(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता संबंधित मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, आपदा एवं आपदा प्रबंधन से संबंधित मुद्दे)
संदर्भ
- भारत की विशाल और समृद्ध जैव विविधता देश को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करती है। भूमि, नदियों और महासागरों में विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र हम लोगों को खाद्य सामग्री प्रदान करते हैं, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा को बढ़ाते हैं और हमें पर्यावरणीय आपदाओं से बचाते हैं।
- हमारी जैव विविधता आध्यात्मिक संवर्द्धन के एक सतत् स्रोत के रूप में भी कार्य करती है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक कल्याण से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है।
वनों का मूल्य
- जैव विविधता द्वारा प्रदत्त विभिन्न पारिस्थितिकीय सेवाओं का सटीक आर्थिक मूल्य ज्ञात नहीं किया जा सकता है।
- अनुमानों के मुताबिक अकेले वन प्रतिवर्ष एक ट्रिलियन रुपए से अधिक मूल्य की पारिस्थितिकीय सेवाओं का उत्पादन कर सकते हैं, जबकि इनमें घास के मैदानों, आर्द्रभूमियों, मीठे पानी और समुद्र के माध्यम से उत्पादित सेवाओं को सम्मिलित नहीं किया गया है।
- आज विश्व न केवल सबसे खराब सार्वजनिक स्वास्थ्य संकटों में से एक का सामना कर रहा हैं, बल्कि जैव विविधता में भी दुनिया भर में गिरावट आई है।
- वर्ष 2000 से विश्व ने 7% अक्षुण्ण वनों को खो दिया हैं और हाल के आकलन से संकेत मिलता है कि अगले कई दशकों के दौरान एक मिलियन से अधिक प्रजातियाँ हमेशा के लिये लुप्त हो सकती हैं। भारत इन प्रवृत्तियों का अपवाद नहीं है।
भारत का इस क्षेत्र में निवेश
- सामाजिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये भारत सरकार जैव विविधता विज्ञान में बड़े निवेश पर विचार कर रही है।
- वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (PM-STIAC) ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा अन्य मंत्रालयों के परामर्श से जैव विविधता और मानव कल्याण (NMBHWB) पर एक महत्वाकांक्षी ‘राष्ट्रीय मिशन’ को मंजूरी प्रदान की थी।
- बेंगलुरु स्थित जैव विविधता सहयोगी, ‘राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण’ इस मिशन के लिये परामर्श देने तथा एक रोड मैप तैयार करने का काम कर रहा है।
- इसे सार्वजनिक, शैक्षणिक और नागरिक समाज क्षेत्रों से देश के प्रमुख जैव विविधता विज्ञान और संरक्षण संगठनों द्वारा संचालित किया जाएगा।
राष्ट्रीय मिशन के संभावित परिणाम
- राष्ट्रीय मिशन भारत की प्राकृतिक विरासत को पुनर्स्थापित करने, संरक्षित करने और स्थायी रूप से उपयोग करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- यह मिशन सभी विकास कार्यक्रमों, विशेष रूप से कृषि, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं, स्वास्थ्य, जैव-अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन अल्पीकरण (mitigation) में जैव विविधता को एक प्रमुख विचार के रूप में लागू करेगा।
- एक नागरिक और नीति-उन्मुख जैव विविधता सूचना प्रणाली स्थापित करना और भारत के राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्यों और संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये सभी क्षेत्रों में क्षमता को बढ़ाना।
- इसके अलावा मिशन भारत को (वैश्विक भूमि क्षेत्र के केवल 2.3% पर वैश्विक जैव विविधता का लगभग 8% का आश्रय और 36 वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट में से चार के खंड शामिल हैं) प्राकृतिक संपत्तियों और सामाजिक कल्याण के संरक्षण के मध्य संबंध प्रदर्शित करने में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में उभरने की अनुमति देगा।
- राष्ट्रीय मिशन के व्यापक प्रयास भारत की प्राकृतिक संपत्ति को बहाल करने और यहाँ तक कि लाखों करोड़ रुपए तक बढ़ाने में सशक्त बनाएँगे।
- अल्पीकरण कार्यक्रम (Mitigation programmes) वस्तुतः जलवायु परिवर्तन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं, जैसे महामारी और बाढ़ के प्रभावों को कम करेंगे।
- भारत की निम्नीकृत भूमि में पुनर्स्थापन गतिविधियाँ, जो हमारे भूमि क्षेत्र का लगभग एक-तिहाई है, अकेले कई मिलियन रोज़गार पैदा कर सकती हैं।
राष्ट्रीय मिशन के लिये महत्त्वपूर्ण ढाँचा
- कोविड महामारी के निरंतर प्रसार ने इस मिशन को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय पहलों में स्थान दिया है।
- महामारी ने मानवता और प्रकृति के मध्य खराब संबंधों को उजागर कर दिया है। हमें उन मुद्दों का तत्काल समाधान करना चाहिये जो इसने सामने रखे हैं। जैसे- संक्रामक रोगों का उद्भव; भोजन और पोषण सुरक्षा की कमी; ग्रामीण बेरोज़गारी; और जलवायु परिवर्तन, प्रकृति, ग्रामीण परिदृश्य और सार्वजनिक स्वास्थ्य।
- इन महत्त्वपूर्ण और परस्पर संबंधित मुद्दों के जवाब में मिशन एक समग्र ढाँचा, एकीकृत दृष्टिकोण और व्यापक सामाजिक भागीदारी प्रदान करता है।
- यह जैव विविधता को बनाए रखने, सामाजिक एकता को बढ़ावा देने और एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों के प्रति जनता को एकजुट करने के लिये प्रतिबद्ध एक मज़बूत राष्ट्रीय समुदाय को उत्पन्न करेगा।
विभिन्न चुनौतियों के लिये समाधान
- मिशन कार्यक्रम कई पर्यावरणीय चुनौतियों के लिये प्रकृति-आधारित समाधान प्रदान करेगा, जिसमें नदियों, जंगलों, मृदा क्षरण, और जलवायु परिवर्तन से हो रहे खतरे, जलवायु के प्रति संवेदनशील (climate-resilient) समुदायों को बनाने के लक्ष्य के साथ शामिल हैं।
- वैज्ञानिक इनपुट, विशेष रूप से भू-स्थानिक सूचना विज्ञान और नीति से संबंधित, संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन के लिये रणनीतियों के विकास का मार्गदर्शन कर सकते हैं।
- इस मिशन का ‘एक स्वास्थ्य’ कार्यक्रम समान रूप से महत्त्वपूर्ण मानव स्वास्थ्य को पशु, पौधे, मिट्टी और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के साथ एकीकृत करता है। इसमें अप्रत्याशित सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों के लिये हस्तक्षेप क्षमता के साथ-साथ भविष्य की महामारियों को कम करने की निवारक क्षमता दोनों विद्यमान हैं।
- खाद्य और पोषण सुरक्षा पर निर्देशित अतिरिक्त कार्यक्रम भी सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को प्रभावित करेंगे।
संवर्ग की आवश्यकता
- नियोजित मिशन यह मानता है कि हमें 21वीं सदी की विशाल और जटिल पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिये आवश्यक मानव संसाधनों के एक मज़बूत और व्यापक संवर्ग की आवश्यकता है।
- इसके लिये नागरिक समाज की व्यापक पहुँच में निवेश के साथ-साथ स्थिरता और जैव विविधता विज्ञान में उच्चतम क्षमता के प्रशिक्षण पेशेवरों की आवश्यकता होगी।
आगे की राह
- जलवायु परिवर्तन और चल रही महामारी हमारे प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र पर अतिरिक्त दबाव डालेंगे।
- हालाँकि, यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रकृति के साथ हमारे खराब संबंधों को सुधारना जलवायु परिवर्तन को कम करने और संक्रामक रोगों के भावी प्रकोप को कम करने का एक तरीका है।
- इस प्रकार, जैव विविधता का संरक्षण हमारे लोगों की सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय भलाई के लिये आवश्यक है।
- हमें सभी जीवित जीवों के लिये एक स्वास्थ्य की अवधारणा पर पुनर्विचार और पुनर्कल्पना करनी चाहिये, जिसमें हमारी कृषि प्रणालियों को बनाए रखने वाली मिट्टी में अदृश्य जैविक घटक (बायोटा) भी शामिल हैं।
निष्कर्ष
जैव विविधता हर जगह है और हम अपने दैनिक जीवन में हर समय जैव विविधता के साथ परस्पर संबंध प्रदर्शित करते हैं। सार्वजनिक जुड़ाव, चाहे वह नीति निर्माण के क्षेत्र में हो या जैव विविधता के अन्वेषण, पुनर्स्थापन और संरक्षण में हो; नियोजित मिशन का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।