हाल ही में, नासा ने बृहस्पति के चंद्रमा (उपग्रह) यूरोपा में अन्वेषण के लिए ‘यूरोपा क्लिपर’ मिशन को अक्तूबर में प्रक्षेपित करने की घोषणा की है।
यूरोपा क्लिपर मिशन के बारे में
- उद्देश्य : इस मिशन का मुख्य उद्देश्य यूरोपा की बर्फीली सतह के नीचे जीवन की संभावनाओं का पता लगाना है। साथ ही, यह बर्फ की परत और उसके नीचे के समुद्र का गहराई से अध्ययन करने की कोशिश करेगा।
- इसका दूसरा उद्देश्य इस बर्फीले उपग्रह के भूविज्ञान एवं उसकी संरचना का अध्ययन भी करना है।
- प्रक्षेपणयान : स्पेसएक्स फाल्कन हेवी रॉकेट
- लागत : 5 बिलियन डॉलर
- विशेषताएं : यूरोपा क्लिपर नासा द्वारा किसी ग्रहीय मिशन के लिए विकसित किया गया यह अब तक का सबसे बड़ा अंतरिक्षयान है। इसे बृहस्पति तक पहुँचने में छह वर्ष लगेगा।
- यह हर तीन सप्ताह में ग्रह की परिक्रमा करेगा और यूरोपा के नज़दीक से उड़ान भरेगा, जो इसकी सतह से 16 मील (25 किमी. की दूरी पर होगा।
- बृहस्पति तक पहुँचने के लिए अंतरिक्ष यान को मंगल और पृथ्वी दोनों से गुरुत्वाकर्षण बल के उपयोग की आवश्यकता होगी।
- मिशन के तहत आइस-पेनेट्रेटिंग रडार जैसे उन्नत उपकरणों का उपयोग करते हुए अंतरिक्ष यान लगभग पूरे उपग्रह का मानचित्रण करेगा।
- यूरोपा क्लिपर को सूर्य के प्रकाश से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग करके बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा तक अपनी यात्रा को शक्ति प्रदान करने के लिए बहुत बड़ी सौर सरणियों (Solar Arrays) से सुसज्जित किया जाएगा।
- महत्व : यूरोपा के पिछली जांचों में बर्फीली परत के नीचे तरल पानी के महासागर के मौजूद होने के महत्वपूर्ण प्रमाण मिले हैं।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, यूरोपा सौरमंडल में सबसे आशाजनक स्थानों में से एक है जो रहने योग्य वातावरण का समर्थन कर सकता है।
- नासा के अनुसार, इस मिशन द्वारा यूरोपा की विस्तृत खोज से वैज्ञानिकों को हमारे ग्रह से परे रहने योग्य दुनिया की खगोलीय जैविक क्षमता को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।