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राज्यों का व्यापार सुगमता सूचकांक

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना,उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन, निवेश मॉडल)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘व्यापार सुधार कार्य योजना,2019’(बी.आर.ए.पी.) के तहत ‘कारोबारी सुगमता’ के आधार पर राज्यों की रैंकिंग के चौथे संस्करण को जारी किया।

पृष्ठभूमि

‘व्यापार सुधार कार्य योजना’ के आधार पर राज्यों की रैंकिंग तय करने का कार्य वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। अब तक इस आधार पर राज्यों की रैंकिंग वर्ष 2015, 2016 और 2017-18 में जारी की जा चुकी है। वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के‘उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग’ (DPIIT) द्वारा राज्यों में समग्र कारोबारी माहौल में सुधार के लिये‘राज्य व्यापार सुधार कार्य योजना’के आधार पर कारोबारी सुगमता रैंकिंग तैयार की जाती है।यह DPIIT और विश्व बैंक की एक संयुक्त पहल है।

मुख्य मानक

  • ‘राज्य कारोबारी सुगमता वार्षिक सूचकांक’ DPIIT के ‘व्यापार सुधार कार्य योजना, 2019’का हिस्सा है। DPIIT द्वारा ‘व्यापार सुधार कार्य योजना 2018-19’में करोबार की स्थितियाँ बेहतर बनाने के लिये 187 सुधार बिंदुओं का सुझाव दिया गया था। ये सुझाव 12 व्यावसायिक विनियामक क्षेत्रों, जैसे- सूचना तक पहुँच, एकल खिड़की प्रणाली, श्रम और पर्यावरण आदि की 80 अनुसंशाओं पर आधारित हैं। इसका लक्ष्य कारोबार के संचालन को आसान, सरल और तेज़ बनाना है।
  • कारोबारी सुगमता के मामले में प्रदर्शन के आधार पर राज्यों की रैंकिग तय करते समय स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा और बड़े स्तर पर निवेश आकर्षित करने का उद्देश्य हासिल करने का प्रयास किया गया है।
  • इस बार की रैंकिंग तय करते समय ज़मीनी स्तर पर तीस हज़ार से अधिक लोगों से मिली प्रतिक्रियाओं (User Feedback) को शामिल किया गया।

राज्यों की स्थिति

  • इस सूचकांक में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग में आंध्रप्रदेश प्रथम स्थान पर काबिज़ है तथा त्रिपुरा अंतिम स्थान(36 वें) पर है। दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमशः उत्तर प्रदेश और तेलंगाना है।
  • चौथे और पाँचवे स्थान पर मध्य प्रदेश और झारखण्ड हैं, जबकि गुजरात दसवें और महाराष्ट्र तेरहवें स्थान पर हैं।
  • केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली प्रथम (सम्पूर्ण रूप से 12वें) और चंडीगढ़ अंतिम (29वें) स्थान पर हैं। पूर्वी राज्यों में पश्चिम बंगाल प्रथम और उत्तर-पूर्वी राज्यों में असम प्रथम स्थान पर है।
  • जुलाई 2018 में जारी रैंकिंग में भी आंध्र प्रदेश ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया था। इसके बाद तेलंगाना और हरियाणा का स्थान था।
  • उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश ने राज्य व्यापार सुधार कार्य योजना के 100% अनुपालन का लक्ष्य प्राप्त किया है। साथ ही कुछ माह पूर्व आंध्र प्रदेश द्वारा एम.एस.एम.ई. उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिये घोषित ‘रिस्टार्ट (ReSTART) पैकेज’ भी इसमें सहायक रहा है।

उत्तर प्रदेश की स्थिति

  • राज्य को निवेशकों के लिये एक आकर्षक और व्यापार के अनुकूल गंतव्य के रूप में परिवर्तित करने के प्रयास से उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2018 के बाद इसमें दस रैंक की छलांग लगाई है और व्यापार सुगमता सूचकांक की वार्षिक रैंकिंग में दूसरे स्थान पर है।
  • उत्तर प्रदेश, जिसकी अधिकांश आबादी अभी भी कृषि पर निर्भर है, ने महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना जैसे अन्य प्रमुख औद्योगिक राज्यों को पछाड़ दिया है। इसका तात्पर्य है कि उद्यमियों को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू किये गए सुधारों का सही लाभ मिल रहा है।
  • ये सुधारश्रम विनियमन, ऑनलाइन एकल खिड़की, सूचना तक पहुँच और पारदर्शिता, भूमि प्रशासन, निर्माण परमिट, वाणिज्यिक विवाद, निरीक्षण (Inspection Enablers) आदि क्षेत्रों से सम्बंधित थे।
  • 'निवेश मित्र' का सफल क्रियान्वयन राज्य की प्रगति में एक सहायक माध्यम रहा है। 'निवेश मित्र' निवेशकों को सुविधा प्रदान करने के लिये राज्य की समर्पित एकल खिड़की प्रणाली है।
  • दो वर्षों की अवधि में निवेश मित्र पोर्टल को प्राप्त कुल अनापत्ति प्रमाण पत्र (एन.ओ.सी.) आवेदन में से 94% का उद्यमियों को एन.ओ.सी./लाइसेंस देने के लिये निस्तारित कर दिया गया है। साथ ही उद्यमियों से प्राप्त शिकायतों के लगभग 98% का भी समाधान कर दिया गया है।
  • निवेशकों को सब्सिडी देना, औद्योगिक विकास के लिये भूमि बैंकों (Land Banks) का निर्माण, एक्सप्रेस-वे के व्यापक नेटवर्क सहित बुनियादी ढाँचे का विकास और इसके पश्चिमी और पूर्वी छोर पर जेवर और कुशीनगर हवाई अड्डों के विकास ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है।
  • हाल ही में औद्योगिक मंदी के मद्देनजर अधिकांश श्रम कानूनों को समाप्त करने का कदम भी इसमें सहायक रहा है। हालाँकि, राज्य सरकार के इस कदम की आलोचना भी की गई।
  • कारोबारी सुगमता सूचकांक के मापदंडों पर सभी 75 जिलों की मासिक रैंकिंग राज्य को अधिक अनुकूल कारोबारी माहौल बनाने में मदद करेगी।
  • यूपी सरकार के अनुसार DPIIT द्वारा सुझाए गए सुधारों में से 186 को लागू किया गया है।

ओडिशा द्वारा विरोध

  • सुधारों की प्रभावशीलता जाँचने में ज़मीनी प्रतिक्रिया (User Feedback) इस वर्ष की कार्यप्रणाली में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव था। प्रत्येक क्रिया बिंदु को लागू किये जाने के समर्थन में राज्यों को साक्ष्य अपलोड करने थे, जिसमें कम से कम 20 लोगों ने प्रतिक्रिया दी हो। कुछ राज्यों ने अपनी निम्न रैंक के लिये इस प्रणाली को ज़िम्मेदार ठहराया है।
  • ज़मीनी प्रतिक्रिया (User Feedback) प्रणाली के चलते ओडिशा ने रैंकिंग का विरोध किया है। कुछ राज्यों के अनुसार मौजूदा रैंकिंग में प्रमुख बदलाव प्रदर्शन को ज़मीनी प्रतिक्रिया से जोड़ने के कारण है।
  • ओडिशा वर्ष 2018 के मुकाबले 14 स्थानों की गिरावट के साथ वर्तमान में 29वें स्थान पर पहुँच गया है। रैंकिंग में पिछडने वाले राज्यों द्वारा इस मुद्दे को डी.पी.आई.आई.टी. के सामने उठाने की सम्भावना है।

रैंकिंग से लाभ

  • यह रैंकिंग राज्यों में निवेश को आकर्षित करने, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और प्रत्येक राज्य में कारोबारी सुगमता को बढ़ाने में मदद करेगी।ये रैंकिंग राज्यों में व्यापारिक उद्यमों और सरकार के नियामक कार्यों की पारदर्शिता, दक्षता और प्रभावशीलता में वृद्धि के साथ कारोबार करने में सुगमता का प्रतिनिधित्त्व करते हैं।
  • राज्य में अनुकूल व्यावसायिक वातावरण को सक्षम करने के लियेयह पहल ऑनलाइन सिस्टम के विकास में सुधार से लेकर, व्यवसाय के पूरे जीवन-चक्र को कवर करने वाले निरीक्षणों को विनियमित करने की पारदर्शिता को बढ़ाती है।

आगे की राह

  • सरकार को लाइसेंस नवीनीकरण या उनकी समयावधि बढ़ाए जाने से सम्बधित नियमों को खत्म करने,आवेदन प्रक्रिया को सुगम बनाने, जोखिम आकलन जाँच प्रकिया या तीसरी पार्टी जाँच प्रक्रिया शुरु करने तथा विनियमन की प्रक्रिया का डिज़िटलीकरण और इसे ज्यादा से ज्यादा तर्कसंग बनाने का प्रयास करना चाहिये।
  • उद्यम शुरू करने की कम लागत और त्वरित एकल खिड़की स्वीकृतियों के साथ व्यापार करने में वास्तविक सुगमता के लिये व्यावसायिक सुधार सुनिश्चित किये जाने चाहिये।
  • भारत में सुधार प्रक्रिया को गम्भीरता से लिया जा रहा है। देश में कोविड महामारी के बीच भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में बढ़ोतरी इसका उदाहरण है।
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