यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) की यूक्लिड अंतरिक्ष दूरबीन ने पृथ्वी से लगभग 590 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर एक आकाशगंगा के चारों ओर प्रकाश का एक दुर्लभ रिंग खोजा है, जिसे आइंस्टीन रिंग के रूप में जाना जाता है।
आइंस्टीन रिंग के बारे में
आइंस्टीन रिंग डार्क मैटर, आकाशगंगा या आकाशगंगाओं के समूह के चारों ओर प्रकाश की एक वलय या रिंग है।
प्रथम आइंस्टीन रिंग की खोज वर्ष 1987 में हुई थी तथा तब से अब तक अनेक रिंग खोजे जा चुके हैं।
लेकिन आइंस्टीन रिंग अत्यंत दुर्लभ हैं जो 1% से भी कम आकाशगंगाओं में देखे गए हैं।
ये रिंग गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के कारण बनते हैं।
गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग :यह परिघटना तब होती है जब कोई विशाल आकाशीय पिंड (जैसे आकाशगंगा या आकाशगंगाओं का समूह) अपने गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र उत्पन्न के पास से गुजरने वाले प्रकाश को विकृत और प्रवर्धित कर देता है।
नामकरण
इस घटना का नाम अल्बर्ट आइंस्टीन के नाम पर रखा गया है।
आइंस्टीन ने सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत में भविष्यवाणी की थी कि यदि कोई बहुत भारी आकाशीय पिंड प्रकाश की किरण के रास्ते में आ जाए तो वह पिण्ड उन किरणों को मोड़ सकता है।
इस सिद्धांत के कारण गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के परिणामस्वरूप आइंस्टीन रिंग्स का निर्माण हुआ।
हालिया खोज
इस आइंस्टीन रिंग की खोज NGC 6505 आकाशगंगा के पास की गई है, जिसे पहली बार 19वीं शताब्दी में देखा गया था।
यह रिंग 4.42 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक अनाम आकाशगंगा से आने वाले प्रकाश के विरूपण से निर्मित हुआ है।
आइंस्टीन रिंग्स का शोध कार्य में महत्त्व
ये रिंग वैज्ञानिकों को डार्क मैटर की जाँच करने में मदद करते हैं।
डार्कमैटर का अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड में कुल पदार्थ का 85% हिस्सा डार्क मैटर का है।
इनके अध्ययन से ब्रह्मांड के विस्तार के बारे में भी जानकारी मिल सकती है।
जब आकाशगंगाओं के बीच की दूरी बढ़ती है, तो इससे प्रकाश के मार्ग में भी विकृति उत्पन्न होती है, जो आइंस्टीन रिंग के रूप में दिखाई देती है।
इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलती है कि ब्रह्मांड किस गति से फैल रहा है तथा भविष्य में इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं।