(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, सूचना प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर)
संदर्भ
हाल ही में, ‘फेसबुक व संबद्ध कंपनियों’ का नाम ‘मेटा’ कर दिया गया है।
मेटा
- मेटावर्स शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेंसन ने वर्ष 1992 में अपने उपन्यास ‘स्नो क्रेश’ में किया था। लैटिन में मेटा का अर्थ होता है- परे (Beyond)। मेटा कंपनी ने एक नया लोगो भी जारी किया है, जो अनंत (Infinity) के प्रतीक चिह्न की तरह है।
- फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और मैसेंजर की पैरेंट कंपनी का कॉर्पोरेट ब्रांड नाम ‘मेटा प्लैटफॉर्म्स इंक’ या ‘मेटा’ हो गया है। कंपनी के अनुसार, वह सोशल मीडिया से ‘वर्चुअल रियलिटी’ की ओर अपना ध्यान केंद्रित करेगी।
- इसके लिये फेसबुक ‘मेटावर्स’ नामक तकनीक को अपनाने पर ज़ोर दे रही है। 'मेटा' के सी.ई.ओ. मार्क जकरबर्ग होंगे। ध्यातव्य है कि माइक्रोसॉफ्ट और निविडिया जैसी कई अन्य कंपनियाँ भी मेटावर्स पर कार्य कर रही हैं।
- विदित है कि फेसबुक ऐप के वर्तमान नाम में किसी प्रकार का बदलाव नहीं होगा और न ही अन्य ऐप्स में कोई बदलाव होगा।
क्या है मेटावर्स?
- ‘मेटावर्स’ वस्तुतः एक ‘आभासी परिवेश’ (Virtual Environment) है। इसके अंतर्गत व्यक्ति स्क्रीन पर सीमित रहने की बजाय इस परिवेश के भीतर जाकर क्रियाकलापों के माध्यम से इसका अनुभव कर पाएंगे। इसे इंटरनेट का भविष्य माना जा रहा है। हालाँकि, मेटावर्स अभी सिर्फ़ एक विचार है अत: अभी इसकी कोई एक सहमत और स्पष्ट परिभाषा नहीं है।
- यह इंटरनेट पर मौज़ूद ऐसा इन्वायरमेंट होगा जिसके भीतर अलग-अलग जगहों पर बैठे लोग (भिन्न-भिन्न देशों में) एक-दूसरे से जुड़ी वर्चुअल कम्युनिटीज़ (आभासी समुदायों) से आपस में मिल पाएंगें और कार्य कर पाएंगे।
- मोटे तौर पर मेटावर्स वास्तविक और डिजिटल संसार का निर्बाध एकीकरण होगा, जिसमें वर्चुअल रिएलिटी (VR), संवर्द्धित वास्तविकता (AR), मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा।
- अंतर-संचालनीयता (Interoperability), अवतार (Avataars), प्राकृतिक इंटरफेस, टेलीपोर्टिंग, होम स्पेस, प्रेसेंस, डिजिटल गुड्स (Digital goods) आदि मेटावर्स की कुछ प्रमुख विशेषताएँ हैं।
प्रयुक्त उपकरण
- इसका अनुभव वर्चुअल रियलिटी हैडसेट्स (Virtual Reality Headsets), आग्यूमेंटेड रियलिटी ग्लासेज़ (Augmented Reality Glasses), स्मार्टफ़ोंस और अन्य उपकरणों के माध्यम से ऐसा संभव है।
- वी.आर. या ए.आर. डिवाइस का उपयोग मेटावर्स के कुछ हिस्सों, जैसे- ओकुलस क्वेस्ट 2 या 3 तक पहुँचने के लिये किया जा सकता है। ‘प्रोजेक्ट कैम्ब्रिया’ उन्नत ट्रैकिंग तकनीक के साथ एक नया वी.आर. डिवाइस है, जो इसके लिये प्रयोग किया जाएगा। फेसबुक का अपना ‘ए.आर. ग्लास प्रोजेक्ट’ भी है, जिसे ‘एरिया’ कहा जाता है।
क्या-क्या संभव है इस इन्वायरमेंट में?
- इस इन्वायरमेंट में सोशल मीडिया के प्रयोग के अतिरिक्त ‘ऑनलाइन लाइफ’ जैसे कि खरीदारी, आर्टवर्क बनाना, डिजिटली कपड़े ट्राई करने के साथ-साथ खरीदना, वर्चुअल कॉन्सर्ट और ऑनलाइन ट्रिप पर जाना आदि सब संभव हो सकेगा।
- इसे संपर्क की अगली क्रांति माना जा रहा है, जिसमें लोग भौतिक जिंदगी के सामान ही ‘आभासी जिंदगी’ जी पाएंगे।
- वर्क-फ्रॉम-होम, घर में बैठकर ऑफिस जैसा अनुभव और मीटिंग आदि का बिल्कुल वास्तविक अनुभव होगा। इस संदर्भ में फेसबुक (अब मेटा) ने पहले ही एक मीटिंग सॉफ्टवेयर लॉन्च कर दिया है।
- हॉरिज़न वर्करूम्स (Horizon Workrooms) नाम का ये सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिये है, जिसे ‘ऑक्युलस वी.आर. हैडसेट्स’ (Oculus VR headsets) के साथ प्रयोग किया जा सकता है।
चिंताएँ
- कुछ विशेषज्ञों में इस बात को लेकर चिंता है कि इस तकनीक के जरिये इतना निजी डाटा टेक कंपनियों तक पहुँच जाएगा कि निजता की सीमा पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
- इससे नए बाज़ार, सोशल नेटवर्क, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेटेंट के लिये नए अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है किंतु यह डाटा संग्रहण के माध्यम से डिजिटल विज्ञापन के साम्राज्य को बढ़ाने वाला साबित होगा।
निष्कर्ष
मेटावर्स तकनीक भले ही एक नई आभासी दुनिया की अवधारणा प्रस्तुत करती है, परंतु इस तकनीक के साथ अनेक जोखिम तथा नैतिक मुद्दे भी जुड़े हुए हैं, जो न केवल मानव जीवन को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करेंगे बल्कि सामाजिक संरचना में भी बड़ा हेर-फेर करने में समक्ष होंगे। अतः इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इस तकनीक में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।