(प्रारंभिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) |
सन्दर्भ
- प्रोजेक्ट-75आई के तहत भारतीय नौसेना की मेगा पनडुब्बी डील प्राप्त दो बोलियों के अनुपालन जांच के साथ मूल्यांकन चरण में पहुंच गई है।
- इस सौदे की अनुमानित लागत ₹43,000 करोड़ से अधिक है।
पनडुब्बी सौदे के लिए बोलियां
- केवल जर्मनी और स्पेन ने सौदे के लिए बोलियां प्रस्तुत कीं, जिसकी समय सीमा जुलाई 2023 में समाप्त होने से पहले कई बार बढ़ाई गई।
- यह सौदा रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया के रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है।
- पहली बोली में, स्पेन की नवंतिया कंपनी ने अपने S80 वर्ग पर आधारित एक पनडुब्बी की पेशकश की है।
- नवंतिया में स्पेनिश सरकार की हिस्सेदारी है।
- जिसमें से पहली 2021 में लॉन्च की गई थी और पिछले नवंबर में S-81 'आइजैक पेरल'के रूप में स्पेनिश नौसेना में शामिल की गई थी।
- L&T पनडुब्बियों के निर्माण के लिए जिम्मेदार होगी।
- दूसरी बोली जर्मनी की TKMSद्वारा पेश की गई है। P-75I के लिए TKMS द्वारा पेश किया गया डिज़ाइन इसकी अत्यधिक सफल क्लास 214 पनडुब्बी के साथ-साथ क्लास 212CD पर आधारित है।
- इसमें पनडुब्बी में न्यूनतम रडार क्रॉस-सेक्शन के लिए कोणीय डिज़ाइन शामिल है।

एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन की आवश्यक शर्तें
- पी-75आई के लिए अर्हता प्राप्त करने का मुख्य निर्धारक एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली है।
- पी-75आई प्रक्रिया में प्रस्तावित पनडुब्बी में दो सप्ताह की सहनशक्ति के साथ परिचालन रूप से प्रमाणित ए.आई.पी. मॉड्यूल होना चाहिए।
ए.आई.पी. के लाभ
- ए.आई.पी. मॉड्यूल एक बल गुणक के रूप में कार्य करता है क्योंकि यह पारंपरिक पनडुब्बियों को लंबे समय तक पानी में डूबे रहने में सक्षम बनाता है।
- जिससे पहचान की संभावना कम होने के साथ-साथ सहनशक्ति में काफी वृद्धि होती है, क्योंकि सतह पर आने पर पनडुब्बियों को देखे जाने की संभावना सबसे अधिक होती है।
- टीकेएमएस द्वारा प्रस्तावित एआईपी में ईंधन सेल के साथ-साथ लिथियम-आयन बैटरी भी है, जो इसे बेहतर प्रदर्शन देती है।
- ईंधन सेल कम गति पर लंबी दूरी की सहनशक्ति प्रदान करता है, जबकि लिथियम-आयन बैटरी उच्च गति पर उच्च सहनशक्ति प्रदान करती है।
- यह चौथी पीढ़ी का एआईपी है जिसमें प्रौद्योगिकी तीन दशक पहले पहली बार विकसित होने के बाद अब पूरी तरह से परिपूर्ण हो गई है।
भारत-जर्मनी रक्षा सहयोग
- जून 2023 में जर्मन रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस की यात्रा के दौरान भारत और जर्मनी ने उच्चतम स्तर पर सौदे पर चर्चा की गई थी।
- इस दौरान उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ अपनी बातचीत में थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) द्वारा बोली के लिए जोरदार वकालत की थी।
- मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने1980के दशक में चार पुरानी जर्मन एचडीडब्ल्यू टाइप 209पनडुब्बियों में से दो का निर्माण किया था जो अभी भी भारतीय नौसेना के साथ सेवा में हैं।
- जर्मन सरकार पनडुब्बी निर्माता टीकेएमएस (थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स) में हिस्सेदारी ले सकती है और इस पर चर्चा चल रही है।
- टी.के.एम.एस. के भारतीय साझेदार मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने पनडुब्बी डिजाइन के पहले चरण पर काम शुरू कर दिया है।
- टी.के.एम.एस. में हिस्सेदारी लेने का जर्मन सरकार का कदम पनडुब्बी व्यवसाय की व्यवहार्यता के बारे में अपने हितधारकों को समझाने की कंपनी की इच्छा के अनुरूप है, जिससे सरकार से सरकार के मध्य प्रत्यक्ष सम्बन्धो को बढ़ावा मिलेगा।
- टी.के.एम.एस. में हिस्सेदारी लेने का जर्मन सरकार का कदम कंपनी के हित के अनुरूप है और इससे उसके शेयरधारकों का विश्वास मजबूत होगा।
- यूक्रेन में युद्ध और यूरोप के सुरक्षा दृष्टिकोण में बदलाव ने भी बड़े पैमाने पर रक्षा सहयोग बढ़ाने में जर्मन सरकार की रुचि में योगदान दिया है।