अध्याय 7: सामाजिक क्षेत्रः कल्याण जो सशक्त करे
- हाल के वर्षों में भारत की उच्च और सतत आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक और संस्थागत प्रगति भी हो रही है, जो सशक्तीकरण के साथ सरकारी कार्यक्रमों के परिवर्तनकारी और प्रभावी कार्यान्वयन पर आधारित है, जो कल्याण के लिए एक परिवर्तित दृष्टिकोण की पहचान बन गया है।
- वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2024 के बीच में, नाममात्र जीडीपी लगभग 9.5 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ी है।
- कल्याण व्यय 12.8 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है। शिक्षा पर व्यय 9.4 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है जो कि जीडीपी वृद्धि दर के लगभग बराबर है।
- स्वास्थ्य पर व्यय 5.8 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है।
- असमानता का संकेतक, गिनी गुणांक (Gini coefficient), देश के ग्रामीण क्षेत्र के मामले में 0.283 से घटकर 0.266 और शहरी क्षेत्र के मामले में 0.363 से 0.314 पर आ गया है।
- 34.7 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत कार्ड बनाये गए और योजना के तहत अस्पतालों में भर्ती 7.37 करोड़ मरीजों को कवर किया गया।
- आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई स्वास्थ्य बीमा के तहत 22 बौद्धिक बीमारियों को कवर किया गया।
- बच्चों की शुरूआती शिक्षा के ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ कार्यक्रम का उद्देश्य आंगनवाड़ी केन्द्रों में विश्व का सबसे बड़ा, सार्वभौमिक, उच्च गुणवत्ता प्री-स्कूल नेटवर्क विकसित करना है।
- स्वैच्छिक योगदान और सामुदायिक मेलजोल के माध्यम से ‘विद्यांजलि पहल’ ने 1.44 करोड़ से अधिक छात्रों के शैक्षणिक अनुभव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- उच्च शिक्षा में सभी वर्गों की महिलाओं के दाखिले में तेज वृद्धि हुई है।
- एससी/एसटी और ओबीसी जैसे पिछडे वर्गों की संख्या बढ़ने से वित्त वर्ष 2015 से 31.6 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है।
- वित्त वर्ष 2024 में करीब एक लाख पेटेंट प्रदान किए जाने के साथ भारत में अनुसंधान एवं विकास में तीव्र प्रगति हो रही है। इससे पहले वित्त वर्ष 2020 में 25,000 से भी कम पेटेंट प्रदान किए गए थे।
- 2014 से 2022 तक के आठ वर्षों में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) 1.53 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए और पिछले तीन वर्षों में खर्च सीएसआर की शुरुआत से अब तक खर्च की गई कुल राशि का 50 प्रतिशत से अधिक है।
- पीएम-आवास-ग्रामीण के तहत पिछले नौ साल में (10 जुलाई, 2024 की स्थिति के अनुसार) गरीबों के लिए 2.63 करोड़ आवासों का निर्माण किया गया है।
- ग्राम सड़क योजना के तहत वर्ष 2014-15 से (10 जुलाई 2024 की स्थिति के अनुसार) 15.14 लाख किलोमीटर सड़क निर्माण कार्य पूरा किया गया।
अध्याय 8: रोजगार और कौशल विकास: गुणवत्ता की ओर
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत हो जाने के साथ पिछले छह वर्षों में भारतीय श्रम बाजार संकेतकों में सुधार हुआ है।
- 15 वर्ष और इससे अधिक आयु के लोगों के मामले में तिमाही शहरी बेरोजगारी दर मार्च 2024 में समाप्त तिमाही के दौरान एक साल पहले इसी तिमाही की 6.8 प्रतिशत से घटकर 6.7 प्रतिशत रह गई।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार 45 प्रतिशत से अधिक कार्यबल कृषि क्षेत्र में, 11.4 प्रतिशत विनिर्माण क्षेत्र में, 28.9 प्रतिशत सेवा क्षेत्र में और 13.0 प्रतिशत निर्माण क्षेत्र में नियोजित है।
- पी.एल.एफ.एस. के अनुसार युवा (15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में) बेराजगारी दर 2017-18 के 17.8 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 10 प्रतिशत पर आ गई।
- श्रमिकों के रोजगार की स्थिति के संदर्भ में, कुल कार्यबल का 57.3 प्रतिशत स्व-नियोजित है, और 18.3 प्रतिशत घरेलू उद्यमों में अवैतनिक श्रमिकों के रूप में काम कर रहा है।
- नैमित्तिक श्रमिक कुल कार्यबल का 21.8 प्रतिशत और नियमित वेतन/वेतनभोगी श्रमिक कुल कार्यबल का 20.9 प्रतिशत हैं।
- लैंगि`क परिपेक्ष में महिला श्रमिक बल भागीदारी दर (एफएलएफपीआर) छह साल से बढ़ रहा है।
- महिला कार्यबल स्वरोजगार की ओर अधिक अभिमुख हो रहा है, जबकि पुरुष कार्यबल का हिस्सा स्थिर रहा है।
- वित्त वर्ष 2015 से 2022 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति कामगार वेतन में शहरी क्षेत्रों के 6.1 प्रतिशत सीएजीआर के मुकाबले 6.9 प्रतिशत सीएजीआर वृद्धि हुई है।
- 100 से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त कराने वाले कारखानों की संख्या वित्त वर्ष 2018 के मुकाबले 2022 में 11.8 प्रतिशत बढ़ी है।
- बड़े कारखानों (100 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति वाले) में छोटे कारखानों के मुकाबले रोजगार के अवसर बढ़े हैं, इससे विनिर्माण इकाईयों के उन्नयन की दिशा में संकेत मिलता है।
अध्याय-9: कृषि और खाद्य प्रबंधन
- कृषि और संबद्ध क्षेत्र ने पिछले पाँच वर्षों में स्थिर मूल्यों पर 4.18 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर्ज की है।
- देश में खाद्यान्न का भी पर्याप्त भंडार है, जिसका लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा दो-तिहाई आबादी को निःशुल्क वितरित किया जाता है।
- भारत अपने खाद्यान्न का 7 प्रतिशत से अधिक निर्यात करता है। कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में वृद्धि ने भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि में सकारात्मक योगदान दिया है।
- 2022-23 में खाद्यान्न उत्पादन 329.7 मिलियन टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया और तिलहन उत्पादन 41.4 मिलियन टन तक पहुंच गया।
- 2023-24 में खाद्यान्न उत्पादन लगभग 328.8 मिलियन टन है, जिसका मुख्य कारण खराब और विलंबित मानसून है।
- अन्य फसलों जैसे श्री अन्ना/पोषक अनाज और कुल तिलहन के उत्पादन में मामूली वृद्धि हुई।
- पोषक अनाज में पिछले वर्ष की तुलना में 1 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई।
- तुअर (अरहर) उत्पादन पिछले वर्ष के 33.12 लाख टन उत्पादन की तुलना में 33.85 लाख टन (एलटी) होने का अनुमान है।
- मसूर का उत्पादन 17.54 लाख टन होने का अनुमान है, जो कि पिछले वर्ष के 15.59 लाख टन उत्पादन से 1.95 लाख टन अधिक है।
- 31 जनवरी, 2024 तक बैंकों ने 9.4 लाख करोड़ की 7.5 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड जारी किया।
- वर्ष 2015-16 से 2023-24 के दौरान न्यूनतम जल अधिकतम फसल (पीडीएमसी) के तहत देश में सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत 90.0 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है।
- अनुमान है कि शिक्षा सहित कृषि अनुसंधान में लगाए गए प्रत्येक रुपये से 13.85 रुपये का प्रतिफल।
अध्याय-10: उद्योगः मध्यम एवं लघु दोनों अपरिहार्य
- वित्त वर्ष 2024 में औद्योगिक विकास में तेजी आई, जिसमें विनिर्माण और निर्माण सबसे आगे रहे। वित्त वर्ष 2024 में स्थिर कीमतों पर औद्योगिक जीवीए कोविड-पूर्व वित्त वर्ष 20 के स्तर से 25 प्रतिशत अधिक रहा, जो व्यापक आधार पर सुधार और समेकन की पुष्टि करता है।
- वित्तवर्ष 2024 में 8.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि को 9.5 प्रतिशत की औद्योगिक विकास दर से समर्थन मिला।
- विनिर्माण मूल्य श्रृंखलाओं में अनेक बाधाओं के बावजूद, विनिर्माण क्षेत्र ने पिछले दशक में 5.2 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर हासिल की।
- ऑटोमोबाइल, लकड़ी के उत्पाद, फर्नीचर और फार्मास्यूटिकल्स जैसे कुछ उपभोक्ता उन्मुख उद्योगों ने उत्पादन हिस्सेदारी में बड़ी बढ़त हासिल की है और मशीनरी, रसायन, गैर-धातु खनिज, और रबर और प्लास्टिक उत्पादों जैसे उत्पादन उन्मुख क्षेत्रों में भी हिस्सेदारी बढ़ी है, जिससे विकास की गतिशीलता संतुलित हुई है।
- हालाँकि, पेट्रोलियम उत्पाद, कपड़ा, पेय और तंबाकू जैसे क्षेत्रों में उनके उत्पादन हिस्सेदारी में धीरे-धीरे गिरावट देखी गई है।
- पिछले पांच वर्षों में कोयला के उत्पादन में तेजी आई है, जिससे आयात निर्भरता में कमी हुई है।
- भारतका फार्मास्युटिकल बाज़ार, जिसका वर्तमान मूल्य 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, अपनी मात्रा के अनुसार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार है।
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा विनिर्माता है और शीर्ष पाँच निर्यातक देशों में से एक है।
- भारत के इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण क्षेत्र की वित्त वर्ष 22 में वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का अनुमानित 3.7 प्रतिशत है।
- भारत के 'आत्मनिर्भर' बनने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, मई 2024 तक 1.28 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश दर्ज किया गया, जिसके परिणामस्वरूप पीएलआई योजना के अंतर्गत 10.8 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन / बिक्री और 8.5 लाख रुपये से अधिक का रोजगार सृजन (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) हुआ।
- उद्योगों को अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करने तथा कार्यबल के सभी स्तरों पर सुधार को उद्योग और अकादमी के बीच सक्रिय सहयोग के माध्यम से प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
अध्याय-11- सेवाएं: विकास के अवसरों को बढ़ावा देना
- सेवा क्षेत्र भारत की प्रगति में निरंतर महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, जो वित्त वर्ष 24 में अर्थव्यवस्था के कुल आकार का लगभग 55 प्रतिशत है।
- सेवा क्षेत्र में सर्वोच्च संख्या में सक्रिय कंपनियां (65 प्रतिशत) हैं, 31 मार्च, 2024 तक भारत में कुल 16,91,495 सक्रिय कंपनियां थीं।
- वैश्विक स्तर पर, भारत का सेवा निर्यात 2022 में दुनिया के वाणिज्यिक सेवा निर्यात का 4.4 प्रतिशत था।
- भारत के सेवा निर्यात में कम्प्यूटर सेवा और व्यापार सेवा निर्यात का हिस्सा 73 प्रतिशत, वित्त वर्ष 24 में इसमें 9.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- डिजिटल माध्यम से दी जाने वाली सेवाओं के निर्यात में वैश्विक स्तर पर भारत की हिस्सेदारी 2019 के 4.4 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 6 प्रतिशत हो गई।
- हवाई सेवा : वित्त वर्ष 24 में भारतीय हवाई यात्रियों की संख्या में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ भारत के विमानन क्षेत्र में अच्छी प्रगति दर्ज की है।
- भारतीय हवाई अड्डों पर एयर कार्गो का रखरखाव सालाना आधार पर 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ 33.7 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया।
- रेल सेवा : भारतीय रेल में यात्री यातायात पिछले वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 24 में लगभग 5.2 प्रतिशत बढ़ा।
- राजस्व अर्जन मालभाड़ा ने (कोणकन रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड को छोड़कर) पिछले वर्ष की तुलना में, वित्त वर्ष 24 में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
- पर्यटन : पर्यटन उद्योग ने वर्ष दर वर्ष 43.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए, 2023 में 92 लाख विदेशी पर्यटकों के आगमन को देखा।
- 2023 में आवासीय रियल स्टेट देश में बिक्री, वर्ष दर वर्ष 33 प्रतिशत वृद्धि दर्ज करते हुए 2013 के बाद से सबसे ज्यादा थी और शीर्ष के आठ नगरों में कुल 4.1 लाख मकानों की बिक्री हुई।
- भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है और यह वित्त वर्ष 15 में एक हजार केंद्रों से वित्त वर्ष 23 तक 1,580 केंद्रों से भी अधिक हो गए हैं।
- भारत के ई-वाणिज्य उद्योग का 2030 तक 350 अरब अमरीकी डॉलर पार कर जाने की उम्मीद है।
- कुल टेली-डेंसिटी (100 लोगों की आबादी पर टेलीफोनों की संख्या) देश में मार्च 2014 में 75.2 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2024 में 85.7 प्रतिशत हो गई है। इंटरनेट डेनसिटी भी मार्च 2024 में 68.2 प्रतिशत तक बढ़ गई।
- 31 मार्च, 2024 तक 6,83,175 किलोमीटर के ऑप्टिकल फाइबर कैबल (ओएफसी) बिछाए गए हैं, जिसने भारतनेट चरण-1 और चरण-2 में कुल 2,06,709 ग्राम पंचायतों को जोड़ दिया है।
- दो महत्वपूर्ण बदलाव भारत के सेवा परिदृश्य को फिर से आकार दे रहे हैं : घरेलू सेवा डिलिवरी का तीव्र प्रौद्योगिकी निर्देशित बदलाव और भारत के सेवा निर्यात का विविधीकरण।
अध्याय 12 : अवसंरचना – संभावित वृद्धि को बढ़ाना
- हालिया वर्षों में, सार्वजनिक क्षेत्र निवेश में काफी वृद्धि ने बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं के वित्त पोषण में एक केंद्रीय भूमिका निभाई है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण की औसत रफ्तार वित्त वर्ष 14 में 11.7 किलोमीटर प्रतिदिन करीब 3 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 24 तक प्रतिदिन करीब 34 किलोमीटर हो गई।
सड़क संपर्क बढ़ाने वाली प्रमुख पहलें
- टोल डिजिटलीकरण : 2014-24 के दौरान टोल प्लाजा पर प्रतीक्षा समय को 734 सेकंड से लगभग 16 गुना घटाकर 47 सेकंड कर दिया है।
- स्वचालित नंबर प्लेट मान्यता/वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली के माध्यम से फ्री फ्लो टोलिंग भी शुरू की गई है।
- मार्गस्थ सुविधाएं : विश्व स्तरीय सुविधाएं और सुख-सुविधाएं प्रदान करने के लिए लगभग 900 मार्गस्थ सुविधाएं (Way Side Amenities) स्थापित करने की योजना है।
- संविदात्मक अनुरक्षण : संपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के प्रत्येक किमी के लिए संविदात्मक अनुरक्षण एजेंसी नियुक्त करके राष्ट्रीय राजमार्ग अनुरक्षण के लिए एक सक्रिय नीति अपनाई गई है।
- संविदात्मक रखरखाव या तो प्रदर्शन-आधारित रखरखाव अनुबंधों या अल्पकालिक रखरखाव अनुबंधों के माध्यम से किया जाता है।
- निष्क्रिय सामग्री का उपयोग : टिकाऊ कच्चे माल और नए युग की निर्माण तकनीकों को राजमार्ग विकास में शामिल किया गया है।
- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के शहरी विस्तार रोड-II और स्पर में लैंडफिल स्थलों से प्राप्त 13.79 लाख टन निष्क्रिय सामग्री का उपयोग किया गया है।
- बिटुमेन और डामर का पुनर्चक्रण राष्ट्रीय राजमार्गों के ब्राउनफील्ड उन्नयन के दौरान किया जाता है।
- क्लाउड आधारित डेटा संचालन: उच्च तकनीक मशीनरी और क्लाउड आधारित डेटा संचालित निर्माण के परिणामस्वरूप समय और लागत में कमी आई है।
- पर्वतमाला परियोजना : अंतिम मील तक धार्मिक और पर्यटक संपर्क को बढ़ावा देने के लिए "पर्वतमाला परियोजना" के तहत, छह रोपवे परियोजनाओं को आवंटित किया गया है।
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- रेल संबंधी पूंजीगत व्यय पिछले 5 वर्षों में, नई लाइनों गैज परिवर्तन और लाइनों के दोहरीकरण के निर्माण में मजबूत निवेश के साथ, 77 प्रतिशत बढ़ गया है।
- वित्त वर्ष 24 में, 21 हवाई अड्डों पर नई टर्मिनल इमारतें चालू की गई हैं, जिसकी वजह से यात्रियों को हैंडल करने की क्षमता में वृद्धि हुई है और यह प्रतिवर्ष करीब 620 लाख यात्रियों तक पहुंच गई है।
- भारत का दर्जा विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स कार्य निष्पादन सूचकांक के अंतर्राष्ट्रीय शिपमेंट कैटगरी में 2014 में 44वें स्थान से 2023 में 22वें स्थान पर हो गया है।
- भारत में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में 2014 और 2023 के बीच 8.5 लाख करोड़ (102.4 अरब अमरीकी डॉलर) का नया निवेश हुआ है।
अध्याय 13 : जलवायु परिवर्तन और भारत : हमें क्यों इस समस्या को अपनी नजरों से देखना चाहिए
- जलवायु परिवर्तन के लिए वर्तमान वैश्विक रणनीतियां त्रुटिपूर्ण हैं और सार्वभौमिक रूप से लागू करने योग्य नहीं है।
- पश्चिम का जो दृष्टिकोण समस्या की जड़ यानि अत्यधिक खपत का समाधान नहीं निकालना चाहता, बल्कि अत्यधिक खपत को हासिल करने के दूसरे विकल्प चुनना चाहता है।
- ‘एक उपाय सभी के लिए सही’, काम नहीं करेगी और विकासशील देशों को अपने रास्ते चुनने की छूट दिए जाने की जरूरत है।
- भारतीय लोकाचार प्रकृति के साथ सौहार्द्रपूर्ण संबंधों पर जोर देते हैं, इसके विपरीत विकसित देशों में अत्याधिक खपत की संस्कृति को अहमियत दी जाती है।
- ‘कई पीढ़ियों वाले पारंपरिक परिवारों’ पर जोर से टिकाऊ आवास की ओर मार्ग प्रशस्त होगा।
- ‘मिशन लाइफ’ अत्याधिक खपत की तुलना में सावधानी के साथ खपत को बढ़ावा देने के मानवीय स्वभाव पर जोर देती है। अत्याधिक खपत वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन की समस्या की जड़ है।
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