फगली उत्सव
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के यांगपा गांव में पारंपरिक ‘फगली’ उत्सव का आयोजन किया गया।
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फगली उत्सव के बारे में
- क्या है : यह हिमाचल प्रदेश में, विशेष तौर पर शिमला, किन्नौर एवं कुल्लू जिलों में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक उत्सव है।
- यह आमतौर पर फरवरी या मार्च में मनाया जाता है जो सर्दियों से वसंत में संक्रमण का प्रतीक है।
- फाल्गुन माह में आयोजन के कारण इस त्यौहार को ‘फागुली’ या ‘फाग’ के नाम से भी जाना जाता है।
फगली उत्सव की विशेषताएँ
- चेहरे पर मुखौटे के साथ पारंपरिक पोशाक पहने पुरुष मंडलियों में नृत्य करते हैं।
- यह मेला देवता और दानव के बीच वर्चस्व के संघर्ष को दिखाने के लिए आयोजित किया जाता है जिसमें अंततः देवता विजयी होते हैं।
- मुखौटा पहने और पूरे शरीर पर घास बांधे एक व्यक्ति राक्षस का अभिनय करता है और भगवान का प्रतिनिधित्व गुर (भगवान का प्रवक्ता) करता है।
- ढोल-नगाड़ों की ताल के साथ विशेष नृत्य ‘देव खेल’ एवं ‘रक्ष खेल’ का आयोजन किया जाता है।
- पारंपरिक गाथाओं के अनुसार, ‘टुंडी राक्षस’ मनाली से लेकर अर्छंडी तक रहने वाले लोगों को परेशान करता था और मनु ऋषि ने शांडिल्य ऋषि की मदद से उसका वध कर दिया था।