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मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की कवायद

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, संसद ने ‘चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021’ पारित किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस विधेयक में मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत मतदाता पंजीकरण अधिकारी ‘स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने के इच्छुक आवेदकों’ से आधार नंबर मांग सकता है।
  • पंजीकरण अधिकारी पहले से मतदाता सूची में शामिल लोगों से भी आधार संख्या मांग सकते हैं।
  • इससे किसी मतदाता के एकाधिक बार नामांकन होने की समस्या समाप्त होगी।
  • आधार संख्या प्रस्तुत न किये जाने की स्थिति में किसी भी नागरिक का नाम मतदाता सूची से नहीं निकाला जाएगा।
  • किसी कारणवश आधार नंबर प्रस्तुत ना कर पाने की स्थिति में नागरिक को पहचान के साक्ष्य के रूप में अन्य दस्तावेज़ पेश करने की अनुमति होगी।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियमों में संशोधन

  • ‘आर.पी.ए., 1950’ की धारा-23 में संशोधन कर ‘एक ही व्यक्ति के कई जगह नामांकन’ को रोका जाएगा।
  • ‘आर.पी.ए., 1950’ की धारा-14 में संशोधन कर ‘स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने के लिये’ एक वर्ष में चार तिथियाँ – जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीनों की पहली तारीख – निर्धारित की गई हैं।
  • ‘आर.पी.ए., 1950’ की धारा-20 और ‘आर.पी.ए., 1951’ की धारा-60 में संशोधन कर लैंगिक विभेद दूर करने का प्रयास किया गया है।
  • वर्तमान में एकमात्र योग्यता तिथि ‘1 जनवरी’ है। अर्थात् 1 जनवरी को या उससे पहले 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले लोग स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत करा सकते हैं।
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