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आर्थिक सर्वेक्षण 2024 : मानसिक स्वास्थ्य पर फोकस

(प्रारंभिक परीक्षा : महत्त्वपूर्ण योजनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 : सामाजिक न्याय, स्वास्थ्य संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक समीक्षा 2023-24 में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य, इसके महत्व और नीति सिफारिशों पर इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा की। 

मानसिक स्वास्थ्य विकारों की राष्ट्रीय व्यापकता

  • आर्थिक सर्वेक्षण में मानसिक स्वास्थ्य को व्यक्तिगत और राष्ट्रीय विकास का मुख्य रूप से प्रभावशाली चालक माना गया है।
  • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NMHS) 2015-16  के अनुसार, भारत में 10.6% वयस्क लोग मानसिक विकार यानी मेंटल डिसऑर्डर के शिकार हैं।  
    • जबकि मानसिक स्वास्थ्य विकार और अन्य विभिन्न विकारों के बीच उपचार में 70%  और 92% का अंतराल है।
  • इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्र (6.9%), गैर महानगरीय शहरी क्षेत्रों (4.3%) की तुलना में महानगरीय क्षेत्रों (13.5%) में मानसिक विकार की समस्या अधिक है। 
  • एन.सी.ई.आर.टी. के मानसिक स्वास्थ्य और स्कूली  विद्यार्थियों के स्वास्थ्य सर्वेक्षण में पाया गया है कि, कोविड-19 महामारी के बाद किशोरों में मेंटल हेल्थ की समस्या गंभीर रूप से बढ़ी है। 
    • यही वजह है कि 11% छात्रों ने हमेशा चिंतित रहने, 14% छात्रों ने अत्यंत भावुक रहने और 43% विद्यार्थियों ने बार-बार मानसिक स्थिति बदलने (मूड स्विंग) की शिकायत की है।

अर्थव्यवस्था पर मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव 

  • भूलने की समस्या (absenteeism), उत्पादकता में कमी,  दिव्यांगता, स्वास्थ्य सेवा पर खर्च बढ़ने आदि की वजहों से मानसिक स्वास्थ्य विकार की समस्या पूरी तरह से आर्थिक स्तर पर उत्पादकता घटने से जुड़ी हुई है।
  • गरीबी की वजह से भी मानसिक स्वास्थ्य का जोखिम बढ़ जाता है। 
    • कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण जीवन की तनावपूर्ण परिस्थितियों, आर्थिक अस्थिरता, और आगे बढ़ने के लिए जरूरी अवसरों के न मिलने की वजह से मनोवैज्ञानिक समस्याएं अधिक हावी रहती हैं।
  • स्वास्थ्य देखभाल लागत में वृद्धि कुल आर्थिक प्रगति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। 

मानसिक स्वास्थ्य संबंधित प्रमुख पहल और नीतियाँ 

  • मानसिक स्वास्थ्य को समग्र कल्याण का एक मूलभूत पहलू मानते हुए, सर्वेक्षण में इस संबंध में सरकार द्वारा की गई निम्नलिखित प्रमुख पहलों और नीतियों को रेखांकित किया गया है: 
  • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम : इस योजना में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 1.73 लाख से ज्यादा उप-स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अर्बन हेल्थ एंड वेननेस सेंटर्स को आयुष्मान आरोग्य मंदिर में अपग्रेड किया गया है, जहां मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं।
  • नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्रामः 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 53 मानस केंद्र खोले गए हैं जहां 1600 से अधिक प्रशिक्षित काउंसलर 20 से अधिक भाषाओं में सहायता दे रहे हैं। 
    • इन मानस केंद्रों के जरिए अक्टूबर 2022 से 31 मार्च 2024 तक 8.07 लाख से ज्यादा फोन क़ॉल्स आए जिस पर काउंसलर्स ने लोगों के सवालों के जवाब दिए।
  • मानसिक स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में वृद्धिः 25 उत्कृष्ट केंद्रों को स्नातकोत्तर (पीजी) विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने को स्वीकृति दी गई है। 
    • इससे 19 सरकारी मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों के 47 पीजी विभागों को सहयोग मिलेगा। 
    • इसके अलावा, 22 एम्स में मेंटल हेल्थ सर्विस देने का प्रावधान भी किया गया है। 
    • जनरल हेल्थ केयर मेडिकल और पैरामेडिकल पेशेवरों को ऑनलाइन ट्रेनिंग देने के लिए 3 डिजिटल एकेडमिक्स प्रदान किए गए हैं।    
  • राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रमः देशभर में एडोलसेंट फ्रेंडली हेल्थ क्लिनिक्स (AFHC) और किशोर शिक्षा कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

मानसिक स्वास्थ्य पर नीतिगत सिफारिशें

  • 2021 में प्रति लाख जनसंख्या पर 0.75 मनोचिकित्सकों से बढ़ाकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुसार प्रति लाख जनसंख्या पर मनोचिकित्सकों की संख्या को बढ़ाकर तीन करना।
  • मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को समझने के लिए उत्कृष्टता केंद्रों की सेवाओं के लिए व्यापक दिशा-निर्देश विकसित करना।
  • उपयोगकर्ताओं, पेशेवरों एवं हितधारकों से फीडबैक एकत्र करके कार्यक्रमों की प्रभावशीलता का आकलन करना।
  • सहकर्मी सहायता नेटवर्क, स्वयं सहायता समूह एवं समुदाय-आधारित पुनर्वास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना। 
  • प्रयासों को बढ़ाने, ज्ञान साझा करने तथा भविष्य की नीतियों को बेहतर बनाने के लिए संसाधनों का लाभ उठाने के लिए गैर-सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी करना।
  • निर्णय लेने, सेवा नियोजन और वकालत के प्रयासों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के साथ व्यक्तिगत अनुभव वाले व्यक्तियों को शामिल करके मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की व्यक्ति-केंद्रितता और सुधार अभिविन्यास बढ़ाना।
  • विकारों की शीघ्र पहचान के लिए प्री-स्कूल, आंगनवाड़ी स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाना।
  • सरकारी और निजी क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दिशा-निर्देशों का मानकीकरण करना।
  • शिक्षकों और छात्रों के लिए आयु-उपयुक्त मानसिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम विकसित करना, स्कूलों में प्रारंभिक हस्तक्षेप और सकारात्मक भाषा को प्रोत्साहित करना, समुदाय-स्तर पर बातचीत को बढ़ावा देना और प्रौद्योगिकी की भूमिका को संतुलित करना।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए, व्यक्तिगत स्तर पर मौलिक अनिच्छा को स्वीकार करके और उसका समाधान करके मानसिक स्वास्थ्य से निपटना।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख प्रयास 

  • व्यापक मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना (2013-2030)
  • मानसिक स्वास्थ्य के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (2019-2023) : 12 प्राथमिकता वाले देशों में 100 मिलियन से अधिक लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण और किफायती मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • आत्महत्या रोकथाम के लिए LIVE LIFE पहल
  • मानसिक स्वास्थ्य अंतर कार्रवाई कार्यक्रम 
  • पीएआरओ घोषणा (PARO declaration) : जन-केंद्रित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच पर दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए डब्ल्यूएचओ क्षेत्रीय समिति के पचहत्तरवें सत्र में सदस्य राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों द्वारा यह घोषणा की गई। 

निष्कर्ष

मानसिक स्वास्थ्य सेवा में जमीनी स्तर पर किए गए सुधारों को गति देने तथा मौजूदा कार्यक्रमों की कमियों को दूर करने के लिए उचित क्रियान्वयन पर जोर दिया जाना चाहिए, ताकि उनकी प्रभावशीलता को अधिकतम किया जा सके।

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