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कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास का पर्यावरणीय प्रभाव

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स)

संदर्भ 

नवाचार एवं पर्यावरणीय जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial intelligence : AI) मूल्य शृंखला में कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की जा रही है। 

क्या है ए.आई. 

  • ए.आई. उन तकनीकों के समूह को संदर्भित करता है जो सूचना को संसाधित करने के साथ ही कम-से-कम सतही तौर पर मानवीय सोच की नकल (मिमिक) कर सकते हैं। 
  • 1950 के दशक से ही ए.आई. के प्रारंभिक रूप मौजूद हैं किंतु हाल के वर्षों में यह तकनीक बहुत तेज़ी से विकसित हुई है। 
    • इसका एक प्रमुख कारण ए.आई. मॉडल के प्रशिक्षण के लिए महत्त्वपूर्ण कंप्यूटिंग शक्ति में प्रगति एवं डाटा की अत्यधिक उपलब्धता है। 

ए.आई. तकनीक का बढ़ता दायरा

वर्तमान में ए.आई. जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बनता जा रहा है। यह हमारे काम करने, जीने एवं व्यापार करने के तरीके को बदल रहा है। 

  • व्यापक रूप से परिभाषित ए.आई. में ऐसी तकनीकें शामिल हैं जो मानवीय सोच एवं निर्णयन प्रक्रिया का अनुकरण करती हैं। 
  • वर्तमान वैश्विक AI बाज़ार का मूल्य $200 बिलियन है जिसके वर्ष 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में $15.7 ट्रिलियन तक योगदान देने का अनुमान है।
  • अमेरिका ने अगले चार वर्षों में ए.आई. अवसंरचना में $500 बिलियन से अधिक निवेश करने वाली स्टारगेट परियोजना की घोषणा की है। 
  • भारत में रिलायंस इंडस्ट्रीज, Nvidia नामक कंपनी के साथ साझेदारी में जामनगर में दुनिया का सबसे बड़ा डाटा सेंटर बनाने की योजना बना रही है। 
  • भारत ने DeepSeek एवं ChatGPT से प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपना स्वयं का लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) बनाने की भी घोषणा की है। 

ए.आई. का पर्यावरण पर प्रभाव 

  • ए.आई. का पर्यावरणीय प्रभाव इसके मूल्य शृंखला के कई चरणों में दिखाई देता है जिसमें बुनियादी ढाँचे से ऊर्जा की खपत, कंप्यूटिंग हार्डवेयर उत्पादन, क्लाउड डाटा सेंटर संचालन, ए.आई. मॉडल प्रशिक्षण, अनुमान, सत्यापन व संबंधित प्रक्रियाएँ शामिल हैं। 
  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार ए.आई. डाटा सेंटर वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 1% के लिए जिम्मेदार हैं। 
    • वर्ष 2026 तक डाटा सेंटर में बिजली की मांग दोगुनी होने का अनुमान है। 
  • परिष्कृत मशीन लर्निंग (ML) तकनीकों पर आधारित ChatGPT जैसे जनरेटिव AI मॉडल को पहले के संस्करणों की तुलना में 10-100 गुना अधिक कंप्यूटिंग शक्ति की आवश्यकता होती है। 
    • इससे पर्यावरणीय पदचिह्न (Carbon Footprint) में वृद्धि होती है।
  • इसके अतिरिक्त डाटा सेंटर का तेजी से विस्तार ई-कचरे के संकट को बढ़ावा दे रहा है।
  • ए.आई. के सॉफ़्टवेयर के डाटा संग्रहण, मॉडल विकास, प्रशिक्षण, सत्यापन, रखरखाव तथा उनकी अवधि की समाप्ति के पश्चात भी पर्यावरण में कार्बन का उत्सर्जन होता है। 
    • GPT-3 जैसे उन्नत AI मॉडल के प्रशिक्षण से 552 टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन हो सकता है। 

ए.आई. जनित उत्सर्जन को कम करने के प्रयास 

  • ए.आई. पर्यावरणीय जोखिमों को कम करने के लिए सरकारों एवं निजी क्षेत्र को ए.आई. पारिस्थितिकी तंत्र के डिजाइन में संधारणीयता को शामिल करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।
  • COP-29 में अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ ने हरित ए.आई. प्रथाओं की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। 
  • 190 से अधिक देशों ने पर्यावरण को संबोधित करते हुए गैर-बाध्यकारी नैतिक ए.आई. अनुशंसाओं को अपनाया है। 
  • यूरोपीय संघ एवं अमेरिका ने ए.आई. के पर्यावरणीय प्रभाव को रोकने के लिए कानून प्रस्तुत किए हैं। 
  • दुनिया भर की सरकारें राष्ट्रीय ए.आई. रणनीतियाँ तैयार कर रही हैं। हालाँकि, उनकी नीतियों में पर्यावरणीय अनुकूलता तथा उत्सर्जन को कम करने में निजी क्षेत्र की भूमिका पर बल जैसे प्रावधानों का अभाव है।

समाधान एवं सुझाव 

  • ए.आई. मूल्य शृंखला में शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा में निवेश करना एक महत्वपूर्ण कदम है। 
    • कंपनियाँ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में संक्रमण करके और कार्बन क्रेडिट खरीदकर इसे प्राप्त कर सकती हैं। 
  • नवीकरणीय संसाधनों की प्रचुर आपूर्ति वाले क्षेत्रों में डाटा केंद्रों की स्थापना मौजूदा संसाधनों पर दबाव एवं कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए, Google के DeepMind ने पवन ऊर्जा पूर्वानुमान को बेहतर बनाने के लिए मशीन लर्निंग का लाभ उठाया है जिससे अधिक सटीक पवन प्रतिरूप भविष्यवाणियाँ सक्षम हुई हैं और ग्रिड में पवन ऊर्जा के बेहतर एकीकरण की सुविधा मिली है।
  • ए.आई. में ऊर्जा-कुशल हार्डवेयर का उपयोग करना और नियमित रखरखाव सुनिश्चित करना भी उत्सर्जन को काफी कम कर सकता है। 
  • ए.आई. में छोटे, डोमेन-विशिष्ट मॉडल निम्न प्रसंस्करण शक्ति के साथ समान आउटपुट दे सकते हैं जिससे बुनियादी ढाँचे एवं संसाधनों की मांग कम हो जाती है।
    • गूगल और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार अनुकूलित एल्गोरिदम, विशेष हार्डवेयर और ऊर्जा-कुशल क्लाउड डाटा केंद्रों के माध्यम से लार्ज लैंग्वेज मॉडल के कार्बन पदचिह्न को 100 से 1,000 गुना तक कम किया जा सकता है। 
  • नए डाटा एकत्र करने या मॉडल को शुरुआत से प्रशिक्षित करने के बजाय व्यवसाय द्वारा नए कार्यों के लिए पूर्व-प्रशिक्षित मॉडल को अनुकूलित किया जा सकता हैं।
  • लचीलापन/संधारणीयता (Sustainibility) प्रयासों को आगे बढ़ाने में पारदर्शिता आवश्यक है। 
    • AI  प्रणाली के पर्यावरणीय प्रभाव को मापने और उसको प्रकट करने से संगठनों को अपने कार्बन उत्सर्जन को समझने तथा अपने संचालन के नकारात्मक बाह्य प्रभावों को संबोधित करने में मदद मिलेगी। 
    • उद्योग जगत में उत्सर्जन को ट्रैक करने और तुलना करने के लिए मानकीकृत ढांचा स्थापित करने से संधारणीयता एवं जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

निष्कर्ष 

स्थिरता/लचीलापन को ए.आई. पारिस्थितिकी तंत्र के डिजाइन में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि इसकी दीर्घकालिक वृद्धि एवं व्यवहार्यता सुनिश्चित हो सके। नवाचार के साथ पर्यावरणीय जिम्मेदारी को संतुलित करके पृथ्वी के भविष्य से समझौता किए बिना ए.आई. की परिवर्तनकारी क्षमता का दोहन किया जा सकता है।

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