प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिकी, पृथ्वी योजना, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
संदर्भ:
05 जनवरी 2024 को केंद्र सरकार द्वारा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की व्यापक योजना ‘पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी)’ के कार्यान्वयन को स्वीकृति मिली।
प्रमुख बिंदु:
- पृथ्वी (PRITHVI) योजना का विस्तृत नाम ‘पृथ्वी विज्ञान’ (PRITHvi VIgyan) योजना है।
- इसे वर्ष 2021-26 की अवधि की इस योजना के कार्यान्वयन के लिए ₹4,797 करोड़ की मंजूरी दी गई।
- इस योजना की पांच उप-योजनाएँ हैं, जिसमें शामिल हैं-
- वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग अवलोकन प्रणाली और सेवाएँ (ACROSS)
- महासागर सेवाएँ, मॉडलिंग अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (O-SMART)
- ध्रुवीय विज्ञान और क्रायोस्फीयर अनुसंधान (PACER)
- भूकंप विज्ञान और भूविज्ञान (SAGE)
- अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण और आउटरीच (रीचआउट)
‘पृथ्वी’ योजना के उद्देश्य:
- जलवायु परिवर्तन के विज्ञान को समझने के लिए मॉडलिंग सिस्टम का विकास
- संसाधनों की खोज की दिशा में पृथ्वी के ध्रुवीय और उच्च समुद्री क्षेत्रों की खोज
- समुद्री संसाधनों की खोज और धारणीय दोहन के लिए प्रौद्योगिकी का विकास
- पृथ्वी प्रणाली और परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए वायुमंडल, महासागर, भूमंडल और क्रायोस्फीयर के दीर्घकालिक अवलोकनों का संवर्द्धन और रखरखाव
- सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ के लिए पृथ्वी प्रणाली विज्ञान से प्राप्त ज्ञान का अनुवाद
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES):
- इसका गठन जुलाई 2006 में हुआ था।
- इस मंत्रालय को मौसम, जलवायु, महासागर और तटीय राज्य, जल विज्ञान, भूकंप विज्ञान तथा प्राकृतिक खतरों से सम्बंधित सेवाओं का दायित्व सौपा गया है।
- यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान से संबंधित सभी घटकों को समग्र रूप से संबोधित करता है।
- (पृथ्वी प्रणाली के पांच घटकों में शामिल हैं- वायुमंडल, जलमंडल, भूमंडल, क्रायोस्फीयर और जीवमंडल)
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के कार्य:
- समुद्री जीवित और निर्जीव संसाधनों का पता लगाने और दोहन का कार्य
- मौसम का पूर्वानुमान (जमीन और महासागर दोनों पर)
- प्राकृतिक आपदाओं (उष्णकटिबंधीय चक्रवात, तूफान, बाढ़, आंधी और बिजली) की चेतावनी देना
- पृथ्वी के तीन मुख्य क्षेत्रों (आर्कटिक, अंटार्कटिक और हिमालय) की जानकारी जुटाना
- सुनामी के लिए अलर्ट और भूकंप की निगरानी
- वायुमंडलीय विज्ञान, समुद्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और भूकंप विज्ञान के लिए एकीकृत तरीके से काम करना; आदि।
MoES की अनुसंधान एवं विकास और परिचालन सेवाएँ 10 संस्थानों द्वारा की जाती हैं; जिसमें शामिल हैं-
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी)
- राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ)
- समुद्री जीवन संसाधन और पारिस्थितिकी केंद्र (सीएमएलआरई)
- राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर)
- राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस)
- राष्ट्रीय महासागर संस्थान प्रौद्योगिकी (एनआईओटी)
- भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस)
- राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर)
- भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम)
- राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र (एनसीईएसएस)
पृथ्वी विज्ञान की व्यापक योजना ‘पृथ्वी’ विभिन्न MoES संस्थानों में एकीकृत बहु-विषयक पृथ्वी विज्ञान अनुसंधान और नवीन कार्यक्रमों के विकास को सक्षम बनाएगी।
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन ‘पृथ्वी’ योजना की उपयोजनाओं में शामिल हैं?
- वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग अवलोकन प्रणाली और सेवाएँ
- महासागर सेवाएँ, मॉडलिंग अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी
- ध्रुवीय विज्ञान और क्रायोस्फीयर अनुसंधान
- भूकंप विज्ञान और भूविज्ञान
कूट:
(a) 3 और 4
(b) 2,3 और 4
(c) 1,2 और 3
(d) 1,2, 3 और 4
उत्तर- (d)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न: पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी) योजना से पृथ्वी प्रणाली के घटकों की आपसी अंतःक्रिया की जानकारी में वृद्धि होगी। विश्लेषण कीजिए।
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