1 जून को शाम 6.30 बजे के बाद लोकसभा चुनाव के लिए एग्ज़िट पोल के आँकड़े जारी किये गए
चुनाव आयोग ने 1 जून को शाम 6.30 बजे से पहले एग्जिट पोल न जारी करने करने का आदेश दिया था
एग्ज़िट पोल
एग्ज़िट पोल में मतदाताओं से पूछा जाता है कि चुनाव में किस राजनीतिक दल का समर्थन कर रहे हैं।
ये सर्वेक्षण मतदान के बाद के होते हैं
एग्जिट पोल से उन मुद्दों के बारे में पता चलता है, जिन्होंने मतदाताओं को प्रभावित किया है।
देश में पहला एग्जिट पोल 1957 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन द्वारा आयोजित किया गया था।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126A के अनुसार, कोई भी व्यक्ति ऐसी अवधि के दौरान, जिसे चुनाव आयोग इस संबंध में अधिसूचित कर सकता है, कोई एग्जिट पोल आयोजित नहीं करेगा और प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से इसके परिणामों को प्रकाशित या प्रचारित नहीं करेगा।
जो भी व्यक्ति इस धारा के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा, उसे 2 वर्ष तक की कैद /जुर्माना/दोनों से दंडित किया जाएगा।
चुनाव आयोग ने पहली बार वर्ष 1998 में एग्जिट पोल पर दिशानिर्देश जारी किए थे।
संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग ने समाचार पत्रों और टेलीविजन समाचार चैनलों को 14 फरवरी 1998 को शाम 5 बजे से 7 मार्च 1998 को शाम 5 बजे के बीच जनमत और एग्जिट पोल के परिणामों को प्रकाशित या प्रसारित करने पर रोक लगा दी थी।
वर्तमान में चुनाव के आखिरी चरण के समापन के बाद ही एग्जिट पोल का प्रसारण किया जा सकता है
ओपिनियन पोल और एग्ज़िट पोल के बीच अंतर
ओपिनियन पोल, एक चुनाव-पूर्व सर्वेक्षण है, जबकि एग्ज़िट पोल लोगों द्वारा मतदान करने के तुरंत बाद आयोजित किया जाता है