चर्चा में क्यों
हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) प्रमुख के कार्यकाल में वृद्धि को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
प्रमुख बिंदु
- केंद्र सरकार ने मौजूदा ई.डी. प्रमुख के कार्यकाल में 1 वर्ष की वृद्धि की है। यह निर्णय विगत वर्ष केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में संशोधन के आधार पर लिया गया है। सरकार का तर्क है कि यह निर्णय सीमा पार अपराधों से संबंधित कुछ लंबित जांचों के लिये महत्वपूर्ण थी।
- वर्तमान में ई.डी. के निदेशक श्री संजय कुमार मिश्र (IRS) हैं और यह एजेंसी वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत कार्य करती है।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अधिनियम, 2021
- इस अधिनियम द्वारा केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) अधिनियम, 2003 में संशोधन किया गया है। इसकी धारा 25 ई.डी. निदेशक की नियुक्ति और कार्यकाल से संबंधित है।
- प्रवर्तन निदेशक की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय सतर्कता आयुक्त करते हैं और इसमें गृह मंत्रालय, कार्मिक तथा राजस्व विभाग के सचिव शामिल होते हैं।
- प्रवर्तन निदेशक का कार्यकाल न्यूनतम दो वर्ष का होता है। संशोधित अधिनियम के अनुसार प्रारंभिक नियुक्ति से पांच वर्ष पूरे होने तक निदेशक का कार्यकाल समिति की सिफारिश पर जनहित में एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
याचिकाकर्ता के तर्क
- संशोधित अधिनियम प्रवर्तन निदेशक के कार्यकाल की स्थिरता को समाप्त करता है।
- नियुक्त समिति पूर्णतया कार्यकारी सदस्यों से बनी है तथा मुख्य न्यायाधीश जैसे किसी बाह्य प्राधिकरण को भी इसमें शामिल नहीं किया गया है।
- सी.बी.आई. (CBI) निदेशक की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में तीन-सदस्यीय समिति की अनुशंसा पर केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
- इसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय का कोई अन्य न्यायाधीश) भी शामिल होते हैं।
- मौजूदा प्रवर्तन निदेशक ने विगत पाँच वर्ष के आधार पर अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा प्रस्तुत नहीं किया है, जो उन्हें इस पद के लिये अयोग्य करता है।