(प्रारम्भिक परीक्षा- यूथेनेशिया और लिविंग विल) मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने देश में पैसिव यूथेनेशिया की प्रक्रिया के लिए लिविंग विल के मौजूदा दिशानिर्देशों में बदलाव करके इसे काफी आसान बनाने पर सहमति व्यक्त की।
यूथेनेशिया (इच्छामृत्यु)
- यूथेनेशिया एक व्यक्ति द्वारा, अक्सर एक लाइलाज स्थिति, असहनीय दर्द या पीड़ा से राहत पाने के लिए जानबूझकर अपने जीवन को समाप्त करने की प्रथा को संदर्भित करता है।
- यूथेनेशिया मुख्यतः दो प्रकार की होती है-
- ऐक्टिव यूथेनेशिया
- पैसिव यूथेनेशिया
- ऐक्टिव यूथेनेशिया में किसी पदार्थ या बाहरी बल के साथ किसी व्यक्ति के जीवन को समाप्त करने के लिए एक सक्रिय हस्तक्षेप शामिल होता है, जैसे घातक इंजेक्शन देना।
- पैसिव यूथेनेशिया किसी बीमार व्यक्ति के लाइफ सपोर्ट सिस्टम या उपचार को वापस लेने को संदर्भित करता है जो एक गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को जीवित रखने के लिए आवश्यक है।
- 2018 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भारत में पैसिव यूथेनेशिया (निष्क्रिय इच्छामृत्यु) को वैध कर दिया गया था
लिविंग विल
- लिविंग विल एक दस्तावेज है, जिसमें कोई व्यक्ति यह बताता है कि भविष्य में यदि वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होगा, तो ऐसी हालत में किस तरह का इलाज कराना चाहता है?
- यह वास्तव में इसलिए तैयार किया जाता है, जिससे गंभीर बीमारी की हालत में अगर व्यक्ति खुद फैसले लेने की हालत में नहीं रहे तो पहले से तैयार दस्तावेज के हिसाब से उसके बारे में फैसला लिया जा सके।
पृष्ठभूमि
- अरुणा शानबाग मुंबई के एक अस्पताल में नर्स थीं। 1973 में उनका यौन शोषण हुआ था, वह सब इतना क्रूर था कि अरुणा उसके बाद से ही कोमा में थीं।
- अरुणा की सहेली 36 सालों से उन्हें ऐसी ही हालत में देखकर बहुत परेशान थीं। इसपर उन्होंने मांग उठाई कि अरुणा को दिया जानेवाला खाना धीरे-धीरे कम किया जाए जिससे उन्हें इस तकलीफ से 'मुक्ति' मिल जाए।
- हालांकि, उन्हें SC द्वारा यूथेनेशिया की इजाजत नहीं मिली थी। फिर, 2015 में अरुणा की मौत हो गई थी।
2018 में SC के दिशानिर्देश
- सर्वोच्च न्यायालय ने मरणासन्न रूप से बीमार रोगियों की लिविंग विल को मान्यता देते हुए निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति दी और इस प्रक्रिया को विनियमित करने वाले दिशानिर्देश जारी किए।
- 2018 के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक लिविंग विल पर एक निष्पादक (इच्छामृत्यु की मांग करने वाले व्यक्ति) द्वारा दो अनुप्रमाणित गवाहों की उपस्थिति में, प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट (JMFC) द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होने की आवश्यकता होती है।
- चिकित्सा के विशिष्ट लेकिन विविध क्षेत्रों के तीन विशेषज्ञ चिकित्सकों का एक बोर्ड गठित करना आवश्यक था, जो यह तय करेगा कि लिविंग विल को अनुमति देना है या नहीं।
- यदि मेडिकल बोर्ड ने अनुमति दी, तो वसीयत को जिला कलेक्टर को उनकी मंजूरी के लिए भेजा जाना था।
- कलेक्टर को तब मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी सहित तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों का एक और मेडिकल बोर्ड बनाना था।
- अगर यह दूसरा बोर्ड अस्पताल बोर्ड के निष्कर्षों से सहमत होता है तो निर्णय प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट को भेजा जाएगा, जो रोगी का दौरा करेगा और जांच करेगा कि अनुमोदन प्रदान करना है या नहीं।
SC के आदेश के बाद क्या बदलाव?
- अस्पताल और कलेक्टर दो मेडिकल बोर्ड बनाने के बजाय अब दोनों बोर्ड अस्पताल बनाएंगे।
- डॉक्टरों के लिए 20 साल के अनुभव की अनिवार्यता को घटाकर पांच साल कर दिया गया है।
- मजिस्ट्रेट की स्वीकृति की आवश्यकता को मजिस्ट्रेट को एक सूचना द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।
- मेडिकल बोर्ड को 48 घंटे के भीतर अपना निर्णय बताना होगा; पहले के दिशानिर्देशों में कोई समय सीमा निर्दिष्ट नहीं थी।
- यदि अस्पताल द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड अनुमति देने से इनकार करता है, तो यह अब परिजनों के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए खुला होगा, जो एक नई मेडिकल टीम का गठन करेगा।
अलग देश, अलग कानून
- नीदरलैंड्स, लक्ज़मबर्ग, बेल्जियम किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिए इच्छामृत्यु और सहायता प्राप्त आत्महत्या दोनों की अनुमति देता है जो "असहनीय पीड़ा" का सामना करता है जिसमें सुधार की कोई संभावना नहीं है।
- स्विट्ज़रलैंड इच्छामृत्यु पर प्रतिबंध लगाता है लेकिन डॉक्टर या चिकित्सक की उपस्थिति में मरने की अनुमति देता है।
- कनाडा ने घोषणा की थी कि मार्च 2023 तक मानसिक रूप से बीमार रोगियों के लिए इच्छामृत्यु और असिस्टेड डाइंग की अनुमति दी जाएगी ।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कानून हैं। वाशिंगटन, ओरेगन और मोंटाना जैसे कुछ राज्यों में इच्छामृत्यु की अनुमति है।