oceansat) उपग्रह समुद्र के पर्यवेक्षण के लिये था।
  • इनसैट श्रृंखला, रिसोर्ससैट श्रृंखला, जी.आई.एस.ए.टी. (GISAT) और स्कैटसैट (Scatsat) भी पृथ्वी पर्यवेक्षण उपग्रह हैं। इनका नामकरण इनके द्वारा प्रदत्त विशिष्ट सेवाओं या इन सेवाओं के लिये प्रयुक्त अलग-अलग उपकरणों के आधार पर किया गया है।

रडार इमेजिंग

  • RISAT-2B और RISAT-2BR1 की तरह EOS-01 भी भूमि की उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियों को प्राप्त करने के लिये एक्स-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (Synthetic Aperture Radars) का उपयोग करता है।
  • उल्लेखनीय है कि सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) रडार का एक रूप है, जिसका उपयोग वस्तुओं के दो-आयामी चित्र या त्रि-आयामी संरचना बनाने के लिये किया जाता है।
  • रडार इमेजिंग में प्रयुक्त ऑप्टिकल उपकरण अत्यंत लाभकारी है क्योंकि यह मौसम, बादल, कोहरे या सूर्य की कम रोशनी से अप्रभावित रहता है। इससे सभी परिस्थितियों में तथा प्रत्येक समय उच्च-गुणवत्ता वाली छवियाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
  • इन रडार द्वारा प्रयोग किये जाने वाले विद्युत चुम्बकीय विकिरण के तरंग दैर्ध्य के आधार पर भूमि के विभिन्न गुणों की छवियों को प्राप्त किया जा सकता है।
  • EOS-01 और RISATs, एक्स-बैंड रडार का उपयोग करते हैं जो निम्न तरंग दैर्ध्य पर कार्य करते हैं। ये शहरी भू-दृश्यों की निगरानी और कृषि या वन भूमि की इमेजिंग के लिये सबसे अच्छे माने जाते हैं।
  • इसरो के अनुसार EOS-01 कृषि, वानिकी और आपदा प्रबंधन में सहायक सिद्ध होगा।

नए रॉकेट का प्रयोग

  • EOS-01 के प्रक्षेपण के लिये ISRO ने अपने PSLV रॉकेट के एक नए संस्करण का उपयोग किया है। इससे पूर्व केवल एक बार ऐसे रॉकेट का प्रयोग पिछले वर्ष जनवरी में माइक्रोसेट-आर उपग्रह के लिये किया गया था।
  • पी.एस.एल.वी. के इस संस्करण में उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के बाद रॉकेट का अंतिम चरण व्यर्थ (Waste) नहीं जाता है। रॉकेट का अंतिम चरण अपनी स्वयं की कक्षा प्राप्त (उपार्जित) कर सकता है और अंतरिक्ष में प्रयोग व परीक्षण करने के लिये एक कक्षीय मंच के रूप में उपयोग किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि रॉकेट का अंतिम चरण उपग्रह के अलग होने के बाद शेष रहता है।
  • वास्तव में चौथा चरण एक अन्य उपग्रह की तरह कार्य करता है, जिसका जीवन काल लगभग छह महीने का होता है।

कोरोनावायरस का प्रभाव

इसरो ने वर्ष 2020-21 में 20 से अधिक उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना बनाई थी। इसमें आदित्य एल1 (सूर्य के लिये प्रथम खोजपूर्ण अभियान) जैसे मिशन और मानव रहित गगनयान (भारत के प्रथम मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान का अग्रगामी) शामिल है। इन सब अभियानों में कोरोनावायरस के कारण देरी हुई है।

प्री फैक्ट :

  • PSLV की यह 51वीं उड़ान थी। अभी तक इसके केवल दो प्रक्षेपण ही असफल हुए हैं।
  • माइक्रोसेट-आर उपग्रह का प्रयोग पिछले वर्ष भारत के प्रथम एंटी-सैटेलाइट टेस्ट (A-SAT) में किया गया था।
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