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एक्सट्रीमोफाइल्स

संदर्भ 

शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत एक चरम पर्यावरणीय स्थिति में एक ‘एक्सट्रीमोफाइल’ (Extremophiles) के रूप में हुई थी।

एक्सट्रीमोफाइल्स के बारे में

परिचय 

  • चरम प्राकृतिक परिस्थितियों में रहने वाले सूक्ष्मजीवों को एक्सट्रीमोफाइल्स कहा जाता है। इन चरम स्थितियों में ज्वालामुखी, पर्माफ्रॉस्ट, गहरे समुद्र के नितल, ध्रुवीय बर्फ के नीचे झील, अंतरिक्ष यान के बाहरी भाग एवं परमाणु अपशिष्ट भंडारण स्थल इत्यादि शामिल हैं।
  • ये सूक्ष्मजीव, विशेषरूप से आर्कियन, अत्यधिक तापमान, अम्लता, क्षारीयता या रासायनिक सांद्रता की स्थितियों में रहते हैं, जैसे- थर्मस एक्वाटिकस, डाइनोकोकस रेडियोड्यूरान्स आदि।

चरम परिस्थितियों में अनुकूलन 

  • ये विशेष जैव रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा चरम वातावरण के अनुकूल बन जाते हैं। 
  • मनुष्य जैसे अधिक जटिल जीवन-रूपों (More complex life-forms) में प्रोटीन का एक सेट विकसित हुआ है जिससे वे जीवन जीते हैं। 
  • एक्सट्रीमोफाइल्स में प्रोटीन के कई सेट होते हैं, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट पर्यावरणीय स्थान में जीवन के लिए अनुकूलित होता है। 
    • उदाहरण के लिए, ज्वालामुखी विस्फोट की ऊष्मा, दीर्घकालिक सुखा, ज्वालामुखी क्रेटर झील की अत्यधिक अम्लता के लिए अलग-अलग प्रोटीन सेट का विकास।

सूक्ष्मजीवों के अध्ययन के लिए वैश्विक पहल

  • अर्थ माइक्रोबायोम प्रोजेक्ट : इसकी स्थापना वर्ष 2010 में 200,000 आनुवंशिक नमूनों को अनुक्रमित करने और 500,000 सूक्ष्मजीव जीनोम को इकट्ठा करने के लिए की गई थी। 
  • अर्थ बायोजीनोम प्रोजेक्ट : वर्ष 2018 में स्थापित इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य एक दशक के भीतर पृथ्वी पर जीवों के सबसे बड़े और सबसे व्यापक मानचित्र बनाने के लिए ग्रह के सभी यूकैरियोटिक जीवों के जीनोम को अनुक्रमित करना था।

इस क्षेत्र में शोध कार्यों का महत्त्व

  • जीव विज्ञान : इस क्षेत्र में शोध कार्यों का लाभ अनेक जैविक व औद्योगिक अनुप्रयोगों में निहित है। 
    • उदाहरण के लिए, थर्मस एक्वाटिकस (Thermus aquaticus) सूक्ष्म जीव, टैक डी.एन.ए. पॉलीमरेज़ (Taq DNA polymerase) नामक एक ऊष्मा-प्रतिरोधी एंजाइम का उत्पादन करता है, जो पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन में अनुप्रयोग के कारण जीव विज्ञान का एक महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र है।
  • जीवों को नई क्षमताएँ देना : एक्सट्रीमोफाइल्स को नियंत्रित करने वाले जैविक नियमों के सामने आने से शोधकर्ताओं को जीवों को नई क्षमताएँ प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिए, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने के उद्देश्य से, पोल्ट्री को संक्रामक रोग का प्रतिरोध करने में मदद करना या कृत्रिम जैविक प्रणाली का निर्माण करना।
  • अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना : इनका ज्ञान वैज्ञानिकों को अन्य ग्रहों पर रहने की संभावना की सीमा निर्धारित करने में भी मदद कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए, वर्ष 2011 में जापान के वैज्ञानिकों ने 400,000 से अधिक G-फोर्स (1G वह बल है जिसे पृथ्वी की सतह पर अनुभव किया जाता है) में एक सेंट्रीफ्यूज में बढ़ते सूक्ष्मजीवों को रिपोर्ट किया था।
    • डाइनोकोकस रेडियोड्यूरान्स (Deinococcus radiodurans), अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर चिपके रहने और पराबैंगनी विकिरण से नष्ट होने के बावजूद, तीन साल से अधिक समय तक बाह्य अंतरिक्ष में जीवित रहा। 
  • जैव-उपचार : माइक्रोवेव ओवन में पाए जाने वाले एक्सट्रीमोफाइल की विकिरण से बचने की क्षमता का उपयोग विषाक्त अपशिष्ट के जैव-उपचार में हो सकता है।

पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR)

यह एक जैविक नमूने में कुछ डी.एन.ए. की उपस्थिति की पहचान करने की एक तकनीक है, जिसे कोविड-19 महामारी के दौरान भी प्रयोग किया गया था।
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