जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था ऊपर की ओर बढ़ रही है, उत्सर्जन-सघन क्षेत्रों का उदय बड़े पैमाने पर हो रहा है। ऐसे में इलेक्ट्रोलाइज़र का घरेलू विनिर्माण औद्योगिक उत्सर्जन के लिए क्रन्तिकारी साबित हो सकता है।
क्या है इलेक्ट्रोलाइजर
यह एक ऐसा उपकरण है जो रासायनिक प्रक्रिया (इलेक्ट्रोलिसिस) के माध्यम से हाइड्रोजन का उत्पादन करता है। यह बिजली का उपयोग करके पानी के अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अणुओं में विभाजित करने में सक्षम है।
परंपरागत रूप से, हाइड्रोजन का उत्पादन प्राकृतिक गैस या कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है।
मुख्य रूप से उर्वरक उद्योग के अमोनिया उत्पादन में अनुप्रयोगों के लिए, मीथेन भाप और कोयला गैसीकरण, हाइड्रोजन उत्पादन की क्रमशः प्राकृतिक गैस और कोयले का उपयोग करने की प्रमुख विधियाँ हैं।
इलेक्ट्रोलाइजर कार्यप्रणाली :
इसमें एक झिल्ली द्वारा अलग किए गए संवाहक इलेक्ट्रोड कक्ष होते हैं जिनमें कैथोड और एनोड लगे होते हैं, जिसके बीच उच्च वोल्टेज और धारा प्रवाहित की जाती है।
इसप्रकार, उच्च विद्युत प्रवाह के कारण पानी अपने घटकों हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में टूट जाता है।
हाइड्रोजन के साथ-साथ उत्पन्न ऑक्सीजन को या तो वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है या चिकित्सा और औद्योगिक गैस के रूप में उपयोग के लिए संग्रहीत कर लिया जाता है।
उत्पादित हाइड्रोजन को ईंधन सेल में उपयोग करने के लिए संपीड़ित गैस या तरलीकृत रूप में संग्रहित किया जाता है। इसका औद्योगिक कार्यों, ट्रेनों, जहाजों और वायुयानों को विमानों जैसे परिवहन वाहनों को ऊर्जा प्रदान करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
इलेक्ट्रोलाइजर के प्रकार : इलेक्ट्रोलाइट सामग्री और संचालित आयनिक प्रक्रियाओं के आधार पर इलेक्ट्रोलाइज़र विभिन्न प्रकार हो सकते हैं। कुछ प्रमुख इलेक्ट्रोलाइज़र निम्नलिखित हैं:-
क्षारीय इलेक्ट्रोलाइज़र : क्षारीय इलेक्ट्रोलिसिस एक परिपक्व और व्यावसायिक रूप से उपलब्ध तकनीक है जिसका उपयोग मुख्य रूप से उर्वरक और क्लोरीन उद्योगों द्वारा किया जाता है।
इसमें मोटी झिल्लियों और निकल-आधारित इलेक्ट्रोड का उपयोग किया जाता है।
इसमें कैथोड से एनोड तक इलेक्ट्रोलाइट के माध्यम से हाइड्रॉक्साइड आयनों (OH-) का परिवहन होता है जबकि कैथोड कक्ष पर हाइड्रोजन उत्पन्न होता है।
पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट झिल्ली (PEM) इलेक्ट्रोलाइजर : इसमें इलेक्ट्रोलाइट के रूप में विशेष ठोस प्लास्टिक सामग्री का उपयोग किया जाता है।
पानी एनोड पर प्रतिक्रिया करके ऑक्सीजन और धनावेशित हाइड्रोजन आयन (प्रोटॉन) बनाता है।
इलेक्ट्रॉन एक बाहरी सर्किट के माध्यम से प्रवाहित होते हैं और हाइड्रोजन आयन चुनिंदा रूप से PEM से कैथोड तक चले जाते हैं।
कैथोड पर, हाइड्रोजन आयन बाहरी सर्किट से इलेक्ट्रॉनों के साथ मिलकर हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
ठोस ऑक्साइड इलेक्ट्रोलाइज़र : ठोस ऑक्साइड इलेक्ट्रोलाइजर (SOE) तकनीक में क्षारीय इलेक्ट्रोलाइज़र और PEM की तुलना में कम बिजली की खपत करती है लेकिन यह एक महंगा विकल्प है।