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पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन

(प्रारंभिक परीक्षा- अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

चर्चा में क्यों

हाल ही में, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कंबोडिया के नोम पेन्ह में 17वें ‘पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन’ में भाग लिया। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस बैठक के दौरान भारत ने सार्वजनिक स्वास्थ्य, नवीकरणीय ऊर्जा और स्मार्ट कृषि के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिये आसियान-भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी कोष में 5 मिलियन अमरीकी डॉलर के अतिरिक्त योगदान की घोषणा की है।
  • इस शिखर सम्मेलन के दौरान खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर वैश्विक चिंताओं को प्रकट किया गया तथा नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता के साथ मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने की भूमिका पर जोर दिया गया।
    • चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। विदित है कि चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए गए हैं। 
  • इस दौरान उपराष्ट्रपति ने कंबोडिया के सियाम रीप में ता प्रोह्म मंदिर (Ta Prohm Temple) में 'हॉल ऑफ डांसर्स' का उद्घाटन भी किया। 

ता प्रोह्म मंदिर

  • यह मंदिर भगवान ब्रह्मा को समर्पित है, जिसका निर्माण खमेर राजा जयवर्मन सप्तम द्वारा 12वीं -13वीं शताब्दी में किया गया था।
  • इस मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य कंबोडिया-भारत सहयोग परियोजना के तहत भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा वर्ष 2003 से किया जा रहा है, जिसके वर्ष 2025 तक पूर्ण होने की संभावना है।
  • हाल ही में ए.एस.आई. द्वारा इस मंदिर के भीतर 'हॉल ऑफ डांसर्स' के मरम्मत कार्य पूर्ण किया गया है। 
  • विदित है कि यह मंदिर अंगकोर पुरातात्त्विक परिसर में स्थित है। अंगकोर वाट का प्रसिद्ध मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल है जो मूल रूप से हिंदू भगवान विष्णु को समर्पित है परंतु यह 12वीं शताब्दी के अंत में एक बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था।

Lord-Vishnu 

क्या है पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन

  • यह एक आसियान पहल है, जिसका गठन वर्ष 2005 में 16 देशों के साथ किया गया। इसकी पहली बैठक का आयोजन वर्ष 2005 में मलेशिया के कुआलालंपुर में किया गया था।
  • इस समूह के संस्थापक सदस्य देशों में आसियान के 10 देशों (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया शामिल है।
  • इसमें अमेरिका और रूस वर्ष 2011 के छठे शिखर सम्मेलन के दौरान शामिल हुए।
  • इसका गठन पूर्वी एशियाई देशों और पड़ोसी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था। इस समूह के सदस्य देशों द्वारा सहयोग के छह प्राथमिक क्षेत्रों की पहचान की गई, इसमें शामिल हैं- 
    • पर्यावरण और ऊर्जा
    • शिक्षा
    • वित्त
    • वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दे और महामारी 
    • प्राकृतिक आपदा प्रबंधन
    • आसियान कनेक्टिविटी

भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन

  • वर्ष 2022 में आसियान-भारत संबंधों की 30वीं वर्षगांठ है और इसे आसियान-भारत मैत्री वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।
  • आसियान-भारत ने एक संयुक्त बयान में विगत 30 वर्षों के दौरान दक्षिण पूर्व एशिया और भारत के मध्य गहरे सभ्यतागत संबंधों, समुद्री संपर्क और अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान को स्वीकार किया। यह आसियान-भारत संबंधों को एक मजबूत आधार प्रदान करता है। 
  • विदित है कि आसियान भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और हिंद-प्रशांत व्यापक दृष्टिकोण का केंद्रबिंदु है। 
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