New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

जूट सामग्री से होने वाली पैकिंग की अनिवार्यता सम्बंधी नियमों में विस्‍तार

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने शत-प्रतिशत खाद्यान्‍नों और 20% चीनी को अनिवार्य रूप से विविध प्रकार के जूट के बोरों में पैक किये जाने को मंजूरी प्रदान की है।

प्रमुख बिंदु

  • मंजूरी द्वारा इस बात को भी अनिवार्य कर दिया गया है कि खाद्यान्‍नों की पैकिंग के लिये प्रारम्भ में 10% जूट के बोरों की खरीद जी.ई.एम. पोर्टल (Government e-Marketplace : Gem Portal) पर ‘रिवर्स ऑक्शन’ द्वारा होगी। इससे धीरे-धीरे इनकी कीमतों में वृद्धि होगी।
  • ‘रिवर्स ऑक्शन’ एक ऐसी नीलामी प्रक्रिया है, जिसमें खरीदार (क्रेता) और विक्रेता की पारम्परिक भूमिकाएँ उलट जाती हैं अर्थात् रिवर्स ऑक्शन में विभिन्न विक्रेता उन कीमतों को प्राप्त करने के लिये बोली लगाते हैं, जिन पर वे अपना माल और सेवाएँ बेचना चाहते हैं। इस प्रकार, इस प्रक्रिया में एक खरीदार और कई सम्भावित विक्रेता हो सकते हैं। रिवर्स ऑक्शन को गिरते मूल्य की नीलामी प्रक्रिया भी कहते हैं। सरकारी अनुबंधों के लिये बोली लगाना रिवर्स नीलामी का एक उदाहरण है।
  • सरकार ने जूट पैकिंग सामग्री अधिनियम, 1987 के तहत अनिवार्य रूप से पैकिंग किये जाने के इस मानक को विस्‍तारित कर दिया है।
  • जूट पैकिंग सामग्री की आपूर्ति में किसी कमी या व्‍यवधान होने पर या किसी तरह की कोई प्रतिकूल स्थिति पैदा होने पर कपड़ा मंत्रालय अन्‍य सम्बद्ध मंत्रालयों के साथ मिलकर उपबंधों में छूट दे सकता है और खाद्यान्‍नों की अधिकतम 30% पैकिंग किये जाने का निर्णय ले सकता है।

जूट क्षेत्र में अन्‍य प्रकार की सहायता

  • सरकार ने कच्‍चे जूट की उत्‍पादकता और गुणवत्‍ता में सुधार लाने के लिये एक विशेष कार्यक्रम जूट आई.सी.ए.आर.ई. (Jute ICARE) को डिज़ाइन किया है, जिसके अंतर्गत सरकार विभिन्‍न माध्यमों से लगभग दो लाख जूट किसानों की मदद कर रही है।
  • इसमें पंक्तियों में बीजों की बुवाई, व्‍हील-होइंग (Wheel-Hoeing) व नेल-वीडर्स (Nail-Weeders) का प्रयोग करके खरपतवार प्रबंधन और गुणवत्‍ता युक्‍त प्रमाणित बीजों का वितरण करने के साथ-साथ सूक्ष्‍म जीवों की मदद से कच्‍चे जूट को सड़ाने की प्रक्रिया शामिल है।
  • हाल ही में, भारत जूट निगम ने वाणिज्यिक आधार पर 10,000 क्विंटल प्रमाणित बीजों के वितरण हेतु राष्ट्रीय बीज निगम के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किये हैं।
  • जूट सेक्‍टर में विविधीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्‍ट्रीय जूट बोर्ड ने राष्‍ट्रीय डिज़ाइन संस्‍थान के साथ एक समझौता किया है और इसी के अनुरूप गांधीनगर में एक जूट डिज़ाइन प्रकोष्‍ठ खोला गया है।
  • साथ ही, पूर्वोत्तर सहित विभिन्‍न राज्‍य सरकारों में जूट जियो टेक्‍सटाइल्‍स और एग्रो टेक्सटाइल्‍स को बढ़ावा दिया गया है। 
  • जूट सेक्टर में मांग को बढ़ावा देने के लिये बांग्‍लादेश और नेपाल से जूट की वस्‍तुओं के आयात पर 5 जनवरी, 2017 से एंटी-डम्पिंग ड्यूटी लगाई गई है।
  • इसके अलावा, भारत जूट निगम न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य और वाणिज्यिक संचालनों के द्वारा जूट की ऑनलाइन खरीद हेतु जूट किसानों को 100% धनराशि हस्‍तांतरित कर रहा है। 

लाभ

  • चीनी को विविध प्रकार के जूट के बोरों में पैक किये जाने के निर्णय से जूट उद्योग को काफी बल मिलेगा। इस प्रयास से देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों जैसे- पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय व त्रिपुरा के किसानों व श्रमिकों को लाभ प्राप्त होगा।
  • जूट पैकजिंग सामग्री (पैकिंग सामग्री में अनिवार्य उपयोग) अधिनियम, 1987, (वाद में जे.पी.एम. अधिनियम) के तहत कुछ विशेष सामग्रियों की पैकिंग के लिये जूट के अनिवार्य प्रयोग की बात कही गई है और मौजूदा प्रस्‍ताव से इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों के कल्‍याण को बढ़ावा मिलेगा। इससे देश को आत्‍मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
  • जूट उद्योग मुख्‍यत: सरकारी क्षेत्र पर निर्भर है और प्रतिवर्ष खाद्यान्‍नों की पैकिंग के लिये सरकार 7500 करोड़ रुपये से अधिक कीमत के जूट के बोरों की खरीद करती है। यह जूट क्षेत्र में मांग को बनाए रखने और इस क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों व किसानों की आजीविका को सहारा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • जूट सेक्टर पर लगभग 3.7 लाख श्रमिक और कई लाख किसान परिवारों की आजीविका निर्भर है और इसके लिये संगठित प्रयास के रूप में कच्‍चे जूट के उत्‍पादन व मात्रा को बढ़ाना, जूट सेक्टर का विविधीकरण करना तथा जूट उत्‍पादों की सतत् मांग को बढ़ावा देना आदि शामिल है।
  • तकनीकी उन्‍नयन और प्रमाणित बीजों के वितरण से जूट फसलों की गुणवत्ता व उत्‍पादकता में बढ़ोतरी होगी, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।

प्री फैक्ट :

  • सरकार ने शत-प्रतिशत खाद्यान्‍नों और 20% चीनी को अनिवार्य रूप से विविध प्रकार के जूट के बोरों में पैक किये जाने को मंजूरी दी है। जूट उद्योग मुख्‍यत: सरकारी क्षेत्र पर निर्भर है।
  • रिवर्स ऑक्शन को गिरते मूल्य की नीलामी प्रक्रिया भी कहते है। सरकारी अनुबंधों के लिये बोली लगाना रिवर्स नीलामी का एक उदाहरण है।
  • जूट सेक्‍टर में मांग को बढ़ावा देने के लिये बांग्‍लादेश और नेपाल से जूट वस्‍तुओं के आयात पर 5 जनवरी, 2017 से एंटी-डम्पिंग ड्यूटी लगाई गई है और गांधीनगर में एक जूट डिज़ाइन प्रकोष्‍ठ खोला गया है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR