प्रमुख बिंदु
- हाल ही में, भारतीय निर्वाचन आयोग ने श्री हरीश कुमार और श्री उमेश सिन्हा की सदस्यता में एक समिति का गठन किया है।
- यह समिति मतदाताओं की संख्या में वृद्धि और महंगाई दर में बढ़ोतरी तथा अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों की चुनावी खर्च की सीमा से जुड़े मुद्दों का परीक्षण करेगी।
वर्तमान बदलाव
- कुछ दिन पूर्व ही कोविड-19 के मद्देनजर विधि एवं न्याय मंत्रालय ने ‘निर्वाचन अधिनियम, 1961’ के नियम संख्या 90 में संशोधन की अधिसूचना जारी की है।
- इसके द्वारा लोकसभा और विधानसभा के चुनावी खर्चों की वर्तमान सीमा में 10% की बढ़ोतरी की गई है। खर्च की सीमा में की गई यह बढ़ोतरी वर्तमान में जारी चुनावों में भी तत्काल प्रभाव से लागू होगी।
- ध्यातव्य है कि इस अधिसूचना में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उपरोक्त संशोधन केवल कोविड-19 की अवधि तक ही लागू रहेगा या आगे भी इसको जारी रखा जाएगा।
पूर्व स्थिति
- इससे पूर्व चुनावी खर्च की सीमा में बढ़ोतरी एक अधिसूचना के माध्यम से फरवरी, 2014 में की गई थी, जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के संदर्भ में 10 अक्टूबर, 2018 को इसमें संशोधन किया गया था।
मतदाताओं की संख्या में वृद्धि
- पिछले 6 वर्षों में खर्च की सीमा में कोई वृद्धि नहीं की गई, जबकि मतदाताओं की संख्या 834 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2019 में 910 मिलियन हो गई।
- वर्तमान में मतदाताओं की संख्या 921 मिलियन हो गई है।
- इसके अलावा लागत मुद्रास्फीति सूचकांक में भी वृद्धि हुई है, जो इसी अवधि में 220 से बढ़कर वर्ष 2019 में 280 और अब 301 के स्तर पर पहुंच गई है।
समिति के परीक्षण का आधार
- देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाताओं की संख्या में बदलाव और इसका खर्च पर प्रभाव का आकलन।
- लागत मुद्रा स्फीति सूचकांक में बदलाव और इसके चलते हाल के चुनावों में उम्मीदवारों द्वारा किये जाने वाले खर्च के तरीकों का आकलन।
- यह समिति राजनीतिक दलों और अन्य सम्बंधित पक्षों से उनके विचार भी जानेगी।
- खर्च पर प्रभाव डालने वाले अन्य पहलुओं का भी परीक्षण इस समिति द्वारा किया जाएगा।
- समिति गठन के 120 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।