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जल संकट वाले क्षेत्रों में आधे से अधिक पर सिंचित भूमि का विस्तार

प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-1, विश्व भर के मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण

संदर्भ:

हाल ही में नेचर वाटर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2000 से वर्ष 2015 के बीच वैश्विक स्तर पर सिंचाई की व्यवस्था वाले क्षेत्रों में 11% की वृद्धि हुई है।

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मुख्य बिंदु:

  • यह अध्ययन अमेरिका, जर्मनी, फिनलैंड और चीन के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।
  • अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस, राष्ट्रीय कृषि जनगणना और सरकारी रिपोर्टों की सहायता ली है। 
    • इनकी सहायता से उन्होंने 243 देशों के सिंचाई संबंधी नवीनतम आंकड़ों का अध्ययन किया है।
  • शोधकर्ताओं ने जांच की है कि 21वीं सदी की शुरूआत से सिंचाई की व्यवस्था वाली कृषि भूमि में कैसे बदलाव आया है।
  • इंसानों के उपभोग के लिए उपयुक्त 90% से अधिक जल का उपयोग सिंचाई के लिए किया जा रहा है। 
  • कृषि भूमि के लगभग 24% क्षेत्र पर सिंचाई की व्यवस्था है;
    • ये क्षेत्र विश्व के लगभग 40% खाद्य वस्तुएं उत्पादित करते हैं।

जल संकट वाले क्षेत्र में सिंचित कृषि भूमि के विस्तार के अध्ययन का मानक:

  • शोधकर्ताओं ने जल संकट से परेशान क्षेत्रों को दो रूपों में वर्गीकृत किया है;
    • पहला वह क्षेत्र है, जहां फसलों की पैदावार के लिए पर्याप्त बारिश नहीं होती है। 
      • अतः वहां सिंचाई की कोई दूसरी व्यवस्था करनी पड़ती है।
      • इन क्षेत्रों में सिंचाई के बुनियादी ढांचे का विस्तार वर्षा के पैटर्न में बदलाव से निपटने में मददगार साबित हो सकता है। 
      • किंतु यहाँ उपयोग के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होना चाहिए।
  • दूसरे वो क्षेत्र हैं, जहां उपलब्ध सतही (नदियां, झील आदि) या भूमिगत जल संसाधन सिंचाई के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
    • इन क्षेत्रों में यदि सिंचाई के बुनियादी ढांचे का विस्तार किया जाता है, तो भूजल और नदियों आदि के जल में गिरावट आ सकती है। 

सिंचित कृषि भूमि का विस्तार:

  • वर्ष 2000 में 297 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि पर सिंचाई की व्यवस्था थी।
    • वर्ष 2015 में यह क्षेत्र बढ़कर 330 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गया।
  • सिंचित कृषि भूमि में जो साढ़े छह करोड़ हेक्टेयर का विस्तार हुआ है, उनमें से-
    • 11 लाख हेक्टेयर विस्तार उन क्षेत्रों में हुआ है, जहां भूजल और सतही जल सिंचाई के लिए पर्याप्त नहीं है। 
    • 1.9 करोड़ हेक्टेयर का विस्तार उन क्षेत्रों में हुआ है, जहां बारिश का पानी सिंचाई के लिए पर्याप्त नहीं है। 
    • 3.12 करोड़ हेक्टेयर का विस्तार उन क्षेत्रों में हुआ है, जहां सिंचाई के लिए बारिश के साथ-साथ भूजल और नदियों आदि का जल पर्याप्त नहीं है। 
    • 1.39 करोड़ हेक्टेयर विस्तार उन क्षेत्रों में हुआ है, जहां पानी पर्याप्त रूप में उपलब्ध है।
  • वर्ष 2015 के आंकड़ों के अनुसार, भारत और पाकिस्तान में जल संकट वाले क्षेत्र में सिंचाई क्षेत्र का सर्वाधिक विस्तार देखा गया है; 
    • भारत में सिंचाई क्षेत्र का 86% (1.21 करोड़ हेक्टेयर) विस्तार भूजल और सतह के जल संकट वाले क्षेत्रों में हुआ है। 
    • पाकिस्तान में यह आंकड़ा 87% (करीब 15.3 लाख हेक्टेयर) दर्ज किया गया है। 
  • कुछ देशों में सिंचित क्षेत्र का विस्तार जल संसाधनों को ध्यान में रखते हुए किया गया; 
    • ब्राजील में पर्यावरण के अनुकूल 34 लाख हेक्टेयर (96%) सिंचित क्षेत्र का विस्तार हुआ। 
    • इंडोनेशिया में नौ लाख हेक्टेयर (76%), पेरू में आठ लाख हेक्टेयर ( 94%), इटली में तीन लाख हेक्टेयर (85 %), और फ्रांस में दो लाख हेक्टेयर (88%) क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था का विस्तार हुआ, जो जल संसाधनों के अनुकूल था।
  • रूस के सिंचित कृषि क्षेत्र में गिरावट आई है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न:

प्रश्न: हाल ही में नेचर वाटर जर्नल में प्रकाशित सिंचित कृषि भूमि के विस्तार के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. भारत में जल संकट वाले 86% सिंचाई क्षेत्र में कृषि भूमि का विस्तार हुआ।
  2. ब्राजील में पर्यावरण के अनुकूल सिंचित क्षेत्र का विस्तार हुआ।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

 उत्तर- (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न:

प्रश्न: हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अधिकांश देशों के जल संकट वाले क्षेत्रों में सिंचित कृषि भूमि का विस्तार हो रहा है। इसका उन देशों के पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा। मूल्यांकन कीजिए। 

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