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अपराधी प्रबंधन के लिए इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली

प्रारंभिक परीक्षा 

(भारतीय राजनीतिक व्यवस्था)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ 

भारत में जेल प्रणाली के समक्ष गंभीर चुनौतियां हैं तथा जेलों में अत्यधिक कैदियों की संख्या एक ज्वलंत मुद्दा है। सर्वोच्च न्यायालय के अनुसंधान एवं नियोजन केंद्र की एक हालिया रिपोर्ट में जेलों में अत्यधिक कैदियों की संख्या कम करने के लिए विचाराधीन कैदियों (Under Trial Prisoners : UTP) की रिहाई का विचार प्रस्तुत किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय की हालिया रिपोर्ट के बारे में

  • ‘भारत में जेल- जेल नियमावली का मानचित्रण एवं सुधार तथा भीड़भाड़ कम करने के उपाय’ शीर्षक वाली रिपोर्ट 5 नवंबर, 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा जारी की गई। 
  • इस रिपोर्ट में रिहाई के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग उपकरणों का उपयोग करने के लिए पायलट कार्यक्रम शुरू करने का आह्वान किया गया है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी का एक पायलट कार्यक्रम सर्वप्रथम अच्छे आचरण एवं निम्न जोखिम वाले यू.टी.पी. पर किया जा सकता है, जिन्हें पैरोल या फरलो जैसी जेल छुट्टियों पर रिहा किया जा सकता है।
  • अपराधी प्रबंधन में प्रौद्योगिकी के उपयोग की सफलता दर के आधार पर यह कार्यक्रम बाद में अन्य कैदियों तक बढ़ाया जा सकता है।
  • अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया एवं अन्य देशों सहित दुनिया भर के विदेशी न्यायालय जेलों में भीड़भाड़ को कम करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं।
  • मई 2023 में गृह मंत्रालय ने ‘मॉडल जेल एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2023’ को सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को उनके संबंधित अधिकार क्षेत्रों में अपनाने के लिए भेजा है।
    • इस अधिनियम ने पहली बार कैदियों पर इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग उपकरणों के उपयोग की शुरुआत की।
  • भारत में सुधारात्मक ढांचे में तनाव कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग स्वागत योग्य है। हालांकि, इस बारे में कोई दिशानिर्देश या न्यूनतम मानक नहीं हैं कि इस ट्रैकिंग तकनीक को कैदियों के मौलिक अधिकारों के अनुचित उल्लंघन के बिना कब एवं कैसे नियोजित किया जा सकता है।
  • जेलों में भीड़ कम करने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए राज्य द्वारा की जाने वाली किसी भी तरह की निगरानी के लिए उचित सुरक्षा उपाय एवं स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए।

इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली के प्रयोग के लिए न्यायालय के निर्णय 

  • जुलाई 2022 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने जालसाजी एवं धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी के लिए जमानत आदेश पारित किया था, जिसमें एक शर्त यह थी कि उसे प्रत्येक सप्ताह गूगल मैप्स पर अपना लाइव लोकेशन डालना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पुलिस के पास उसकी अवस्थिति उपलब्ध है।
  • नवंबर 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने एक आरोपी को इस शर्त पर जमानत पर रिहा कर दिया कि वह राजस्थान के अलवर जिले से आगे नहीं जाएगा और 24 घंटे जांच अधिकारी के मोबाइल फोन के साथ अपने मोबाइल फोन के माध्यम से अपनी स्थिति उपलब्ध कराएगा।
  • हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रथा को अस्वीकार करते हुए कहा था कि जमानत की शर्त का उद्देश्य जमानत पर रिहा किए गए अभियुक्तों की गतिविधियों पर निरंतर निगरानी रखना नहीं हो सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के पक्ष में तर्क

  • जेल में भीड़ में कमी : इलेक्ट्रॉनिक निगरानी से भारतीय जेलों में अत्यधिक भीड़ की समस्या को कम किया जा सकता है और विचारधीन कैदियों को बेहतर जीवन उपलब्ध कराया जा सकता है। 
    • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार 31 दिसंबर, 2022 को भारत की सभी जेलों में कुल कैदियों की क्षमता की अपेक्षा 131% कैदी थे जो अत्यधिक बोझिल व्यवस्था को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, 75.7% कैदी यू.टी.पी. हैं।
  • बुनियादी ढांचे पर कम बोझ : व्यक्तियों को जेलों में बंद रखने के बजाए उन पर नज़र रखने के लिए ट्रैकिंग डिवाइस का इस्तेमाल करने से जेल के बुनियादी ढांचे पर बोझ कम होगा।
    • मई 2017 की भारतीय विधि आयोग की रिपोर्ट ने भी माना कि इलेक्ट्रॉनिक टैगिंग से भगोड़ों की दर (प्रतिवादी को आसानी से ढूँढ़ने में) और सरकारी व्यय (सरकारी खर्च पर हिरासत में लिए गए प्रतिवादियों की संख्या को कम करके) दोनों को कम करने की क्षमता है।
    • हालाँकि, यदि इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली का उपयोग किया जाता है तो इसे अत्यधिक सावधानी के साथ लागू किया जाना चाहिए।
  • मानसिक तनाव में कमी : सीमित पारिवारिक संपर्क एवं एकांत के कारण कैदियों को होने वाले मानसिक तनाव को कम करने में भी मदद मिलेगी।
  • पारिवारिक लाभ : कैदियों के जेल से बाहर अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करने से समाज में परिवार के स्तर पर बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे और बच्चों को अपने माता-पिता के साथ एक खुशहाल जीवन का अवसर मिलेगा।

इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के विपक्ष में तर्क 

  • दुरूपयोग : कुछ विशेषज्ञों ने इस प्रथा को सार्वभौमिक रूप से संस्थागत बनाने पर आपत्ति व्यक्त की है। उनके अनुसार इस प्रणाली का प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा दुरूपयोग किया जा सकता है।
  • नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन : कैदियों को जेल परिसर से बाहर आम नागरिकों के मध्य भ्रमण की स्वतंत्रता से नागरिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन होगा और सामान्य लोगों के मन में सदैव सुरक्षा का खतरा बना रहेगा।
  • न्यायिक उद्देश्य की पूर्ति में बाधा : इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग का विचार सार्वभौमिक नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह ज्यादातर मामलों में न्यायिक उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर सकता है और कुछ मामलों में यह व्यावहारिक भी नहीं हो सकता है। इसके सार्वभौमिक अनुप्रयोग का दुरुपयोग उन लोगों के खिलाफ भी किया जा सकता है जिन्हें न्यायालयों ने जमानत दे दी है।

निष्कर्ष 

अमेरिका जैसे देशों में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी द्वारा जेलों में संख्या वृद्धि को रोकने के लिए एक लोकप्रिय उपकरण के रूप में उभरी है। फरवरी 2024 में जर्नल ऑफ पब्लिक इकोनॉमिक्स में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी न केवल आपराधिक पुनरावृत्ति को कम करता है बल्कि श्रम आपूर्ति को भी बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी उन बच्चों की शैक्षिक उपलब्धि एवं प्रारंभिक जीवन में सुधार लाता है जिनके माता-पिता इस प्रणाली के संपर्क में थे। अत: भारत में भी इस प्रकार की सुधार प्रणाली को विचारपूर्वक अपनाए जाने की आवश्यकता है।

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