प्रारम्भिक परीक्षा – पर्यावरण एवं जैव-विविधता मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र -1 |
सन्दर्भ
- जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के अनुसार देश में लगभग 5% स्थानिक/ स्थानीय पक्षी हैं।
- ZSI के 108वें स्थापना दिवस पर जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 75 स्थानिक पक्षियों को इस सूची में से बहार कर दिया गया है।
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI)
- भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) की स्थापना 1 जुलाई, 1916 को तत्कालीन 'ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य' के असाधारण समृद्ध जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में हमारे ज्ञान में उन्नति के लिए सर्वेक्षण, अन्वेषण और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
- इसका उद्भव 1875 में कलकत्ता के भारतीय संग्रहालय में स्थित प्राणी विज्ञान अनुभाग की स्थापना के साथ ही हुआ था।
- अब यह इकाई पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार (Ministry of Environment, Forest and Climate Change, Government of India) के अंतर्गत आता है।
- इसका मुख्यालय कोलकाता में है।
- इस संस्था ने अब तक 16 क्षेत्रीय फील्ड स्टेशनों की स्थापना की है तथा इसके साथ ही यह एक प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान के रूप में विकसित हुआ है।
- यह राष्ट्रीय प्राणी संग्रह के संरक्षक के रूप में कार्य करता है, जिसमें प्रोटोजोआ से लेकर स्तनधारियों तक के सभी पशु समूहों के एक लाख से अधिक पहचाने गए नमूने शामिल हैं।
- भारत को चार जैव विविधता वाले तप्त स्थलों-पश्चिमी घाट / श्रीलंका, इंडो बर्मा, हिमालय और सुंदरलैंड के साथ दुनियां के सत्रह उच्च विविधता वाले देशों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- जैव विविधता सम्मेलन के अनुच्छेद 5, 6, 7, 8, 10, 13, 14, 17 और 18 के संदर्भ में, इसके प्राथमिक और द्वितीयक उद्देश्यों के संबंध में 251 की भूमिका को विस्तृत किया गया है।
- ZSI जैविक विविधता के घटकों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए वाणिज्यिक महत्व की प्रजातियों की घटती आबादी पर समय पर चेतावनी प्रदान करता है।
- वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) : यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के खतरों से लुप्तप्राय पौधों और जानवरों की रक्षा के लिए एक बहुपक्षीय संधि है। ।
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- इस रिपोर्ट के अनुसार,भारत वर्तमान में लगभग 1,353 पक्षियों कि प्रजातियाँ स्थित हैं। जो वैश्विक पक्षी विविधता का लगभग 12.4% प्रतिनिधित्व करते हैं।इनमें से 78 (5%) देश के लिए स्थानिक हैं।
- इस रिपोर्ट में के अनुसार,78 प्रजातियों में से तीन पक्षियों को पिछले कुछ दशकों में देखा नहीं गया है।
1.बुश बटेर(Bush Quail)
- ये मणिपुर बुश बटेर (Perdicula Manipurensis) हैं, जिन्हें इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में "खतरे में" के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जिसे आखिरी बार 1907 में देखा गया था;
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN)
- IUCN एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। जो प्रकृति के संरक्षण तथा प्राकृतिक संसाधनों के धारणीय उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करती है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी।
- इसका मुख्यालय ग्लैंड (स्विटज़रलैंड) में स्थित है।
- IUCN द्वारा जारी की जाने वाली लाल सूची दुनिया की सबसे व्यापक सूची है, जिसमें पौधों और जानवरों की प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण की स्थिति को दर्शाया जाता है।
- IUCN द्वारा प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम का मूल्यांकन करने के लिये कुछ विशेष मापदंडों का उपयोग किया जाता है। ये मानदंड दुनिया की अधिकांश प्रजातियों के लिये प्रासंगिक हैं।
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2.हिमालयी बटेर (Himalayan Quail)
- हिमालयी बटेर (Ophrysia Superciliosa), जिसे "गंभीर रूप से खतरे " के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। जिसे वर्ष 1876 में अपनी अंतिम बार देखा गया था।
3.जेर्डन के कोर्सर
- जेर्डन के कोर्सर (Rhinoptilus Bitorquatus) को वर्ष 2009 में अपनी अंतिम बार देखा गया था ; जिसे "गंभीर रूप से लुप्तप्राय" के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- इस रिपोर्ट का उद्देश्य स्थानिक पक्षी प्रजातियों के महत्व पर प्रकाश डाला है।
- जो पक्षी प्रकृति में प्रतिबंधात्मक हैं, यह बहुत ही महत्वपूर्ण हैं इसलिए उनके आवास संरक्षित किए जाएं ताकि वे कम न हों पायें।
- पक्षीविज्ञानी स्थानिक पक्षियों से संबंधित तथ्यों से अवगत हैं, इसलिएउन का यह प्रयास रहा है कि आम लोग, विशेषकर छात्र, इन स्थानिक प्रजातियों से अवगत हों और रक्षा करें।
प्रतिबंधित स्थानों में पाई जाने वाली प्रजातियाँ
- ZSI के अनुसार, भारत के 75 स्थानिक पक्षी उस समय आए थे जब देश आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के साथ आजादी के 75 वर्षों का जश्न मना रहा था।
पश्चिमी घाट
- अनेक स्थानिक पक्षी प्रजातियों की सबसे अधिक संख्या पश्चिमी घाट में दर्ज की गई है, यहाँ 28 पक्षी प्रजातियाँ हैं।
- देश के जैव-भौगोलिक हॉटस्पॉट में दर्ज कुछ प्रजातियां इस प्रकार हैं- मालाबार ग्रे हॉर्नबिल (Ocyceros Griseus) हैं; मालाबार तोता (Psittacula Columboides); एशंबू लाफिंगइंगथ्रश (Montecincla Meridionalis); और सफेद पेट वाली शोलाकिली (Sholicola Albiventris)।
- यह रिपोर्ट पक्षियों संरक्षण पर विशेष महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
प्रश्न : निम्नलिखित पक्षियों में से कौन सा पक्षी लुप्तप्राय सूचीबद्ध है ?
- हिमालयी बटेर
- बुश बटेर
- जेर्डन के कोर्सर
उपर्युक्त में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) केवल 1,2 और 3
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के महत्त्व तथा कार्यों की व्याख्या कीजिए ?
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स्रोत : The Hindu