संदर्भ
हाल ही में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा इथेनॉल उत्पादन के लिये ‘अनाज आधारित भट्टियों’ की स्थापना करने एवं मौजूदा अनाज आधारित भट्टियों को विस्तार देने की योजना को मंज़ूरी दी गई।
प्रमुख बिंदु
- अनाज से इथेनॉल बनाने की प्रक्रिया में लगभग 175 लाख मीट्रिक टन अनाज(चावल, गेंहू, जौ, मक्का और ज्वार) का इस्तेमाल होगा।
- इस योजना के लाभ केवल उन्हीं भट्टियों को मिलेंगे, जो अनाजों की सूखी पिसाई की प्रक्रिया (ड्राई मीलिंग प्रोसेस) का इस्तेमाल करेंगी।
अनाज से इथेनॉल
- वर्ष 2030 तक पेट्रोल में इथेनॉल के 20% मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये तथा रसायन एवं अन्य क्षेत्रों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये लगभग 1,400 करोड़ लीटर एल्कोहल/इथेनॉल की ज़रुरत पड़ेगी।
- इसमें से 1,000 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता 20% मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने के लिये और 400 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता रसायन एवं अन्य क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये होगी।
- इस 1,400 करोड़ लीटर की कुल आवश्यकता में से 700 करोड़ लीटर की आपूर्ति चीनी उद्योग और 700 करोड़ लीटर की आपूर्ति अनाज आधारित भट्टियों द्वारा की जाएगी।
- इसी क्रम में, चीनी उद्योग द्वारा लगभग 700 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने के लिये करीब 60 लाख मीट्रिक टन चीनी का इस्तेमाल किया जाएगा।
- इतनी मात्रा में चीनी के इस्तेमाल से चीनी उद्योग को अतिरिक्त चीनी के भंडारण की समस्या से निजात मिलेगी और चीनी मिलों के राजस्व में भी वृद्धि होगी। इससे वे गन्ना किसानों को उनके बकाये का भुगतान समय पर कर सकेंगी।
- गन्ना और इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से तीन राज्यों – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में होता है। इन तीन राज्यों से इथेनॉल को दूरदराज़ के अन्य राज्यों में ले जाने पर भारी परिवहन खर्च आता है।
- देश भर में नई अनाज आधारित भट्टियाँ स्थापित करने से देश के अलग-अलग भागों में इथेनॉल का वितरण संभव हो सकेगा और इससे परिवहन पर आने वाला भारी खर्च भी बचाया जा सकेगा।