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भूख का विस्तार

संदर्भ


भारत ने दिसंबर 2000 में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों में से करीब एक करोड़ अति गरीब लोगों को लक्षित करते हुए अंत्योदय अन्न योजना (AAY) शुरू की। यह योजना एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के बाद शुरू की गई जिसमें पाया गया था कि देश की 5% आबादी भूख से पीड़ित है। इस योजना के साथ भारत ने पहली बार गरीबी से इतर, भूख को परिभाषित किया और मान्यता दी।

अन्य बिंदु

  • इस योजना के अंतर्गत इस आबादी को सस्ती दरों पर अनाज और प्रति व्यक्ति प्रति माह 35 किलो तक अनाज दिया गया। हालाँकि दो दशक बाद सामने आए ताज़ा आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, अंत्योदय अन्न योजना के दायरे में आने वाले लोग दो करोड़ से भी अधिक है। इसका अर्थ है कि भारत में भूख से पीड़ित लोगों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ रही है।
  • गौरतलब है कि भले ही सस्ती दरों पर मिलने वाले अनाज से उनकी मासिक ज़रूरतें पूरी न हों, लेकिन सस्ते अनाज से बचे पैसों से वे अन्य ज़रूरतें पूरी करने में सक्षम हुए हैं। देशभर में ज़्यादातर राज्य अंत्योदय अन्न योजना का विस्तार करके अधिक से अधिक लोगों को ‘भूखी’ आबादी वाली श्रेणी में शामिल कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि एक बड़ी आबादी में भुखमरी कितनी व्यापक स्थिति में है।

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