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आर्कटिक हीटवेव का साइबेरिया पर प्रभाव

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, जल-स्रोत व हिमावरण सहित अति-महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएँ तथा वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन, इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव)

पृष्ठभूमि

हालिया दिनों में, आर्कटिक वृत्त अत्यधिक उच्च तापमान का सामना कर रहा है। इस वृत्त के अंतर्गत साइबेरिया क्षेत्र के वर्खोयांस्क में उच्चतम 38 0C तापमान दर्ज किया गया है। स्थानीय स्तर पर दर्ज किया गया यह उच्चतम तापमान है तथा आर्कटिक वृत्त में भी इसे सम्भवतः एक रिकॉर्ड माना जा रहा है। इस समय वर्खोयांस्क क्षेत्र के तापमान को औसत तापमान की अपेक्षा 15 से 20 0C अधिक माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्खोयांस्क विश्व का सबसे ठंडा स्थान है। यह स्थान उत्तरी ध्रुव से सिर्फ 800 मील दक्षिण में है और उत्तर-पूर्वी साइबेरिया में याना नदी पर स्थित है। इस प्रकार, आर्कटिक वृत्त में यह क्षेत्र न्यूनतम व उच्चतम तापमान का गवाह बना है।

चिंताएँ

  • इस क्षेत्र में इतना अधिक तापमान, कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण उत्सर्जन में हुई गिरावट के बावजूद सबसे गर्म वर्ष होने का संकेत है।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ पर जून माह में तापमान सामान्य से 18 0C तक अधिक है। इस प्रकार की असाधारण गर्मी मुख्य रूप से साइबेरियाई क्षेत्र में ही केंद्रित रहती थी परंतु अब यह अन्य ध्रुवीय क्षेत्रों में भी फ़ैल रही है। इस कारण से उत्तरी ध्रुव के आस-पास जंगल की आग जैसी समस्या पैदा हो गई है।
  • विश्व आर्थिक मंच (WEF) की रिपोर्ट के अनुसार, साइबेरिया में गर्म तापमान के कारण विश्व स्तर पर मई को सबसे गर्म महीने के रूप में दर्ज किया गया है। वर्ष 1981 से 2010 के बीच मई माह का तापमान औसत से 0.63 0C अधिक दर्ज किया गया है।
  • इसके अलावा, चिंता का एक अन्य कारण इस क्षेत्र में जंगल की आग है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से उत्तर-पूर्व साइबेरिया में जंगल की आग की संख्या व तीव्रता में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्तमान में साइबेरिया में लगभग 680,000 एकड़ क्षेत्र जंगल की आग के प्रभाव में है।
  • ध्यातव्य है कि जून की शुरुआत में इस क्षेत्र की स्थानीय नदी अम्बरनाया (Ambarnaya) और आस-पास के इलाकों में वृहद् मात्रा में तेल-रिसाव के कारण रूस ने आपातकाल घोषित कर दिया था।

साइबेरिया में तापमान की वर्तमान स्थिति

  • कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा (CCCS) के अनुसार, पिछले एक महीने में, साइबेरिया में सबसे अधिक औसत तापमान दर्ज किया गया, जो की सामान्य से 10 0C अधिक था। हालाँकि, यह घटना सिर्फ मई माह में ही नहीं हुई बल्कि जनवरी से ही साइबेरिया में सतह की हवा का तापमान औसत से अधिक रिकॉर्ड किया जा रहा है।
  • गौरतलब है कि सी.सी.सी.एस. के अनुसार, पूरी पृथ्वी गर्म हो रही है परंतु पश्चिमी साइबेरिया जैसे क्षेत्र औसत से अधिक तेज़ी से गर्म हो रहे हैं। हालाँकि, बड़ी समस्या साइबेरिया में महीनों तक तापमान का सामान्य से अधिक रहना माना जा रहा है।
  • पिछले वर्ष रूस के राष्ट्रपति ने इस क्षेत्र में बढ़ते तापमान पर चिंता व्यक्त की थी। उनकी चिंता का प्रमुख कारण बढ़ते तापमान के प्रभाव से परमाफ्रॉस्ट (Permafrost) का पिघलना था, जिस के ऊपर उत्तरी रूस के कुछ शहर बसे हुए हैं।

स्थाई तुषार या परमाफ्रॉस्ट (Permafrost)

I. परमाफ्रॉस्ट दो शब्दों (Perma[nent]+ Frost) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है स्थाई तुषार। भूविज्ञान में परमाफ्रॉस्ट से तात्पर्य ऐसी भूमि से है जहाँ मिट्टी की परत कम से कम दो वर्ष या अधिक समय तक लगातार शून्य 0C से कम तापमान पर जमी रही हो।

II. इस प्रकार, सतह पर मौजूद पानी प्रायः मिट्टी के साथ मिलकर उसे इतनी सख़्ती से जमा देता है कि मिट्टी सीमेंट या पत्थर जैसी कठोर हो जाती है। परमाफ्रॉस्ट वाले स्थान अधिकतर पृथ्वी के ध्रुवों के पास ही पाए जातें हैं। इसमें साइबेरिया, ग्रीनलैंड व अलास्का प्रमुख हैं, हालाँकि कुछ ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों जैसे कि तिब्बत व लद्दाख़ में भी कहीं-कहीं परमाफ्रॉस्ट पाए जाते हैं।

III. परमाफ्रॉस्ट वाले क्षेत्रों में इमारतों को बनाने में काफ़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है क्योंकि इन इमारतों की गर्मी से परमाफ्रॉस्ट समय के साथ पिघलता जाता है।

IV. परमाफ्रॉस्ट वाले क्षेत्र अधिकांशत: जैविक कार्बन से समृद्ध होते हैं। जमी हुई स्थिति में कार्बन लगभग निष्क्रिय होता है, परंतु ताप बढ़ने के साथ कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के कारण वातावरण में कार्बन की सांद्रता में वृद्धि होने लगती है।

क्या आर्कटिक हीटवेव सामान्य परिघटना है?

  • यह पहली बार नहीं है कि आर्कटिक में बढ़ते तापमान ने ख़तरे का संकेत दिया है। नेचर क्लाइमेट चेंज के अनुसार वर्ष 2016 में भी आर्कटिक का तापमान असामान्य था। उदाहरण के लिये, उस वर्ष तापमान में दैनिक विसंगतियाँ सामान्य से अधिक दर्ज की गई थी जो कुछ स्थानों पर 16 0C तक पहुँच गई थी।
  • बढ़ते हुए तापमान को इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हवा के पैटर्न में बदलाव के लिये ज़िम्मेदार ठहराया गया जिसने आर्कटिक क्षेत्र को गर्म कर दिया। साथ ही, समुद्री बर्फ का अभाव तथा मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन भी इसके लिये अन्य उत्तरदाई कारण थे।

प्रभाव

  • आई.ओ.पी. साइंस के अनुसार पिछले एक दशक में स्थलीय आर्कटिक पर हीट वेव की घटनाओं में वृद्धि हुई है। आर्कटिक क्षेत्र में गर्म लहरें स्थानीय वनस्पति, पारिस्थितिकी, मानव स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिये खतरा बन चुकी हैं।
  • साथ ही, हीटवेव के कारण नदियों के समय से पूर्व पिघलने की घटनाएँ भी देखी जा रहीं हैं। पिघलने की इन घटनाओं के विनाशकारी परिणाम भी हो सकते हैं। कुछ समय पूर्व इस क्षेत्र में हुए तेल रिसाव के लिये आंशिक रूप से परमाफ्रॉस्ट के पिघलने को भी उत्तरदाई माना जा रहा है। परमाफ्रॉस्ट के पिघलने से कई जगह घरों व इमारतों पर संकट आ गया है।
  • परमाफ्रॉस्ट का पिघलना विशेष रूप से रूस के लिये एक कठिन चुनौती है क्योंकि इस जमी हुई ज़मीन की कठोरता का प्रयोग करके कई घरों तथा तेल व गैस के बुनियादी ढाँचे का निर्माण किया गया है। परमाफ्रॉस्ट को उस समय स्थिर माना जाता था।
  • इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के कारण परमाफ्रॉस्ट के पिघलने से ग्रीनहाउस गैसों, मुख्य रूप से मीथेन का उत्सर्जन बढ़ जाएगा, फलस्वरूप जलवायु परिवर्तन में और वृद्धि होगी।
  • आर्कटिक में हीटवेव के प्रभाव से जंगलों की आग में वृद्धि के परिणामस्वरुप कॉर्बन उत्सर्जन की मात्रा में अत्यधिक वृद्धि हुई है। पूर्वोत्तर कनाडा और स्कैंडेनेविया में भी असाधारण रूप से समय पूर्व गर्मियों का अनुभव होने के साथ-साथ पहली बार बड़े स्तर पर आग फैलने लगी है।
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