(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013, ग्लोबल हंगर इंडेक्स)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 - गरीबी एवं भूख से संबंधित विषय, केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन)
संदर्भ
- केंद्र सरकार द्वारा, अक्टूबर और दिसंबर के बीच त्योहारी सीजन के दौरान गरीबों और कमजोर वर्गों का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का विस्तार अगले तीन महीनों के लिए कर दिया गया है।
- अब इस योजना के लाभार्थियों के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो मुफ्त अनाज का लाभ दिसंबर, 2022 तक जारी रहेगा।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
- ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ के एक भाग के रूप में ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ की शुरुआत कोविड-19 के दौरान गरीब और संवेदनशील वर्गों की सहायता करने के लिये की गयी थी।
- इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत कवर किए गए प्रत्येक व्यक्ति को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत पहले से ही उपलब्ध कराए जा रहे 5 किलोग्राम सब्सिडी वाले अनाज के अतिरिक्त मुफ्त में 5 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज (गेहूं या चावल) प्रदान करना है।
- यह योजना, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा कार्यान्वित की जाती है।
- वित्त मंत्रालय इस योजना के लिए नोडल मंत्रालय है।
- इस योजना के अंतर्गत पहले तीन महीनों (अप्रैल, मई और जून 2020) के लिए 80 करोड़ राशन कार्डधारकों को लाभ प्रदान करने की घोषणा की गई थी, बाद में इसे कई चरणों के माध्यम से सितंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया।
- वन नेशन वन राशन कार्ड पहल के तहत कोई भी प्रवासी मजदूर या प्राप्तकर्ता देश भर में पांच लाख राशन दुकानों से मुफ्त राशन प्राप्त करने के लिए पोर्टेबिलिटी का उपयोग कर सकता है।
महत्व
- यह योजना उन दैनिक श्रमिकों और अनौपचारिक क्षेत्र के मजदूरों की खाद्य सुरक्षा लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण अपनी नौकरी खो दी थी।
- नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों ने भी स्वीकार किया, कि इस योजना ने महामारी के दौरान खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाला है।
- आईएमएफ द्वारा प्रकाशित वर्किंग पेपर, "महामारी, गरीबी और असमानता: भारत से साक्ष्य" (अप्रैल 2022) के अनुसार "भारत के खाद्य सब्सिडी कार्यक्रम के विस्तार द्वारा प्रदान किए गए सामाजिक सुरक्षा जाल ने कोविड-19 महामारी के प्रभाव के एक बड़े हिस्से को अवशोषित कर लिया।
- खाद्य और सार्वजनिक वितरण पर संसदीय स्थायी समिति ने भी, इस योजना की सराहना की है।
संबंधित मुद्दे
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों का निर्धारण 2011 की जनगणना के आँकडों द्वारा किया जाता है, उसके बाद से खाद्य-असुरक्षित लोगों की संख्या में हुई वृद्धि पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
- सरकार के लिए इस योजना को बनाए रखना बहुत महंगा है, जो सस्ते अनाज की पर्याप्त आपूर्ति की आवश्यकता को बढ़ाता है, 2022 में, अनियमित मौसम के कारण गेहूं और चावल के निर्यात को सीमित करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसने खाद्य लागत को बढ़ा दिया और वैश्विक कृषि बाजारों को प्रभावित किया।
- यह योजना राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 6.4% तक कम करने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में व्यवधान उत्पन्न कर सकती है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 भारत सरकार द्वारा अधिसूचित एक कानून है, जो देश में वंचित वर्गों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
- इसका उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए लोगों को वहनीय मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता के खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराते हुए उन्हें मानव जीवन-चक्र दृष्टिकोण में खाद्य और पौषणिक सुरक्षा प्रदान करना है।
- इस अधिनियम में,लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत राजसहायता प्राप्त खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए 75% ग्रामीण जनसंख्या और 50% शहरी जनसंख्या के कवरेज का प्रावधान है,इस प्रकार लगभग दो-तिहाई जनसंख्या इसके अंतर्गत कवर की जाती है।
- वर्तमान अंत्योदय अन्न योजना परिवार,जिनमें निर्धनतम व्यक्ति शामिल हैं, 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रति परिवार प्रति माह प्राप्त करते रहेंगे।
- इस अधिनियम में महिलाओं और बच्चों के लिए पौषणिक सहायता पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं गर्भावस्था के दौरान तथा बच्चे के जन्म के 6 माह बाद भोजन के अलावा कम से कम 6000 रूपए का मातृत्व लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र है।
- खाद्यान्नों अथवा भोजन की आपूर्ति नहीं किए जाने की स्थिति में लाभार्थी, खाद्य सुरक्षा भत्ता प्राप्त करेंगे।
- इस अधिनियम में जिला और राज्य स्तरों पर शिकायत निपटान तंत्र के गठन का भी प्रावधान है, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए भी इस अधिनियम में अलग से प्रावधान किए गए है।
भारत में भूख एवं कुपोषण की स्थिति
- हाल ही में वर्ष 2022 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट जारी हुई है, जिसमें भारत 121 देशों में 107 वें स्थान पर है।
- भारत से बेहतर स्थिति में उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश है।
- पाकिस्तान 99वें, बांग्लादेश 84वें, नेपाल 81वें और यहां तक कि संकटग्रस्त श्रीलंका 64वें स्थान पर है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 22.4 करोड़ लोग कुपोषण से प्रभावित है।
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भुखमरी को व्यापक रूप से मापने और उस पर नज़र रखने का एक तंत्र है।
- आयरलैंड की 'कंसर्न वर्ल्ड वाइड' और जर्मनी की 'वेल्ट हंगर हाईलाइफ़' द्वारा बार्षिक आधार पर यह रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है।
गरीबी और भुखमरी को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदम
- सरकार ने 2022 तक 'अल्पपोषण मुक्त भारत' पर एक कार्य योजना शुरू की।
- राष्ट्रीय पोषण रणनीति ने 2022 के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं, और पोषण अभियान ने प्रत्येक वर्ष स्टंटिंग, कम पोषण और कम वजन को 2% कम करने और प्रत्येक वर्ष एनीमिया को 3% कम करने के लिए 3-वर्ष के लक्ष्य निर्दिष्ट किए है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) वैधानिक न्यूनतम मजदूरी, 100 दिनों के रोजगार पर किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को "काम के अधिकार" की गारंटी देता है।
- दीन दयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन।