(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3: आपदा और आपदा प्रबंधन) |
संदर्भ
28 मार्च, 2025 को म्यांमार में आए शक्तिशाली भूकंप के कारण कई लोगों की मौत हो गयी और अत्यधिक संख्या में लोग घायल हो गए।
म्यांमार में भूकंप के बारे में

- अधिकेंद्र : मांडले (म्यांमार) से 17.2 किलोमीटर दूरी पर
- मांडले करीब 1.5 मिलियन आबादी वाला म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है।
- यह इरावदी नदी के किनारे स्थित है और ऐतिहासिक रूप से बर्मा के राजाओं की राजधानी रहा है।
- केंद्र बिंदु : भूसतह से 10 किलो मीटर की गहराई पर
- प्रभावित देश : म्यांमार, थाईलैंड, भारत, चीन, लाओस एवं बांग्लादेश
- रिक्टर स्केल पर तीव्रता : 7.7
- यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, यह एक उथला भूकंप था, जिसकी गहराई सिर्फ़ 10 किलोमीटर थी और हालांकि, पिछले दो सालों में दुनिया में आया यह सबसे शक्तिशाली भूकंप था।
भूकंप का कारण
- पृथ्वी का स्थलमंडल कई टेक्टोनिक प्लेटों से बना है।
- जब दो टेक्टोनिक प्लेटें अचानक एक दूसरे से टकराती हैं, अलग होती हैं या एक-दूसरे के किनारे से खिसकती हैं, तो बहुत अधिक तनाव उत्पन्न होता है।
- इससे भूकंपीय तरंगों के रूप में संग्रहित प्रत्यास्थ ऊर्जा निकलती है, जिससे भूकंप की उत्पत्ति होती है।
- यू.एस.जी.एस. के अनुसार, म्यांमार में हालिया भूकंप भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच ‘स्ट्राइक स्लिप फॉल्टिंग’ (Strike Slip Faulting) के कारण आया।
- ‘स्ट्राइक स्लिप फॉल्टिंग’ में प्लेटों या चट्टानों की क्षैतिज गति शामिल होती है, जिसमें चट्टानें एक दूसरे के ऊपर से दायीं ओर या बाई ओर खिसकती हैं।
सागाइंग भ्रंश (Sagaing Fault)

- म्यांमार में हालिया भूकंप सागाइंग भ्रंश पर आया है, जो म्यांमार के केंद्र से उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर जाता है और भूकंप के लिए अत्यधिक प्रवण है।
- भ्रंश दो चट्टानी ब्लॉकों के बीच एक दरार/फ्रैक्चर का क्षेत्र होता है, जो ब्लॉकों को एक दूसरे के सापेक्ष गति करने देता है, जिससे कभी-कभी भूकंप आते हैं।
- सागाइंग भ्रंश पश्चिम में भारतीय प्लेट और पूर्व में यूरेशियन प्लेट के बीच टेक्टोनिक प्लेट सीमा को चिह्नित करता है। यह म्यांमार का सबसे लम्बा भ्रंश है।
- यूरेशियन प्लेट की तुलना में भारतीय प्लेट भ्रंश के साथ उत्तर की ओर बढ़ रही है।
प्रमुख चिंताएं
- भूकंप ने शहरों, ऐतिहासिक स्थलों और बुनियादी ढांचे को गंभीर क्षति पहुंचाई है।
- हजारों लोगों के बेघर होने से उन्हें तत्काल आश्रय, भोजन और दवाओं की जरुरत है।
- म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध ने आपातकालीन सेवाओं को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया है, जिससे वे इस तरह की आपदा से निपटने में असमर्थ हो गए हैं।
- देश में संचार व्यवस्था और आवाजाही पर सख्त नियंत्रण होने के कारण राहत और बचाव कार्य में कठिनाइयां भी आ रही हैं।
- चिकित्सा सुविधाओं की कमी से बीमारियों और संक्रमणों का खतरा बढ़ सकता है।
- पुनर्निर्माण कार्यों के लिए सरकार और संस्थाओं पर भारी आर्थिक बोझ पड़ सकता है।
- थाईलैंड, लाओस एवं बांग्लादेश में भी भूकंप के प्रभाव से जान-माल की क्षति हुई है।
म्यांमार में भूकंप की बारंबारता
- म्यांमार चार टेक्टोनिक प्लेटों - यूरेशियन, इंडियन, सुंडा और बर्मा के अभिसरण पर एक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है। इन प्लेटों का लगातार खिसकना और टकराना इस क्षेत्र में अधिकाँश भूकम्पों के लिए जिम्मेदार है।
- साथ ही, म्यांमार में सागाइंग भ्रंश के कारण अक्सर भूकंप आते रहते हैं।
- यू.एस.जी.एस. डाटा के अनुसार, वर्ष 1900 से अब तक सागाइंग भ्रंश के पास 7 से अधिक तीव्रता के कम से कम छह भूकंप आ चुके हैं।
- सबसे हालिया जनवरी 1990 में आया 7 तीव्रता का भूकंप था, जिसके कारण 32 इमारतें ढह गईं।
- लेकिन इस क्षेत्र में सबसे भयानक भूकंप 8.3 की तीव्रता के साथ वर्ष 1839 में आया था। अनुमान है कि इसमें 300-400 लोग मारे गए थे।
इसे भी जानिए!
ऑपरेशन ब्रह्मा : भारत द्वारा मानवीय सहायता
- भारत ने म्यांमार की मदद के लिए ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया है।
- ‘ब्रह्मा’ नाम इसलिए चुना गया है, क्योंकि यह सृजन के देवता का नाम है।
- भारत, म्यांमार को इस मुश्किल समय में फिर से बनाने में मदद कर रहा है।
- इस ऑपरेशन के तहत पहली राहत विमान से 15 टन की राहत सामग्री म्यांमार भेजी गई है और 80 लोगों की एनडीआरएफ की सर्च और रेस्क्यू टीम पहुंची।
- भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री द्वारा 40 टन मानवीय सहायता यांगून बंदरगाह तक पहुंचाई गई।
- आपदा में किसी भी भारतीय के हताहत होने की जानकारी नहीं है।
|