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स्मार्ट सिटी मिशन की समय-सीमा में वृद्धि

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक एवं सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षे और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने स्मार्ट सिटी मिशन की समय-सीमा मार्च 2025 तक बढ़ा दी है।

स्मार्ट सिटी मिशन के बारे में 

  • प्रारंभ : भारत सरकार द्वारा 25 जून, 2015 को 
  • उद्देश्य : टिकाऊ एवं समावेशी शहरों को बढ़ावा देना 
    • ये बुनियादी ढांचा प्रदान करते हैं और अपने नागरिकों को सभ्य जीवन स्तर, स्वच्छ एवं टिकाऊ पर्यावरण और 'स्मार्ट' समाधानों का अनुप्रयोग प्रदान करते हैं।
  • अवधारणा : सतत एवं समावेशी विकास की अवधारणा पर केंद्रित  
  • स्मार्ट सिटी मिशन के बुनियादी ढांचे में शामिल कुछ मुख्य तत्व : पर्याप्त जलापूर्ति, सुनिश्चित विद्युत् आपूर्ति, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्वच्छता, कुशल शहरी गतिशीलता व सार्वजनिक परिवहन, किफायती आवास (विशेष रूप से गरीबों के लिए), मजबूत आईटी कनेक्टिविटी एवं डिजिटलीकरण, सुशासन (विशेष रूप से ई-गवर्नेस एवं नागरिक भागीदारी), टिकाऊ पर्यावरण, नागरिकों की सुरक्षा (विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों की) और स्वास्थ्य तथा शिक्षा
  • कार्यान्वयन : एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) द्वारा
    • इसे कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक सीमित कंपनी के रूप में प्रत्येक स्मार्ट शहर स्तर पर स्थापित किया जाता है और इसे राज्य/केंद्र शासित प्रदेश और शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) द्वारा संयुक्त रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है। 
  • चयनित शहर : दो चरणों की प्रतियोगिता के माध्यम से 100 शहरों का चुनाव
  • मिशन संचालन : केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में संचालित 
    • केंद्र सरकार वित्तीय सहायता देगी। राज्य/यू.एल.बी. द्वारा समान आधार पर समान राशि प्रदान की जाएगी। यू.एल.बी. के अपने फंड, वित्त आयोग के तहत अनुदान, म्यूनिसिपल बॉन्ड जैसे अभिनव वित्त तंत्र, अन्य सरकारी कार्यक्रमों और उधारों से अभिसरण के माध्यम से अतिरिक्त संसाधन जुटाए जाने हैं।

स्मार्ट सिटी मिशन के मुख्य घटक 

  • स्मार्ट सिटी मिशन (SCM) के दो मुख्य घटक हैं : 
    • ‘क्षेत्र-आधारित विकास’ में तीन घटक शामिल हैं : पुनर्विकास (शहर का नवीनीकरण), रेट्रोफिटिंग (शहर का सुधार) और ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट (शहर का विस्तार)
    • ‘आई.सी.टी. आधारित पैन-सिटी समाधान’ में छह श्रेणियां शामिल हैं : ई-गवर्नेंस, अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन, ऊर्जा प्रबंधन, शहरी गतिशीलता एवं कौशल विकास 

इसे भी जानिए!

स्मार्ट सिटी की कोई मानक परिभाषा या खाका नहीं है। भारत के संदर्भ में निम्नलिखित छह मूलभूत सिद्धांतों पर स्मार्ट सिटी की अवधारणा आधारित है :

  • समुदाय को प्राथमिकता (Community at the Core) : नियोजन एवं कार्यान्वयन के मूल में समुदाय
  • अधिकतम आउटपुट (More from Less) : कम संसाधनों के उपयोग से अधिक परिणाम (आउटपुट) उत्पन्न करने की क्षमता
  • सहकारी एवं प्रतिस्पर्धी संघवाद (Coorporative & Competitive Federalism) : प्रतिस्पर्धा के माध्यम से शहरों का चुनाव और परियोजनाओं को लागू करने में लचीलापन
  • एकीकरण, नवाचार, स्थिरता (Integration, Innovation, Sustainability) : नवाचार विधियाँ और एकीकृत व टिकाऊ समाधान
  • लक्ष्य नहीं बल्कि साधन के रूप में प्रौद्योगिकी (Technology as Means, Not the Goal) : शहरों के संदर्भ के लिए प्रासंगिक प्रौद्योगिकी का सावधानीपूर्वक चयन
  • अभिसरण (Convergence) : क्षेत्रीय एवं वित्तीय अभिसरण

स्मार्ट सिटी मिशन के लाभ 

  • क्षेत्र-आधारित विकास से मौजूदा क्षेत्र (पुनर्निर्माण व पुनर्विकास) को बेहतर नियोजित मानव बस्तियों में परिवर्तित होंगे। इसमें झुग्गियाँ भी शामिल हैं जिससे पूरे शहर की रहने की क्षमता में सुधार किया जा रहा है। 
  • शहरी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती आबादी को समायोजित करने के लिए शहरों के आसपास अच्छी तरह से नियोजित और पूरी तरह से सेवायुक्त नए क्षेत्रों (ग्रीनफील्ड) के विकास को प्रोत्साहित किया जा रहा है। 
  • इस तरह से व्यापक विकास से जीवन की गुणवत्ता के साथ-साथ रोजगार में सुधार होगा तथा सभी के लिए (विशेष रूप से गरीबों व वंचितों के लिए) आय में वृद्धि होगी और समावेशी शहरों का निर्माण होगा।

चुनौतियाँ 

  • मौजूदा शहरी वास्तविकताओं में विविधता के कारण प्रतिस्पर्धी आधार पर 100 शहरों का चयन त्रुटिहीन नहीं था। यह योजना शहरी भारत की वास्तविकता से अलग है क्योंकि यहाँ शहरीकरण गतिशील है और पश्चिम की तरह स्थिर नहीं है।
  • मैकिन्से की दो प्रमुख रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय शहरों को रहने लायक बनाने के लिए वर्ष 2030 तक 1.2 ट्रिलियन डॉलर के पूंजीगत व्यय की आवश्यकता है। वर्तमान व्यय शहरी भारत की कुल आवश्यकता की अपेक्षा काफी कम है।  
  • स्मार्ट शहरों के लिए डिज़ाइन किया गया एस.पी.वी. (SPV) मॉडल 74वें संविधान संशोधन के अनुरूप नहीं है, जिसके कारण कई शहरों द्वारा शासन संरचना पर आपत्ति जताई जा रही है।
  • विश्व बैंक के अनुसार शहरी भारत में 49% से अधिक आबादी झुग्गी-झोपड़ियों में रहती है। स्मार्ट सिटी परियोजनाओं से गरीब इलाकों में रहने वाले लोगों को विस्थापित किया गया। उदाहरण के लिए, सड़क विक्रेताओं को विस्थापित किया गया और शहरी आम लोगों को बाधाओं का सामना करना पड़ा।
  • शहरी इलाकों में बाढ़ की समस्या बढ़ गई है। कुछ ऐसे शहर, जहां ऐतिहासिक रूप से कभी बाढ़ नहीं आई, वे बुनियादी ढांचे के विकास परियोजनाओं के कारण असुरक्षित हो गए हैं, जिससे जलमार्ग खराब हो गया या नष्ट हो गया है।
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