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ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : सरकारी नीतियों एवं विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

हाल ही में, ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया। यह विधेयक एथेनॉल, हरित हाइड्रोजन एवं बायोमास सहित गैर-जीवाश्म ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये पेश किया गया है। सरकार के अनुसार, गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता कुल ऊर्जा उत्पादन का 42% है और इसके संक्रमण में तेज़ी लाने के लिये इस विधेयक को पेश किया गया है।  

ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक : मुख्य बिंदु 

  • इस संशोधन विधेयक का उद्देश्य ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में संशोधन करना है। इस विधेयक को अगस्त 2022 में लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था। 
  • इसमें ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिये उपकरणों, घरेलू उपयोग के उपकरणों, भवनों तथा उद्योगों द्वारा उपभोग की जाने वाली ऊर्जा के विनियमन का प्रावधान है।
  • इस विधेयक का उद्देश्य देश को जलवायु परिवर्तन पर अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने में मदद करना है।

प्रमुख प्रावधान 

गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों के उपयोग की बाध्यता

  • प्रस्तावित विधेयक केंद्र सरकार को ऊर्जा उपभोग के मानकों को निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है। 
  • सरकार किसी निर्दिष्ट उपभोक्ता से ऊर्जा खपत का एक न्यूनतम हिस्सा गैर-जीवाश्म स्रोत से प्राप्त करने की अपेक्षा कर सकती है, जिसके लिये स्रोत एवं उपभोक्ता श्रेणियों के अनुसार अलग-अलग सीमाएं निर्दिष्ट की जा सकती हैं।
  • गैर-जीवाश्म स्रोतों से ऊर्जा उपभोग की बाध्यता पूरी न करने की स्थिति में 10 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।

कार्बन ट्रेडिंग

  • यह विधेयक केंद्र सरकार को कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना निर्दिष्ट करने का अधिकार देता है।
  • केंद्र सरकार या कोई अधिकृत एजेंसी इस योजना के अंतर्गत पंजीकृत और उसका अनुपालन करने वाली संस्थाओं को कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र जारी कर सकती है।
  • संस्थाओं के अतिरिक्त कोई अन्य व्यक्ति भी स्वेच्छा से कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र खरीद सकता है।

भवनों के लिये ऊर्जा संरक्षण संहिता

  • यह विधेयक केंद्र सरकार को भवनों के लिये ऊर्जा संरक्षण संहिता निर्दिष्ट करने का अधिकार प्रदान करता है। 
  • नई संहिता ऊर्जा दक्षता एवं संरक्षण, अक्षय ऊर्जा के उपयोग तथा हरित भवनों की अन्य आवश्यकताओं से संबंधित नियमों का प्रावधान करेगी।
  • ‘ऊर्जा संरक्षण एवं सतत भवन संहिता’ का प्रावधान करके इसे आवासीय भवनों तक विस्तारित किया गया है।

वाहनों एवं जलयानों के लिये मानदंड 

  • इस विधेयक के अंतर्गत ऊर्जा उपभोग के मानदंड ऐसे उपकरणों तथा घरेलू उपयोग के उपकरणों के लिये निर्दिष्ट किये जा सकते हैं जो ऊर्जा उपभोग, उसका उत्पादन, पारेषण या आपूर्ति करते हैं।
  • यह विधेयक वाहनों एवं जलयानों (जहाज एवं नावों सहित) को शामिल करने के लिये इसके दायरे में वृद्धि करता है। 
  • मानदंडों का पालन न करने की स्थिति जुर्माने का प्रावधान है। साथ ही, ईंधन खपत के नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन निर्माताओं को बेचे गए प्रत्येक वाहन पर 50,000 रुपए तक का जुर्माना चुकाना पड़ सकता है।

राज्य विद्युत् विनियमन आयोग की शक्तियां

  • यह विधेयक राज्य विद्युत विनियमन आयोगों (State Electricity Regulatory Commissions : SERCs) को दंड पर निर्णय देने की शक्ति देता है।
  • प्रस्तावित विधेयक के प्रावधानों के तहत एस.ई.आर.सी. अपने कार्यप्रणाली के संबंध में विनियम भी बना सकते हैं।

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो की शासी परिषद् का संयोजन

  • इस विधेयक में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency : BEE) की शासी परिषद् के पुनर्गठन का प्रावधान है।
  • इस परिषद् के सदस्यों की संख्या को 20 से 26 के स्थान पर 31 से 37 के मध्य निर्धारित करने का प्रावधान है। 

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो

  • भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत 1 मार्च, 2002 को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो की स्थापना की।
  • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का मिशन ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के समग्र ढांचे के भीतर भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा तीव्रता को कम करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ स्व-विनियमन एवं बाजार सिद्धांतों पर बल देने और नीतियों व रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करना है। 

प्रस्तावित परिवर्तन 

  • देश उत्सर्जन में कमी की दिशा में कार्य कर रहा है, हालांकि इसका प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत का लगभग एक-तिहाई है। 
  • भारत में पेट्रोलियम रिफाइनिंग के लिये प्राकृतिक गैस से तैयार हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है। कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिये इस विधेयक में प्राकृतिक गैस को प्रतिस्थापित करने और हरित हाइड्रोजन गैस का प्रयोग करने का प्रस्ताव है। 
  • इसी तरह, प्राकृतिक गैस से अमोनिया का निर्माण किया जाता है। अमोनिया व  प्राकृतिक गैस दोनों का आयात किया जाता हैइसे हरित हाइड्रोजन से प्रतिस्थापित करने का विचार है। 
  • बड़ी बहुमंजिला भवनों जैसे निर्माण क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता के लिये इस विधेयक में गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित निर्माण के लिये भवन सहिंता का प्रस्ताव है। 

प्रस्तावित परिवर्तनों का उदेश्य 

  • यह विधेयक अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने एवं जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिये घरेलू कार्बन बाजार के विकास की भी मांग करता है।
  • इसके अतिरिक्त, यह विधेयक कार्बन ट्रेडिंग जैसी नई अवधारणाओं को पेश करता है एवं गैर-जीवाश्म स्रोतों के उपयोग को अनिवार्य करता है, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था का तेजी से विकार्बनीकरण सुनिश्चित किया जा सके तथा पेरिस समझौते के अनुरूप सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल सके।
  • यदि कोई पोत ईंधन खपत मानदंडों का पालन करने में विफल रहता है तो यह विधेयक औद्योगिक इकाइयों या जहाजों के साथ-साथ निर्माताओं पर भी दंड का प्रावधान करता है। 
  • सरकार चीन से सौर पैनल्स के आयात को कम करना चाहती हैं, इसके लिये आयात शुल्क बढ़ा दिया गया है। जलवायु कार्रवाई के साथ-साथ निर्माण व विनिर्माण क्षेत्र में अग्रणी बने रहने के लिये सरकार प्रयासरत है।

प्रमुख मुद्दे 

  • इस विधेयक में कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग के बाजार नियमन का प्रावधान नहीं है। नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा बचत एवं कार्बन क्रेडिट योजना के अंतर्गत एक ही गतिविधि प्रमाणपत्र के लिये पात्र हो सकती है। यह विधेयक प्रमाणपत्र विनियमन के बारे में निर्दिष्ट नहीं करता है। 
    • इस समय ऊर्जा क्षेत्र में दो मुख्य ट्रेडिंग योजनाएं कार्य कर रही हैं : (i) अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये विद्युत् अधिनियम, 2003 के अंतर्गत अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (ii) ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिये ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के अंतर्गत ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र
  • इसके तहत, निर्दिष्ट उपभोक्ताओं को कुछ गैर-जीवाश्म ऊर्जा उपयोग बाध्यताओं को पूरा करना होगा। किसी क्षेत्र में डिस्कॉम के बीच सीमित प्रतिस्पर्धा को देखते हुए उपभोक्ताओं के पास ऊर्जा मिश्रण का विकल्प नहीं है।
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